Crime

दालमंडी – नईसड़क के कारोबारी गुलाम अशरफ और शाहनवाज़ “शानू” पर जानलेवा हमला प्रकरण : छठवे दिन भी खाली है चंदौली पुलिस के हाथ

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। चंदौली जनपद के कटेसर इलाके में स्थित बागेश्वरी देवी धर्म कांटे के निकट 5 सितम्बर रविवार को एक विवाह समारोह से आते समय दालमंडी-नई सड़क के कारोबारी गुलाम अशरफ और शाहनवाज़ “शानु” पर जानलेवा हमले में आज छठवा दिन है। चंदौली पुलिस के हाथ अभी भी खाली है। वही दोनों कारोबारी अभी भी खौफ के साए में जी रहे है। शायद उनको वह मंज़र दिमाग से उतर ही नही रहा होगा कि किस तरह दोनों कारोबारियों की जान बची थी। पुलिस ने घटना स्थल के सीसीटीवी फुटेज खंगाल चुकी है। पुलिस सूत्रों की माने तो फालोअप कैमरा चेकिंग में पुलिस अभी भी फेल है। काफी कैमरों की उस रास्ते में चेकिंग किया गया था। मगर पुलिस के हाथ खाली ही रह गए है।

वही दूसरी तरफ दोनों कारोबारी इस समय खौफ के साये में जी रहे है। उनके नज़रिए से खतरा अभी भी बना हुआ है। एक तरफ कारोबार का टेंशन दुसरे तरफ इस प्रकार की घटना किसी का भी होश उड़ा सकती है। गौरतलब हो कि घटना वाले दिन पुलिस पूरी घटना को संदिग्ध मान रही थी। मगर जब सीसीटीवी फुटेज हाथ लगा तो पुलिस मामले में सीरियस हो चुकी है। मगर उसके बाद भी आज छठवे दिन पुलिस के हाथ खाली नज़र आ रहे है। केस में केवल पुलिस के हाथ कुछ संदिग्ध फोन नम्बर और एक एक सीसीटीवी फुटेज है। निष्कर्ष के तौर पर सिर्फ यही है कि जानलेवा हमला पूरी साजिश के साथ हुआ था। बकिया हाथ खाली के खाली है। या फिर शायद पुलिस हाथ भरने के लिए अभी आतुर ही नही हुई है।

दालमंडी में भी है पुलिस की पैनी नज़र

पुलिस इस मामले में शाहनवाज़ शानू के संपत्ति विवाद को भी एक एंगल से देख रही है। पुलिस सूत्रों की माने तो कुछ दालमंडी के लोगो की गतिविधियो पर नज़र है। वही हमले में कुछ हूलियो की तलाश पुलिस सिर्फ सिगरा इंगलिशिया लाइन ही नही बल्कि दालमंडी में भी कर रही है। पुलिस सूत्रों की माने तो कोई हड़बड़ी न दिखाते हुवे मामले में पुलिस पुरे साक्ष्य इकठ्ठा करके ही कोई कार्यवाही करना चाहती है।

क्या हुआ था ?

5 सितम्बर रविवार को नई सड़क के मुख़्तार उर्फ़ नाटे पप्पू के भाई चाँद की मंगनी की रस्म थी। कार्यक्रम कटेसर के एक लान में था। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गुलाम अशरफ और शाहनवाज़ “शानू” अपने दोस्त जावेद के साथ गये थे। कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद जब तीनो वापस हुवे तो मुख़्तार उर्फ़ नाटे पप्पू के भाई रियाज़ भी अपने बच्चो के साथ इसी वाहन में बैठ गए। वाहन  जैसे ही बागेश्वरी धर्मकाटे से आगे बढ़ा है पहले से घात लगाये हम्लावारो ने गाडी पर हमला कर दिया। हमले में बच्चो की चीख पुकार के बीच गाडी चला रहे गुलाम अशरफ ने अपने विवेक का काम किया और गाडी तेज़ स्पीड में भगा कर राम नगर थाने पहुचे। वहा से पुलिस को खबर दिया और फिर मौके पर पहुची जलीलपुर पुलिस ने पहले तो पूरी घटना को ही संदिग्ध बता डाला। न जांच न पड़ताल, बस सीधे सीधे दरोगा जी ने घटना ही संदिग्ध बना डाली थी।

