तारिक आज़मी/ तस्वीरे और इनपुट बापुनंदन मिश्रा
अख़लाक़ से लेकर पहलू खान और ऐसे ही अनगिनत घटनाओं के बारे में जानते है हम और आप। किस प्रकार गौरक्षा के नाम पर देश के लगभग हर सूबे में सड़को पर हिंसा करने वाले गौरक्षको के हिंसाओ का समाचार अक्सर सुनने और सोशल मीडिया पर देखने को मिलता रहता है। इसी सब के दरमियान अपना राजनितिक लाभ साधने वालो की कमी भी नहीं रहती है। कुछ तो ऐसे है कि अपने नाम के आगे गौरक्षक अथवा गौभक्त लगाकर सोशल मीडिया पर खुद को गाय का सम्मान करने वालो की श्रेणी में खड़ा करके बड़ी बड़ी बाते करते है।
तस्वीरे जो आप देख रहे है वह मऊ जनपद के रतनपुरा स्थित पशु चिकित्सालय केंद्र में बने गौआश्रय स्थल की है। जहां आए दिन गाय भूख और दवा की अभाव में दम तोड रही हैं। स्थानीय प्रशासन इन सारी चीजों से बेखबर है। बुधवार को रतनपुरा पशु चिकित्सालय के अधीक्षक विनय कुमार पांडे से इस सम्बन्ध में बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि भारी बारिश के कारण तीन गाय मर गई है। जबकि प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीणों जिन्होंने अपना नाम शैलेश राजभर, दिलीप सिंह, मुन्ना यादव और हरिराम यादव बताया के बातो पर अगर ध्यान दे तो गायो को समय पर चारा तो दूर की बात बीमार पड़ने पर दवा तक नहीं दी जाती है।
उन्होंने बताया कि गाय को सुखा भूसा डाल का छोड़ दिया जाता है। यही नहीं जहां गाए बाधी जाती है, वहां बेशुमार गंदगी फैली है, गोबर को भी नहीं हटाया जाता है। जो कि पशुओं के बिमारी का मुख्य कारण है। आश्रय स्थल पर समस्त पशु कीचड़ में ही रहने के लिए बाध्य है। हालत कुछ इस प्रकार बताई गई कि चिकित्सक भी बीमार पशुओ को देखने जल्दी नही आते है। ग्रामीण तो यहाँ तक कहते सुने गये कि इससे बेहतर तो ये पशु सडको पर ही थे। भले ही कम सही मगर इनको भूख लगने पर भोजन तो मिल जाता था।
बहरहाल, यहाँ के हालत देख कर बरबस ही मुह से निकल पड़ा कि कहा है काका वो सडको पर हिंसा करने वाले गौरक्षक। क्या केवल गौप्रेम और सम्मान केवल सडको पर ही दिखाई दे जाता है और उबाल खाता है। तनिक इस तरफ भी उसी प्रेम और सम्मान की धारा को बहने दे। इस दुर्व्यवस्था के लिए किसी व्यक्ति विशेष अथवा पुरे तंत्र को ज़िम्मेदार हम नही कह रहे है। मगर जो इस दुर्व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार है उनसे मेरा सिर्फ इतना ही कहना है कि आप किसी धर्म को मान रहे हो। मगर किसी भी धर्म में पशुओ के साथ ऐसी क्रूरता नही बताई जाती है। बेजुबान जानवर ही समझ कर इनका भला कर दे साहब, ये अपना दर्द किसी को बता नही सकती है।
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