तारिक आज़मी
कानपुर। शहर में 7 मई को एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें एक कुत्ता बड़े जानवर का कटा हुआ पैर लेकर घूम रहा था। वायरल वीडियो में बताया जा रहा था कि वीडियो थाना चमनगंज क्षेत्र का है। लेकिन सटीक जगह स्पष्ट नही थी। वायरल में इशारा भी किया जा रहा था कि इसमें पुलिस की संदिग्ध भूमिका से बड़े जानवरों की कटान हो रही है। जबकि मामला प्रतिबंधित पशु तक का हो सकता था।
लेकिन संवाददाता ने बताया कि प्राप्त जानकारी के अनुसार वीडियो 2 से 3 दिन पुराना है। और प्रतिबन्ध होने के बाद भी चमनगंज क्षेत्र में बड़े जानवर की कटान हो रही है। जिस पर पीआरओ ने जवाब देते हुए कहा कि इसमें पुलिस क्या करे। (रिकार्डिंग उपलब्ध है)
खैर पीआरओ साहेब आपके यहाँ शायद प्रतिबन्ध होने के बाद भी बड़े जानवर की कटान पर पुलिस कुछ नही करती होगी। लेकिन प्रदेश में जहाँ भी प्रतिबंध होने के बाद बड़े जानवर की कटान होती है, वहाँ पुलिस कटान करने वालो के खिलाफ कार्यवाही करती है। अब आप कह रहे है तो सच ही होगा कि पुलिस क्या करें। आप एक जिम्मेदार ओहदे पर है।
बहरहाल, इस वायरल वीडियो को लेकर क्षेत्र की सुगबुगाहट को देखते हुवे हमने भी मामले की पड़ताल किया और जो जानकारी निकल कर सामने आई वह वाकई चौकाने वाली है। हमने जब वायरल वीडियो की पड़ताल किया तो ज्ञात हुआ की वायरल वीडियो थाना चमनगंज से मात्र सौ कदम की दूरी का है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस जगह का वीडियो है, उसी जगह पर एक सफाई कर्मचारी का घर है, जो कि थाना चमनगंज में साफ सफाई करता है।
अब बड़ा सवाल है कि वीडियो नया है अथवा पुराना तो इसकी भी हमने तफ्तीश किया। हमको ज्ञात हुआ कि वीडियो क्षेत्र के ही एक युवक ने अपने मोबाईल फोन से बनाया है। हमने जब उससे जानकारी करनी चाही तो वह काफी डरा हुआ दिखाई दिया। हमने उसकी सुरक्षा की खातिर उसका नाम न उजागर करने का वायदा किया। उसने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वीडियो 26 अप्रेल 2020 समय दोपहर 01 बजकर 21 मिनट का है जो कि उसके कैमरे की डिटेल में दिख रहा है
वायरल वीडियो पर क्षेत्र में सुबगुबाहट
क्षेत्र में होनी वाली सुबगुबाहट पर गौर किया जाए तो कुत्ता जो कटे हुए जानवर का पैर क्षेत्र में लेकर घूम रहा था वो प्रतिबंधित पशु का पैर हो सकता है। लेकिन हमेशा की तरह कोई मुंह नही खोलना चाहता, और कोई कानूनी पचड़े में नही पड़ना चाहता। खासकर तब जब गैर कानूनी काम में पुलिस की भूमिका खुद संदिग्ध हो। वायरल वीडियो में बताई गई जगह पूरी तरह सही है और वीडियो लॉक डाउन के दौरान 26 अप्रैल का ही है।
सबसे दिलचस्प बात ये रही कि एक पत्रकार ने चमनगंज प्रभारी निरीक्षक राजबहादुर सिंह से इस सम्बंध में बात की तो प्रभारी निरीक्षक ने पत्रकार से जांच की बात कही की मामले की जांच कराई जा रही है। जिसको पत्रकार ने अपने न्यूज़ पोर्टल तथा युट्यूब पर प्रकाशित भी किया है।
अब सवाल ये उठता है कि आरोप कही न कही से थाना चमनगंज पर ही है। अब इस आरोप की जद में सभी आते है। फिर खुद के ऊपर लगे आरोप की जाँच खुद थाना प्रभारी करे तो जाँच रिपोर्ट पर विश्वास कोई क्यों कर करे ये बड़ा सवाल है। अब देखना होगा कि जब सभी तरह के ट्रांसफर प्रदेश में रोक दिए गए है तो फिर पुलिस इस मामले में क्या करती है। अथवा मामले में आल इज वेल का बोर्ड लगा देती है। इन सवालो का जवाब तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।
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