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सिर्फ चंद घंटे और कथित भ्रष्टाचार के आरोपों से मिली इन्स्पेक्टर शिवानन्द मिश्रा को क्लीन चिट, एसपी चंदौली ने किया दूध का दूध और पानी का पानी

तारिक़ आज़मी

वाराणसी. कथित रूप से रेट लिस्ट वायरल मामले में मुगलसराय थाना प्रभारी शिवानन्द मिश्रा को एक बार फिर क्लीन चिट मिल गई है। महज़ चंद घंटो में पुलिस ने दूध का दूध और पानी का पानी करते हुवे शिवानन्द मिश्रा को क्लीन चिट दिया है। बताते चले कि आईजी अमिताभ ठाकुर द्वारा शुक्रवार को किए गए ट्वीट और फेसबुक पोस्ट ने चंदौली से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मचा दिया था। आईजी के ट्वीट के अनुसार, उन्हें चंदौली के मुगलसराय थाने की प्रतिमाह अवैध वसूली 35 लाख 64 हजार रुपये बताई गई है। इसमें अकेले गांजा की बिक्री से 25 लाख रुपये की अवैध वसूली का जिक्र है। इस कथित अवैध वसूली की शिकायत के बाद हडकंप मच गया। पूरा महकमा खडबडा गया। खुद एसपी ने मामले की जाँच किया और मामले में इन्स्पेक्टर शिवानन्द मिश्रा को क्लीन चिट दिया है।

इस पूरे प्रकरण की जांच रिपोर्ट एडीजी जोन ने एसपी चंदौली से तलब की थी। एसपी चंदौली हेमंत कुटियाल की ओर से प्रेस रिलीज जारी की गई है। उसे प्रथम दृष्टया फर्जी बताया है। उन्होंने बताया कि यह एक महिला और पूर्व में जेल जा चुके सिपाही की आपसी मिलीभगत का ये परिणाम है। पूरे प्रकरण की जांच अपर पुलिस अधीक्षक से कराई जा रही है। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर कार्रवाई भी किया जाएगा।

एसपी चंदौली की जाँच में जो निष्कर्ष निकल कर सामने आया वह कुछ इस प्रकार है कि निष्पक्ष कार्यवाही ही शिवानन्द मिश्रा के ऊपर आरोपों का आधार बनी है। सिगरा थानाध्यक्ष रहते हुवे उनकी की गई निष्पक्ष कार्यवाही से तत्कालीन एक पुलिस कर्मी को उनका दुश्मन बना डाला। एसपी चंदौली की जाँच और उसके बाद जारी प्रेस नोट को आधार माने तो वर्ष 2015 में जब वर्तमान थाना प्रभारी निरीक्षक मुगलसराय शिवानन्द मिश्रा थानाध्यक्ष सिगरा हुआ करते थे तो उस समय एक सौमित्र मुखर्जी नाम का सिपाही भी वही पोस्टेड था। उसके सम्बन्ध में उच्चाधिकारियों को शिकायत मिली थी कि सौमित्र मुखर्जी ने अपने पद की हनक के कारण एक व्यक्ति की संपत्ति पर दुसरे व्यक्ति का कब्ज़ा करवा दिया गया था।

इसके बाद उच्चाधिकारियों के द्वारा मामले की जाँच हुई और आरोप सही साबित होने पर सौमित्र मुखर्जी के ऊपर 129/2015 मुकदमा कायम किया गया था। सौमित्र मुखर्जी ने इस मामले में खुद को बचाने का काफी प्रयास किया मगर वह सफल नही हो पाया था और उसके खिलाफ चार्जशीट अदालत में चली गई। जिसके बाद से वह शिवानन्द मिश्रा से खुन्नस रखने लगा।

वही लिस्ट जिस आईडी से वायरल किया गया था उसका नाम रेखा सिंह है। जबकि वास्तविक नाम उस महिला का रेखा चौहान है, जो मुगलसराय के मैनाताली की निवासिनी है। रेखा चौहान द्वारा मुगलसराय में नगर पालिका की एक संपत्ति कब्ज़ा कर रखा है। जिस सम्बन्ध में 230/20 पंजीकृत है। इस मामले में कई गंभीर धाराओं में उसके ऊपर आरोप है। मामले में दबाव बनाने के लिए उसने सौमित्र मुखर्जी का साथ पकड़ा और सौमित्र मुखर्जी ने लिस्ट तैयार करके रेखा सिंह नामक फेसबुक आईडीसे वायरल किया।

बताते चले चले कि शिवानन्द मिश्रा वाराणसी में काफी समय तक पोस्टेड रहे है। इसके बाद चंदौली ट्रांसफर होने के बाद उनकी पोस्टिंग मुगलसराय थाना प्रभारी पद पर हुई। यहाँ चलने वाले कई अवैध कामो को बंद करवाने में शिवानन्द मिश्रा का बड़ा योगदान रहा है। वही अपने तगड़ी पुलिसिंग के बल पर अपराध और अपराधियो पर भी बड़ा नियंत्रण रहा है। जिसके बाद से शिवानन्द मिश्रा कुछ तथाकथितो के आँखों की किरकिरी बन हुवे है।

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