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कलानौर- कैल बाईपास पर छह ओवरब्रिज बनाने की सिफारिश, नौ लिक रोड हैं बाधित

अब्दुल बासित मलक

कलानौर(यमुनानगर):- कलानौर-कैल बाईपास पर लगातार हो रही दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर छह ओवरब्रिज बनाने की सिफारिश की गई है। प्रशासन की ओर से यह प्रस्ताव स्टेट लेवल रोड सेफ्टी कमेटी की बैठक में शामिल किया जाएगा। बाईपास पर खजूरी-करहेडा खुर्द, खडंवा, हरनौल, सुढल-सुढैल, कैल व रोड छप्पर में ओवरब्रिज बनाने की सिफारिश की गई है।

हाईवे पर बने खतरे के कटों पर दो साल में 25 हादसे हो चुके हैं। रोड सेफ्टी कमेटी ने भी जब कारण तलाशा, तो सामने आया कि हाईवे पर ओवरब्रिज या अंडरपास न होने की वजह से यह दुर्घटनाएं हुई हैं। 23 किलोमीटर लंबे बाईपास पर खतरे के नौ कट हैं। यह बाईपास 27 गांवों की 400 एकड़ भूमि से होकर गुजर रहा है। इससे पीडब्ल्यूडी की सड़कें क्रॉस होती हैं, जिन पर दिनरात वाहनों का दबाव है। अंडर पास न होने से वाहन का क्रॉस होना मुश्किल है। इन 27 गांवों के अलावा शहर से भी काफी संख्या में वाहन यहां से निकलकर हाईवे पर पहुंचते हैं। लोगों ने अंडर पास व हाईवे के लिए पुरजोर आवाज भी उठाई थी।

विधायक से लेकर पीएम तक को इस संबंध में शिकायत भेजी गई थी, लेकिन कोई बात नहीं बनी। एनएचएआइ के अधिकारियों ने हाईवे के डिजाइन में ओवरब्रिज न होने की बात कह दी थी। अब हाईवे शुरू हो चुका है, तो इस पर लगातार हादसे हो रहे हैं। हालात ये हैं कि इस हाईवे पर कोई दिन ऐसा नहीं बीतता होगा, जब कोई दुर्घटना न हो। ये लिक रोड बाधित हुई हाईवे से :

बाइपास से तिगरा-तिगरी-दुसानी (8 गांव, कमालपुर टापू ( 22 गांव), खजूरी रोड करहेडा खुर्द (करनाल व जिले के 70 गांव), खंडवा (12 गांव), हरनौल (जिले व कुरुक्षेत्र के 40 गांव), अकालगढ़ से मंडौली (चार गांव) सुढल- सुढैल (15 गांव व शहर), कैल से माजरा ( पांच), रोड छप्पर भूतमाजरा रोड (पांच गांव) सहित नौ लिक रोड बाधित हुए हैं। यहां से निकलना खतरे से खाली नहीं है। पलक झपकते ही हादसा हो जाता है।

इसलिए जरूरी हैं ओवरब्रिज हरनौल: हरनौल व गोलनपुर गांव आमने सामने हैं। हाईवे से दोनों गांवों में जाने के लिए सड़क मुड़ती है। यहां पर चौराहा बना हुआ है। इसके अलावा भी अन्य आसपास के गांवों को यहां से होकर हाईवे पर चढ़ना पड़ता है। गांव से सीधी सड़क हाईवे पर निकलती है। ऐसे में यहां पर हादसे होने का खतरा बना रहता है। वर्ष 2018 में यहां पर तीन हादसे हुए थे। सुढैल- सुढल : इन गांवों से यमुनानगर रास्ता निकलता है। शहर से भी काफी वाहन इन गांवों से होकर निकलते हैं। यहां पर भी चौराहा बना हुआ है। सामने गांव भंभौली है। वहां से भी वाहन निकलते हैं। इसके अलावा ग्रामीणों के खेत भी हाईवे के दूसरी ओर हैं। इस मोड़ पर भी तीन हादसे हो चुके हैं। छप्पर : यहां भी चौराहा है। सामने दूधला गांव पड़ता है।

इसके अलावा अन्य गांवों के लोग भी इन्हीं से होकर हाईवे पर चढ़ते हैं। ओवरब्रिज न होने की वजह से खेतों में आने वाले किसानों के साथ अन्य वाहन चालकों को सीधा चढ़ना पड़ता है। हाईवे पर पीछे से आ रहे वाहनों की स्पीड अधिक रहती है। जिस वजह से हादसे होने की संभावना अधिक रहती है। यहां पर सात हादसे हो चुके हैं। कैल : कैल में भी चौराहा बना हुआ है। यहां पर भी हाईवे से कैल की ओर जाने वाले वाहनों को सड़क क्रॉस करना पड़ता है। यही हादसों का सबसे बड़ा कारण है। यहां पर भी आठ हादसे हो चुके हैं। एक जगह अंडरपास, वह भी रेलवे लाइन की वजह से हाईवे पर फूंसगढ़ गांव के पास ओवरब्रिज बना है, लेकिन वह भी रेलवे क्रॉसिग की वजह से है। गांव से भी करीब एक किमी दूर यह ओवरब्रिज बना है। जिसमें अन्य गांव गलोली, महरमपुर की ओर से आने वाले ग्रामीणों को घूमकर आना पड़ता है।

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