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शाहजहाँपुर में भैसा गाडी पर निकला “लाट साब का जुलूस”, जूते, चप्पल और झाड़ू मार कर हुआ स्वागत, कोतवाल ने थमाया नजराने के तौर पर “दारु”, दिया सलामी, जाने क्या है ‘लाट साब’ का जुलूस

शिखा प्रियदर्शिनी

डेस्क: होली रंगों का कई है। देश में होली के अवसर पर कई पुरानी परम्परा के अनुसार काम भी होते है। मगर कुछ परंपरा ऐसी है जो समय के साथ विवादित बनती जा रही है। ऐसा ही है शाहजहाँपुर का मशहूर “लाट साहब का जुलूस”। इस जुलूस को लेकर कई बार विवाद भी हुवे है। मामला अदालत तक गया, मगर अदालत ने भी इसको प्रतिबंधित करने से इंकार कर दिया क्योकि यह पुराने समय से निकलता आ रहा है।

करीब 70 साल पुरानी इस परंपरा का किस्सा अंग्रेजों से जुड़ा है। होली के पांच दिन पहले ही शाहजहांपुर की मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया जाता है। ढकने का कारण लाजमी है, ताकि मस्जिद की दीवारें रंग से खराब न हों। इस दौरान पूरे शाहजहांपुर में जुलूस निकलता है अब सवाल आपके दिमाग में उठेगा कि आखिर ये ‘लाट साहब’ कौन है? अंग्रेजों के उच्च अधिकारी अपने नाम के आगे लॉर्ड लगाते थे, देसी भाषा में या फूटही अंग्रेजी में लोग उन्हें लाट साहब कहने लगे।

शाहजहांपुर के जुलूस में किसी शख्स को लाट साहब बना कर भैंसा गाड़ी या गधे पर बैठाया जाता है। लाट साहब को जमकर शराब पिलाई जाती है और फिर उसे काले रंग से रंग कर, जूते की माला पहनाई जाती है। प्रतीक के तौर पर जूते और झाड़ू मारते हैं हुए लाट साहब के जुलूस को पूरे शहर में घुमाया जाता है। इस दिन सांप्रदायिक सौहार्द खराब न हो इसलिए पूरे शहर में पुलिस तैनात रहती है।

इस सम्बन्ध में पीटीआई से बात  करते हुवे इतिहासकार विकास खुराना ने बताया था कि शाहजहांपुर को नवाब बहादुर खान ने आबाद करवाया था। नवाब साहब के आखरी वंशज नवाब अब्दुल्लाह खान पारिवारिक विवाद के कारण शाहजहांपुर से चले गए थे। वर्ष 1729 में 21 वर्ष की आयु में वह शाहजहांपुर वापस आये। उनको आवाम बहुत पसंद करती थी। बताया जाता है कि उस दिन होली थी और समय हिन्दू मुस्लिम सभी मिल कर होली खेलते थे। नवाब अब्दुल्लाह खान ने आवाम के साथ होली खेली और उसके बाद आवाम ने उनको पूरे शहर में ऊंट पर बैठा कर घुमाया तथा उनका सम्मान किया। जिंसके बाद प्रतीकात्मक जुलूस उस परंपरा का निकलने लगा था। मगर लगभग 70 साल पहले यह लाट साहब का जुलूस और फिर जूते मारने की परंपरा शुरू हुई जिंसके खिलाफ अदालत में भी मामला गया मगर अदालत ने पुरानी परंपरा कहकर इस पर प्रतिबंध लगाने से मना कर दिया।

निकला ‘लाट साहब’ का जुलूस

इसी क्रम में आज होली के अवसर पर चर्चित लाट साहब का जुलूस शाहजहांपुर में निकला। यह जुलूस जिले में विभिन्न स्थानों से निकाला गया। जगह-जगह जूते, चप्पल व झाड़ू मारकर लोगों ने उनका स्वागत भी किया। शहर के चौक क्षेत्र में जुलूस सुबह दस बजे शुरू हुआ। चौकसी स्थित फूलमती मंदिर में दर्शन कराने के बाद लाट साहब को भैंसागाड़ी पर बैठाया गया। यहां से उन्हें कोतवाली ले जाया गया। जहां कोतवाल ने लाट साहब को ‘नजराना’ तथा सलामी दी।

उसके बाद भैंसागाड़ी पर सवार ‘लाट साहब’ को हेलमेट पहनाकर झाड़ू व जूते मारते हुए शहर में घुमाया गया। जिस तरह से जुलूस निकला लोगों ने चप्पलें व जूतों की बौछार कर दी। चारखंभा, रोशनगंज, अंटा चौराहा, खिरनी बाग होते हुए जुलूस सदर बाजार पहुंचा। वहां भी कोतवाल से नजराना लिया। टाउनहाल, निशात टाकीज रोड, पंखी चौराहा से बहादुरगंज, घंटाघर, कच्चा कटरा, कनौजिया अस्पताल होते हुए बंगला के नीचे पटी गली में पहुंचकर समाप्त हुआ। जुलूस के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सीसीटीवी के अलावा ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की जा रही है। प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों के साथ ही आरएएफ, पीएसी के जवान व मजिस्ट्रेट भी सुरक्षा की दृष्टि से तैनात हैं। एसपी एस आनंद समेत अन्य अधिकारी भ्रमणशील हैं।

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