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खेल सामग्री का गेम, शिक्षको ने दिया तहरीर, तो खुद को कंपनी का प्रतिनिधि बताते हुवे दिली शिक्षको के खिलाफ भी तहरीर, कंपनी के मालिक ने किया बड़ा खुलासा

संजय ठाकुर

मऊ। जनपद में खेल सामग्री क्रय में शासनादेश के विपरीत मेला लगाकर एक फर्म से जबरदस्ती खरीददारी का विरोध करने के कारण एमटीको खेल इंडस्ट्री फर्म का प्रतिनिधि बन कर दो व्यक्तियों राकेश कुमार व राजेश दास ने भी गंभीर आरोप शिक्षको पर लगाते हुवे एक तहरीर दिया है। एक तरफ जहा शिक्षको ने इस प्रकरण में लिप्त लोगो पर फर्जीवाड़े की शिकायत दर्ज करने की तहरीर दिया है वही कथित फर्म के खुद को मालिक बताते हुवे मेरठ का निवासी बता कर राजेश दास और राकेश कुमार ने भी शिक्षको पर अवैध वसूली का गंभीर आरोप लगाते हुवे तहरीर दिया है। इस तहरीर की प्रति बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी दिया गया है।

मामले में रोमांचक मोड़ तो तब आया जब मेरठ की फर्म एमटीको खेल इंडस्ट्री के मालिक सनी से हमारी बातचीत में एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने हमसे फोन पर बातचीत करते हुवे कहा कि हमारे तरफ से कोई भी सामान वहा बेचने को नही भेजा गया है। एक व्यक्ति के कुछ किट लिया था और बिल उसके नाम से दिया गया था। हमारा कोई प्रतिनिधि वहा नही है। साथ ही उक्त फर्म के मालिक सनी ने हमसे बताया कि हमारी जो बिल वहा दिया जा रहा है वह सब फर्जी है।

बहरहाल कथित रूप से दिली फर्म के तरफ से तहरीर में कोई दिनांक अंकित नहीं है। पूर्व में ही शिक्षक संगठन के जिलाध्यक्ष कृष्णानन्द राय ने जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक व थानाध्यक्ष कोपागंज को शिकायती पत्र देकर बीएसए मऊ, ओपी त्रिपाठी व लेखाधिकारी मनोज तिवारी व एमटिको के ऩाम पर हंस रबर का बैनर लगाकर दुकान लगाने वाले शिक्षामित्र अर्जुन सिंह के विरुद्ध एफआईआर कर जाँच करने की तहरीर दे चुके हैं। शिक्षक नेता अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया व समाचार पत्रों के माध्यम से बीएसए मऊ के भ्रष्टाचार का विरोध करने के कारण पूर्व में भी उनके द्वारा विभागीय कार्रवाई की गयी थी, और अब फर्म के प्रतिनिधि को आगे कर ओपी त्रिपाठी मुकदमा कर आवाज दबाना चाहते हैं। जब तक जान है बी एस ए ओ पी त्रिपाठी के भ्रष्टाचार का विरोध करता रहूंगा। शिक्षक नेताओं के रहने व अनियमित विक्रय का व्यूजुवल साक्ष्य है। उन्होंने कहा कि वहाँ पर अर्जुन सिंह के अलावा उपरोक्त नामों का कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं था, जिससे कोई बात भी हुई है।

बहरहाल, जब खेल इंडस्ट्री के जिस बिल पर माल इस खेल कूद के सामानों हेतु लगे मेले में बेचे जाने वक्त दिल रही बिल ही फर्जी होने की बात उक्त फर्म के मालिक द्वारा कहा जा रहा है तो फिर फर्म के अस्तित्व और कथित शिकायतकर्ता के अस्तित्व पर ही बड़ा सवालिया निशाँन लग रहा है। अब देखना होगा कि स्थानीय पुलिस किसकी सुनती है और किसकी नहीं सुनती है।कहा जा सकता है कि पिक्चर अभी बाकी है।

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