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सोशल मीडिया पर अपनी कविताओं से छाई है युवा कवयत्री लता प्रासर, जाने कौन है लता प्रासर और पढ़े उनकी कुछ दिलचस्प कविताये

तारिक आज़मी

पटना की सरज़मीन ही क्या पुरे बिहार ने एक से बढ़कर एक विभूतिया देश को दिया है। आज भी अगर आप देखे तो सिविल सर्विसेज़ में बिहार का नाम रोशन करने वालो की कमी नही रहती है। इसी बिहार की सरज़मीन के पटना की मूलनिवासिनी और पेशे से शिक्षिका लता प्रासर इस वक्त सोशल मीडिया पर अपनी कविताओं के लिए खासी चर्चा में रहती है।

पत्रकरिता से अपना करियर शुरू करने वाली लता का विवाह हो जाने के बावजूद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। पति के सहयोग और उनके द्वारा मिलने वाले आत्मबल के कारण लता ने अपनी उच्च शिक्षा पूरी किया और वर्त्तमान में माध्यमिक शिक्षिका के तौर पर कार्यरत है।

हिन्दी उर्दू शायरी की शौक़ीन लता ने परिस्थियों और जज्बातों को अपनी कलम से ज़ाहिर करने का नया रास्ता खोज निकला। वह सोशल मीडिया पर रोज़ ही सुबह सुबह एक कविता अथवा खुद की लिखी हुई ग़ज़ल के कुछ अशआर पोस्ट करती है। यही नही उनकी लोकप्रियता सोशल मीडिया पर केवल बिहार ही नहीं बल्कि बिहार की सीमाये लांघ कर देश के लगभग हर प्रदेश में पहुच चुकी है।

हमारी सोशल मीडिया पर पोस्ट उनके एक शेर के दौरान मुलाकात हुई, बातचीत में क्रांतिकारी विचारधारा रखने वाली लता समाज के लिए चिंतित रहती है। गरीबो का ख्याल रखना और उनके लिए कुछ कर गुजरने की उनकी चाहत उनको भीड़ से अलग करती है। उनकी कल पोस्ट सोशल मीडिया पर ग़ज़ल का अशआर कुछ इस प्रकार रहा था,

मजदूरी ने तुमसे मेरी दूरी तय कर दी थी
मजबूरी ने तुमसे मेरी दूरी तय कर दी है
कहो कहां है उड़नखटोला जिसपर मैं आऊं
जम्हूरी ने तेरी मेरी दस्तूरी तय कर दी है!

उनकी आज सोशल मीडिया पर दो कविताये प्रकाशित हुई है। ज़बरदस्त अंदाज़-ए-बयाँ करते हुवे तकलीफों को हलके लफ्जों में बयान करती उनकी एक कविता क्या लिखू, कितना लिखू ने खूब तारीफे बटोरी है।

क्या लिखूं
कितना लिखूं
पटरी रोड हव़ा
खाना पानी दवा
हतासा निराशा दुआ
पलायन फिर वापसी
मजदूरी फिर दस्तूरी

कलम लिखो
मौन मंत्रणा मरण
शहर सिमटना शरण
आमरण यंत्रणा संस्मरण…… मर्म।।।।।?

इसके अलावा हमारे निवेदन पर उन्होंने एक और कविता पोस्ट किया है। जिसका शीर्षक है जानती हु अनगिनत है तारे। कविता मूल रूप से इस प्रकार है

जानती हूं
अनगिनत हैं
तारे लेकिन
गिनती रही
रात-भर

मौन रहा
आसमान
करती रही
फना वक्त
रात-भर

सितमगर
तारा मेरा
मेरी आंखों में
चमकता रहा
रात-भर

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