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सपा नेता मनीष जगन अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने वाली भाजपा नेता पर भी दर्ज हुआ मुकदमा, हज़रतगंज थाने में दर्ज हुआ मुकदमा, सपा ने ट्वीट कर दिया जानकारी

ईदुल अमीन   

डेस्क: समाजवादी पार्टी (सपा) के आईटी सेल के प्रमुख मनीष जगन अग्रवाल को सोशल मीडिया पर महिलाओं के प्रति कथित अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में रविवार सुबह लखनऊ के हजरतगंज इलाके से गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद खुद अखिलेश यादव पुलिस मुख्यालय पहुचे थे और उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया था। भाजपा कार्यकर्ता ऋचा राजपूत की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था।

प्रतीकात्मक तस्वीर

TheWire ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सपा के प्रांतीय अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की तहरीर पर पुलिस ने भाजपा नेत्री ऋचा राजपूत के खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया है। यह मामला रविवार को ही पुलिस ने दर्ज कर लिया था। सपा प्रवक्ता चौधरी ने बताया कि, ‘पटेल ने ऋचा राजपूत के खिलाफ हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि राजपूत ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके परिवार के खिलाफ निहायत आपत्तिजनक अभद्र टिप्पणियां की हैं।’ सपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से साझा की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति के मुताबिक भाजपा नेता राजपूत के खिलाफ आईपीसी की धारा 294 (अश्लीलता) और 509 (स्त्री लज्जा का अनादर) तथा सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 की धारा 67 (अश्लील सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित करना) तथा 67(क) (लैंगिक प्रदर्शन का कार्य या आचरण) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

गौरतलब हो कि जगन की गिरफ़्तारी के विरोध में सपा प्रमुख अखिलेश यादव राज्य पुलिस मुख्यालय पहुंचे। उनके साथ सपा के कार्यकर्ता भी अग्रवाल की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर मुख्यालय के बाहर जमा हो गए थे। बाद में अखिलेश पुलिस मुख्यालय से बाहर निकले और लखनऊ जेल चले गए, जहां पुलिस ने मनीष जगन अग्रवाल को गिरफ्तार करने के बाद भेजा था। उनके साथ पार्टी के शीर्ष नेता, विधायक और कार्यकर्ता भी थे। हालांकि, जेल अधिकारियों ने उन्हें अग्रवाल से मिलने नहीं दिया। अखिलेश ने आरोप लगाया कि यूपी में पुलिस और प्रशासन भाजपा कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि उनके वहां रहने के दौरान कोई भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राज्य पुलिस मुख्यालय में मौजूद नहीं था। उन्होंने कहा, ‘भाजपा शासित यूपी में न्याय पाना मुश्किल है, जहां जनता की शिकायतों को सुनने के लिए उच्च अधिकारी उपलब्ध नहीं हैं।’

लखनऊ पुलिस के अनुसार, अग्रवाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए (धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153बी (राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन), 295ए (किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 298 (किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जान-बूझकर अपशब्द आदि बोलना), 420 (धोखाधड़ी), 500 (मानहानि), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर अपमान), 505(2) (वर्गों के बीच शत्रुता, घृणा या दुर्भावना पैदा करने या बढ़ावा देने वाले बयान), धारा 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और आईटी अधिनियम की धारा 66, 67ए और 67बी के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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