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काबुल में हुआ धमाका, 13 अमेरिकन सैनिको सहित 85 की मौत, आतंकी संगठन आईएसआईएस ने लिया धमाको की ज़िम्मेदारी, जाने कौन है तालिबान का कट्टर दुश्मन आईएसआईएस-के

शाहीन बनारसी/ तारिक़ खान

डेस्क :  कल जुमेरात को अफगानिस्तान में हुए बम धमाके में कई लोगो के जान जाने की खबरे तेज़ी से फ़ैल रही है। यह धमाका काबुल के एअरपोर्ट की बताई जा रही है और बताया जा रहा है कि इस धमाके में 85 लोग मारे गए है। काबुल हवाई अड्डे पर दो बम धमाके हुए ऐसा सुनने में आया। मगर समाचार एजेंसी एएफपी ने तीसरे धमाके की जानकारी दी। और इस धमाके कि ज़िम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने अपने दावे में ली है। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में गुरुवार को हुए आत्मघाती बम धमाकों में कई लोगों की जान जाने की खबर है। मीडियो रिपोर्ट्स के मुताबिक, काबुल एयरपोर्ट धमाकों में 85 लोग मारे गए हैं, जिसमें 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल हैं। गुरुवार को काबुल हवाई अड्डे पर दो बम धमाके के बाद समाचार एजेंसी एएफपी ने तीसरे धमाके की जानकारी दी। कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि काबुल में और भी धमाके हो सकते हैं। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने अपने दावे में इस धमाके की जिम्मेदारी ली है।

यह विस्फोट ऐसे समय हुआ है, जब अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद से हजारों अफगान देश से निकलने की कोशिश कर रहे हैं और पिछले कई दिनों से हवाई अड्डे पर जमा हैं। काबुल हवाईअड्डे से बड़े स्तर पर लोगों की निकासी अभियान के बीच पश्चिमी देशों ने हमले की आशंका जतायी थी। कई देशों ने लोगों से हवाईअड्डे से दूर रहने की अपील की थी क्योंकि वहां आत्मघाती हमले की आशंका जताई गई थी।

काबुल के स्वास्थ्य अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि कुल 85 लोग मारे गए हैं। वहीं, अफगान पत्रकारों द्वारा शूट किए गए वीडियो में हवाई अड्डे के किनारे पर एक नहर के आसपास दर्जनों शव पड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि कम से कम दो विस्फोटों ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। वहीं, आईएसआईएस (आईएसआईएस) ने कहा कि उसके एक आत्मघाती हमलावर ने “अमेरिकी सेना के मददगारों” को निशाना बनाया। अमेरिकी अधिकारियों ने हमले के पीछे आईएसआईएस का हाथ होने की बात कही है। धमाकों में हताहत हुए अमेरिकियों की संख्या गुरुवार को 12 से बढ़कर 13 हो गई। माना जा रहा है कि अगस्त 2011 में एक हेलीकॉप्टर को मार गिराए जाने के बाद यह दूसरी घटना में जिसमें अफगानिस्तान में इतने अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई है। हेलीकॉप्टर को निशाना बनाए जाने की घटना में 30 अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई थी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने काबुल हमले के लिए इस्लामी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया और हमले में मारे गए लागों की जान का बदला लेने का संकल्प लेते हुए कहा, ‘‘हम तुम्हें (हमलावरों को) पकड़कर इसकी सजा देंगे।”

क्या है तालिबान का कट्टर दुश्मन आईएसआईएस-के

यह आतंकवादी समूह आईएसआईएस का एक सहयोगी संगठन है। इस संगठन की स्थापना 2015 में हुई थी।  आईएसआईएस से अलग हुआ ये समूह ज्यादातर पूर्वी अफगानिस्तान, जो खुरासान प्रांत के रूप में जाना जाता है, में फैला है। इसी वजह से इसका नाम भी आईएसआईएस-K यानी ;आईएसआईएस-खुरासान पड़ा है। खुरासान शब्द एक प्राचीन इलाके के नाम पर आधारित है, जिसमें कभी उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईराक का हिस्सा शामिल था। फिलहाल यह अफगानिस्तान और सीरिया के बीच का हिस्सा है। आईएसआईएस-K ने एक बार उत्तरी सीरिया और इराक में बड़े क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था।

आईएसआईएस -के और तालिबान के बीच कट्टर दुश्मनी का रिश्ता है। पिछले ही हफ्ते तालिबान ने आईएसआईएस-के के एक कमांडर, जिसे जेल में बंद रखा गया था, को काबुल में ढेर कर दिया है। इस समूह के बारे में कहा जाता है कि यह तालिबान की तरह कट्टरपंथी नहीं है। दोनों विद्रोही समूह अफगानिस्तान में इलाके को कब्जा करने के दौरान कई बार आपस में भिड़ चुके हैं।

इस संगठन में जुड़े लोग आतंकी संगठन अलकायदा की विचारधारी रखते हैं। इसे सीरिया से संचालित किया जाता है। तालिबान को सबसे ज्यादा खतरा ISIS-K से ही है। IS-K तालिबान को खदेड़कर अफगानिस्तान पर अपना प्रभुत्व चाहता है। काबुल में धमाका कर वह तालिबान का डर भी खत्म करने का संदेश देना चाहता है, ताकि उसका प्रसार हो सके।

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