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आखिर कहा गया विकास दुबे ? ज़मीन निगल गई या फिर आसमान खा गया उसको, विकास के मामले में पुलिस के हाथ अभी भी है खाली

आदिल अहमद

कानपुर-लखनऊ: कुख्यात अपराधी और कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले विकास दुबे  के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने सख्त कार्रवाई की। सरकार ने शनिवार को जेसीबी से विकास दुबे का मकान ढहा दिय़ा है। मकान को गिराने के लिए प्रवर्तन दस्ते की टीम जेसीबी मशीन लेकर कानपुर के बिकरु गांव पहुंची। इस दौरान, प्रवर्तन दस्ते के साथ भारी पुलिस बल भी गांव में मौजूद रहा। बताया जा रहा है कि अपराधी विकास दुबे का घर गैर-कानूनी तरह से बनाया गया था। विकास दुबे अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है और उसकी तलाश में पुलिस की कई टीमें लगाई गई हैं।

इस प्रकरण में कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) मोहित अग्रवाल ने बताया कि “विकास दुबे और उसके सहयोगियों को पकड़ने के लिये पुलिस की 25 टीमें लगाई गई हैं जो प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा कुछ दूसरे प्रदेशों में भी छापेमारी कर रही हैं।” हालांकि, उन्होंने कहा कि यह नहीं बताया जा सकता कि पुलिस की टीमें किन-किन जनपदों में और किन प्रदेशों में तलाशी अभियान चला रही है।

आईजी ने विकास दुबे के बारे में सही जानकारी देने वाले को पचास हजार रुपये का इनाम भी देने की घोषित किया गया था। इसको बढ़ा कर अब एक लाख किये जाने का समाचार भी प्राप्त हो रहा है। सूत्र बताते है कि लगभग 600 दरोगाओ की टीम को इस एक कुख्यात की गिरफ़्तारी के लिए लगाया गया है। वही दूसरी तरफ पुलिस के अनुसार मुठभेड में घायल सात पुलिसकर्मियों का कानपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। जहां सभी की हालत स्थिर बतायी जा रही है। इस दरमियान लखनऊ पुलिस ने शुक्रवार शाम को विकास दुबे के कृष्णानगर स्थित मकान पर भी छापा मारा था लेकिन वहां दुबे नही मिला। अब आप सोच सकते है कि विकास दुबे जैसा कुख्यात अपराधी अपराध करके अपने घर पर ही रहेगा इसकी उम्मीद पुलिस कर रही थी। इस दौरान विकास दुबे के परिजनों से भी गहन पूछताछ हुई है। उसके भाई की पत्नी भतीजी इत्यादि से पूछताछ का दौर बीत चूका है। इन पूछताछ में पुलिस को क्या हासिल हुआ ये भी किसी को नहीं मालूम मगर अगर क्राइम के जानकारों की माने तो ऐसे कुख्यात अपराधियों को नियम और कानून में बंधी पुलिस की मजबूरियों के बारे में अच्छी तरीके से जानकारी रहती है। शायद इसी जानकारी का नाजायज़ फायदा ये अपराधी उठाते है।

अगर पुलिस कार्यवाही को देखे तो सूत्र बताते है कि अब तक 100 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी हुई है। पुलिस की टीम नेपाल सीमा और अन्य राज्यों में भी तलाशी अभियान चला रही है। दूसरी तरफ विकास दुबे की मौजूदा लोकेशन पता लगाने के लिए  सर्विलांस टीम लगभग 500 मोबाइल फोन की छानबीन कर रही है। इतने बड़े पैमाने पर छापेमारी और खोज अभियान के बावजूद दुबे का अब तक पता नहीं चल पाया है। समझ से परे है कि आखिर विकास दुबे को ज़मीन निगल गई अथवा आसमान खा गया है। या फिर अपने किसी आका के पल्लू में जाकर बैठा हुआ है विकास दुबे। डिस्टेंस की बात करे तो शायद पुलिस की कार्यवाही घटना के लगभग दस घंटे बाद शुरू हुई होगी। ये दस घंटे अगर अपराधी वह भी विकास दुबे जैसा अपराधी भागता है अपने वाहन से तो काफी दूर भी निकल सकता है। वैसे पुलिस को रडार सूत्र बताते है कि अब मध्य प्रदेश की तरफ भी घूम रहा है।

वही दूसरी तरफ अदालत में आत्मसमर्पण करने के शंका पर पुलिस ने उन्नाव कचहरी परिसर को छावनी में तब्दील कर दया था। मगर विकास दुबे वहा भी नहीं मिला। अभी तक पुलिस के हाथ केवल और केवल सुराग के नाम पर शुन्य ही मिला है। वही भाषा की एक खबर के मुताबिक, आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद शक के घेरे में आए चौबेपुर के थानाध्यक्ष विनय तिवारी को भी निलंबित कर दिया गया है।  कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने पत्रकारों को बताया, “थानाध्यक्ष विनय तिवारी के ऊपर लग रहे आरोपों के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया है। इन आरोपों की गहन तरीके से जांच की जा रही है। अगर उनका या किसी भी पुलिसकर्मी का इस घटना से कोई संबंध निकला तो उसे न केवल बर्खास्त किया जाएगा बल्कि जेल भी भेजा जाएगा।” वही पुलिस सूत्रों के मुताबिक कुछ पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ की जा रही है ताकि यह जाना जा सके कि दुबे को उसके घर पर पुलिस की छापेमारी के बारे में पहले से खबर कैसे लगी जिससे उसने पूरी तैयारी के साथ पुलिस दल पर हमला किया।

इस दरमियान चौबेपुर थाने के ऊपर जांच बैठा दी दी गई है। ये पता करने के लिए कि किस पुलिस वाले ने मुखबिरी की है। पूरे थाने की जांच की जा रही है। कौन-कौन पुलिस वाले विकास दुबे के लिए काम करते थे। तीन थानों की फोर्स विकास के घर छापा मारने गई थी, लेकिन इसकी पूरी जानकारी विकास को पहले से थी। विकास ने पुलिस वालों की घेराबंदी कर उन्हें मार डाला। विकास से मिले होने की शक में चौबेपुर थाने के इंचार्ज विनय तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया है। चौबेपुर थाना इंचार्ज विनय तिवारी पर ये भी आरोप है कि जिस स्थानीय निवासी राहुल तिवारी की एफआईआर पर विकास दुबे के यहां छापा डालने पुलिस गई थी, विनय तिवारी ने उनकी एफआईआर लिखने से मना कर दिया था। राहुल तिवारी ने इस पर डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा से शिकायत की तब उनके दबाव में विनय तिवारी ने विकास दुबे के खिलाफ एफआईआर लिखी।

कानपुर ने जोन के आईजी मोहित अग्रवाल अपने एक बयान में बताया है कि ‘डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्र की अगुवाई में रेड के लिए पुलिस की टीम में विनय तिवारी शामिल तो हुए लेकिन उसके घर पहुंचने से पहले ही टीम को छोड़कर भाग गए। इसलिए वो शक के दायरे में हैं और उनकी भूमिका की जांच हो रही है। अगर पूर्व थाना इंचार्ज विनय तिवारी या चौबेपुर थाने का कोई भी पुलिस कर्मचारी विकास के लिए मुखबिरी करने का दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ पुलिस बल की हत्या की साजिश का भी मुकदमा कायम होगा।

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