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नियमो के विपरीत पलिया तहसील में बिना रजिस्ट्रेशन (सर्राफा)आभूषण विक्रेता चला रहे हैं अपनी दुकानें, सालों से नहीं जमा कर रहे हैं आभूषण व्यापारी अपना टैक्स

तारिक आज़मी

पलिया कला खीरी÷ एक और जहां हमारी मोदी सरकार ने अपनी गाइड लाइन जारी की है कि अब सभी आभुषण (सर्राफा) व्यापारियों को अपनी दुकानों का रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है और साथ ही सरकारी टैक्स को जमा करना और साहुकारा के लाइसेंस भी होने की बात कर रही है तो वही अभी भी कुछ आभुषण व्यापारी सरकार की गाइडलाइन को अनदेखा कर खुलेआम धड़ल्ले से बिना रजिस्ट्रेशन अपना व्यापार चला रहे हैं और यही नहीं कुछ व्यापारी साहुकारा लाइसेंस न बने होने के बाद भी सरकार से छुपाकर अपनी रकम को ब्याज पर लोगों को देकर उनसे मोटी रकम भी वसूल कर रहे हैं और यही नहीं ऐसे लोग किसी भी प्रकार का सरकार को टैक्स भी न देकर टैक्स भी चोरी कर रहे हैं।

जिससे साफ दिखाई दे रहा है कि यह सर्राफा व्यापारी अपनी दबंगई के चलते सरकार के गाइडलाइन को ताक पर रखकर अपना काम धड़ल्ले से कर रहे हैं। लेकिन इस पर किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों का कोई शिकंजा ना कसते देख अब यह  सर्राफा व्यापारी नगर में जगह-जगह कुकुरमुत्ता की तरह अपनी दुकानें खोलकर लोगों को लूटने का कार्य कर रही है दुकानें खुलने की सबसे बड़ी वजह यह है की उनको सरकार की गाइडलाइन का कोई भी असर नहीं है और यही नहीं आभूषणों का परसेन्टेज भी इतना कम है कि खरीदने वाला व्यक्ति उन आभूषणों को जब बेचने जाता है तो उसको ढंग का पैसा भी वापसी नहीं मिल पाता और यह व्यापारी आए दिन अपने बिजनेस को बढ़ाते दिख रहे हैं और यही वजह है कि इन आभूषण व्यापारियों की  तादाद में भारी मात्रा में इजाफा हो रहा है।

उल्लेखनीय है के इस वक्त लखीमपुर खीरी जिले के तहसील पलिया में इस तरह के सर्राफा व्यापारियों की बढ़त तेजी से देखी जा रही है जो बिना रजिस्ट्रेशन और बिना साहूकारा लाइसेंस के धड़ल्ले से अपना व्यापार और ब्याज का काम करते दिखाई दे रहे और यही नहीं यह सरकार के टैक्स की भारी मात्रा में चोरी कर रहे हैं। लेकिन जिम्मेदारों को इस पर कोई संज्ञान ना लेने के चलते ऐसे सराफा व्यापारियों के हौसले बुलंद हैं पलिया तहसील की गर बात करें तो इस वक्त आभूषणों में सोने और चांदी की क्वालिटी में इतना अंतर आ गया है कि लोग पीतल और गिलट इस्तेमाल करें कर लें और सोने-चांदी जिसमें पता ही नहीं चलता कि इस में अंतर क्या है। देखा जाए तो अगर हम क्वालिटी की बात करें तो पहले जहां सोने की क्वालिटी में अस्सी परसेंट और चांदी में 60% परसेंट के आभूषणों की बिक्री की जाती थी जिससे इन लोगों को आभूषण खरीदने के बाद कभी जरूरत पर यदि आभूषणों को बेचना पड़ जाए तो उनको काफी सुविधा मिल जाती थी।

लेकिन अब हाल यह हो गया है कि इन अवैध किस्म के आभूषण विक्रेताओं के हौसले बुलंद होने के चलते आभुषण की क्वालिटी में काफी ज्यादा गिरावट हो गयी है सूत्र बताते है कि अब सोने के आभुषण मात्र 60% से 70% परसेंट बचा है और चांदी का परसेंटज मात्र तीस से चालिस ही दे रहे हैं। यही नहीं जहां एक और हमारी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार सोने के सभी आभूषणों के लिए हॉलमार्क करने के आदेश दिये थे सरकार के फैसले के मुताबिक सोने के आभूषण बिना हॉलमार्क के नहीं बिक सकेंगे. इस संबंध में 15 जनवरी 2020 को अधिसूचना जारी होने की बात कही गयी थी और सोने के आभूषणों और कलाकृतियों के लिए पूरे देश में हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दिया था लेकिन पलिया तहसील के सर्राफा व्यापारी इन आदेशों को अभी पालन करते नहीं दिखाई दे रहे हैं वाह कोई भी सोने के आभूषण हाॅलमार्क नहीं बेच रहे हैं और जो बेच रहे हैं उसके भी परसेंटेज में काफी गिरावट है सोने की क्वालिटी मैं कोई खास अंतर नहीं आया है बता दें की सर्राफा व्यापारी खुलेआम ग्राहकों को लूटने का कार्य कर रहे हैं।

हम ब्याज के कार्यों की बात करें तो साहूकारा लाइसेंस ना होने के बावजूद भी या सर्राफा व्यापारी लोगों को फसाकर मोटी रकम ब्याज पर देते हैं और वापसी में जरूरत से ज्यादा ब्याज दर लगाते हैं और यही नहीं कुछ ऐसे व्यापारी भी हैं जो अपनी ब्याज की रकम निकालने के लिए उन लोगों को धमकी देने से भी बाज नहीं आते और उनकी जमीन जायदाद भी अपने नाम करवा लेते हैं । और बेचारे गरीब तबके के लोग इनके ब्याज दरों की मार को चुपचाप सह कर बैठ जाते हैं और यदि कभी कोई आगे बढ़कर कार्यवाही करता है तो वह लेन-देन कर मामले को निपटा कर बच जाते हैं ।लेकिन जिम्मेदार इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं देखा जाए तो अब सर्राफा व्यापारियों पर कड़ा शिकंजा कसा जाए और सर्राफा व्यापारियों की लेनदेन के ब्योरे और साहूकारा लाइसेंस और दुकान की लाइसेंसों की भी जांच की जाए।

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