देखे मौके पर क्या हुआ था जो सीसीटीवी ने अपनी निगाहों से देखा

हिलाहवाली ज़बरदस्त मौके पर देखने को मिली थी। दो तीन सिपाहियों सहित खड़े दरोगा जी ने हमसे खुद दो टुक में कहा था कि कोई हमला नही हुआ है। पार्टी में मारपीट हुई होगी। गाडी का शीशा पत्थर से टूट गया है। पुलिसिंग छोड़े साहब एक आम इंसान गाडी पर लगी चोटों को देख कर कह सकता था कि गाडी पर हमला हुआ है। मगर दरोगा जी को टूटे एसयुवी जैसी गाडी के टूटे शीशे किसी एक छोटे पत्थर लगने से टूटते हुवे दिखाई दिए थे। ये बाते खुद जलीलपुर चौकी इंचार्ज ने हमसे कही थी। हिला हवाली का आलम ये था कि रात 9-9:15 के बीच हुई इस घटना के सम्बन्ध में पुलिस को जानकारी मिलने के 2 घंटे बाद इस्पेक्टर मौके पर पूछते है, और मामले में तफ्तीश करते है। इस दरमियान मामला जो दो घटे तक ठन्डे बस्ते में था के सम्बन्ध में सोशल मीडिया पर फोटो और पोस्ट वायरल होने लगी। इसकी जानकारी स्थानीय मीडिया को भी होने पर स्थानीय मीडिया कर्मी भी मौके पर पहुच गए। मामला हल्के से भारी होने लगा।

आखिर रात 12 बजे के बाद पीड़ित पक्ष से तहरीर लिए जाता है और पुलिस मुकदमा दर्ज करने की कार्यवाही शुरू करती है। एक दिन बाद भी मामले में तेज़ी नही रहती है, इस दरमियान हमारे हाथ मौके का सीसीटीवी फुटेज लग जाता है। जिसके बाद पुलिस भी फुटेज खंगालने लगती है। मगर पुलिस सूत्रों की माने तो काफी मामलो में व्यस्त पुलिस इस मामले में बहुत तन्मयता से ध्यान नही दे रही है। दोनों कारोबारी खौफ के साये में जी रहे है। परिजन अँधेरा होने के बाद अपने घर के चश्मों चराग को लेकर परेशान हो जाते है। दोनों कारोबारी खुद की प्राइवेट सिक्योरिटी भी रखने पर विचार कर रहे है।

एक तरफ जहा पीड़ित कारोबारी डर के साए में जीवन बसर कर रहे है वही दूसरी तरफ हमलावर और षड्यंत्रकारी आराम से घूम रहे होंगे। शायद उनको पूरा यकीन हो गया होगा कि पुलिस अब मामले को हज़ारो ठन्डे बस्ते में पड़े प्रकरण की तरह ही इसको भी डाल देगी। ये सिर्फ अपराधियों के हौसलों को बढाने वाला ही है। उनके हौसले अपने अपने आसमान पर होंगे। प्रकरण में क्षेत्राधिकारी अनिल राय ने कहा है कि मामले को ठन्डे बस्ते में नही डाला जायेगा और प्रकरण में खुलासा होगा। मगर पुलिस सूत्रों की माने तो प्रकरण में अभी तक संदिग्ध लोगो के मोबाइल सीडीआर पुलिस के पास नही आये है। फिर आखिर कैसे पुलिस तेज़ी दिखा सकती है। वही कारोबारियों ने इस प्रकरण की जाँच हेतु एसओजी से भी सहायता हेतु उम्मीद जताई थी। मगर विभागीय सूत्र बताते है कि प्रकरण में एसओजी प्रभारी राजीव सिंह की सहायता अभी तक पुलिस ने नही लिया है।

अब देखना होगा कि चंदौली पुलिस इस घटना का सफल खुलासा करती है अथवा केस फाइल पेंडिंग पड़े बकिया केस की तरह ही अँधेरे कमरे में गुम हो जाएगी। क्या हमलावरो और उनके षड्यंत्रकारियो तक पुलिस के हाथ पहुच पाते है अथवा नही। सब मिला कर पिक्चर अभी पूरी की पूरी बाकि है।

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