शाहीन बनारसी
वाराणसी: मुहर्रम का चाँद नज़र आते ही इस्लामिक कलेंडर का नया साल शुरू हुआ साथ ही बलिदान का शहादत का महिना मुहर्रम शुरू हो गया है। इस महीने के शुरू होते ही मजलिसे शुरू हो चुकी है। पिछले दो वर्षो से कोरोना के खतरे के मद्देनज़र मुहर्रम प्रतिबंधो के साथ हुआ था। दो सालो के बाद इस माह के शुरू होते ही हर तरफ हुसैन की शहादत के याद में “या हुसैन, या सकीना या अब्बास या हुसैन” की सदा गूंज रही है।
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