ए0 जावेद
वाराणसी। नगर निगम वाराणसी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश गड्ढा मुक्त सडको को अनदेखा करने की कसम लगता है खाकर बैठा है। अगर आपको इसकी नजीर देखना है तो आप फाटक शेख सलीम से लेकर काली महल चौराहे तक चले जाए। सड़के को इस मार्ग पर लगभग गायब ही हो चुकी है। हाँ अगर आपको कुछ मिलेगा तो महज़ गड्ढा। गड्ढो में सड़क खुद का अस्तित्व ही खो चुकी है।
वही दुसरे तरफ इस सड़क की हाल ऐसी है कि जैसे लगता है कि सड़क के निर्माण हेतु लगे शिलापट्ट को यहा के खड्डे मुह चिढा रहे हो। आखिर हो भी क्यों न ? सरकारी काम है देर तो लगती है। कछुआ की चाल भी इस निर्माण हेतु चलने वाली फाइल से तेज़ प्रतीत होती है। मेयर साहिबा ने शिलान्यास कर डाला। क्षेत्र के भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मिठाई खिलाई, फुल माला पहनाया और फिर सब घर को चले गए। अब जनता का क्या वो भले से इस टूटी सड़क पर गिर कर अपने हाथ पाँव चोटिल कर डाले। इसकी फिक्र विभाग को नही रहती है।
हमने इस सम्बन्ध में जब नगर आयुक्त को फोन किया तो हमेशा की तरह नगर आयुक्त के पीआरओ ने फोन उठाया और कहा कि साहब व्यस्त है। इस सड़क से सम्बन्धित सवाल आप मुख्य अभियंता से पूछ सकते है। हमने जब मुख्य अभियंता मोईनुद्दीन को फोन किया तो सबसे अचम्भे की बात ये रही कि शिलापट्ट पर सुनहरे अक्षरों में जिनका नाम लिखा हुआ है उनको शायद इस सड़क के निर्माण होने और शिलान्यास होने की जानकारी ही नहीं थी। उन्होंने हमारे द्वारा बताये गए मार्ग को शायद अपनी डायरी में नोट करते हुवे कहा कि मैं इसको दिखवा लेता हु।
अब आप खुद समझे कि जिस मुख्य अभियंता के निर्देश में निर्माण कार्य होना है उसको इस निर्माण कार्य की जानकारी ही नही है तो कितने वर्षो के बाद निर्माण कार्य शुरू होगा इसकी स्थिति आप समझ सकते है। बहरहाल, खड्डों में तब्दील हो चुकी इस सड़क पर चलना दुश्वार हो गया है। रोज़ ही कोई न कोई वाहन यहां छोटी मोटी दुर्घटना का शिकार हो जाता है। सड़क के परखचे उड़े हुवे है और शिलापट्ट चमचमा रहा है। विपक्ष की सियासत इस इलाके में नेतृत्व विहीन होकर खामोश है तो वही सत्ता पक्ष अपनी जयकारा इस शिलापट्ट से ही कर रहा है।
मेयर साहिबा शायद दुसरे शिलान्यास पर ध्यान दे रही होंगी। जनता परेशान है। नगर निगम व्यस्त है। अब देखना होगा कि आखिर सो रहे सम्बंधित अधिकारियो की नींद कब तक खुलेगी। तब तक आप इस गड्ढा मुक्त की जगह भरपूर गड्ढा युक्त सड़क पर चलते रहे। थोडा गिरते रहे, थोडा सम्भलते रहे। थोड़ी चोट खाए, रोज़ गुज़रते है तो थोडा कमर दर्द भी सहे। अभी सम्बंधित विभागीय अधिकारी व्यस्त है। चुनाव आने वाला है तो सियासत भी अभी थोडा व्यस्त है। आप इन सबकी व्यस्तता खत्म होने का करे इंतज़ार तब तक नमस्कार।
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