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10 साल पहले 12 साल का मासूम मोहन हो गया था लापता, अब जब मिला जोधपुर में तो खुशियों से छलक पड़ी आँखे

प्रदीप दुबे विक्की

भदोही। उत्तरप्रदेश के भदोही के सारीपुर में रहने वाले महेंद्र पांडे का 12 वर्षीय पुत्र मोहन घर के बाहर से लापता हो गया था। सालों तक तलाश के बाद परिजन ने मोहन के मिलने की आस छोड़ दी। लेकिन 10 वर्ष बाद एक शख्स ने उनके पुत्र के जोधपुर में मिलने की जानकारी दी तो यकीन नहीं हुआ। बेटे की आस छोड़ चुके महेंद्र अपने भाई के साथ सोमवार को जोधपुर पहुंचे और पुलिस से मदद ली। पुलिस ने जब पिता को 10 वर्ष से लापता बेटे से मिलवाया तो जवान बेटे को देख पिता के आंसू छलक पड़े।

डीसीपी जोधपुर (पश्चिम) प्रीति चंद्रा ने बताया कि भदोही में संत रविदास नगर के सारीपुर निवासी महेंद्र पांडे का 12 वर्षीय पुत्र मोहन पांडे 10 जुलाई, 2009 को सब्जी लेने गया था। रास्ते में एक अज्ञात शख्स उसे उठाकर बेंगलुरु ले गया। वहां उसे बंद कमरे रख मजदूरी करवाते थे। करीब चार माह मौका मिलने पर मोहन वहां से फरार होकर ट्रेन से सूरत आ गया। कैटरिंग के काम को लेकर वह जोधपुर भी आने लगा। यहां एक सहकर्मी से उसने अपने परिजन को फोन करवाया। पिता को फोन पर बेटे से मिलने की खबर पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने जोधपुर आकर चौपासिनी  हाउसिंग बोर्ड पुलिस में फोन किया। पुलिस ने युवक के सहकर्मी से टैक्सी चालक बंनकर बात की और युवक से मिलने की खबर पुख्ता होने पर पिता-पुत्र से मिलवाया।

आंखों पर पट्टी बांधकर कराते थे मजदूरी

मोहन ने बताया कि बैंगलोर में उसे तीन चार बच्चों के साथ बंद कमरे में रखा जाता था । कमरे में  अंधेरे के कारण दिन रात का पता नहीं लगता था। उसकी आंखों पर पट्टी बांधकर बारी-बारी से मजदूरीं के लिए ले जाया जाता था।  4 माह 5 माह तक बंधक रहने के बाद एक शख्स ने राय दी कि वह मौका देखकर वहां से भाग जाए  , नहीं तो उसके साथ बुरा होगा । बेंगलुरु से भागने के बाद 4 दिन तक भूखा प्यासा रहा और किसी ट्रेन से सूरत जा पहुंचा जहां पर उसने एक टेक्सटाइल फैक्ट्री में मजदूरी करने लगा ।

जिले का नाम बदलने से नहीं मिला घर

सूरत में काम करते समय मोहन परिजनों से मिलने बनारस गया था। जाते समय उसने कुछ लोगों से भदोही में स्थित अपने गांव के बारे में पूछताछ भी की थी । लेकिन इस दौरान भदोही जिले का नामकरण संत रविदास कर दिया गया था।. जिसके चलते वह अपने गांव का पता नहीं लगा सका।  इसके बाद वह अपने पिता के मुंबई वर्ली पार्ले क्षेत्र में स्थित बंद पड़े घर गया।  जहां उसे अपने परिजनों के घर के फोन नंबर मिले उसने अपने दोस्त को नंबर देकर पिता से संपर्क करने को कहा और बातचीत की।

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