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वाराणसी निकाय चुनाव पितृकुंड (वार्ड 86): जहाँ मुकाबिले को दिलचस्प निर्दल प्रत्याशियों ने बना दिया, जाने क्या चलेगी ‘नाव’ या खिलेगा ‘कमल’, दौड़ेगी ‘सायकल’ या बजेगा ‘डमरू’ या फिर सब पर भारी होगा ‘तराज़ू’, या लगेगा ‘ताला’

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: प्रदेश में चल रहे निकाय चुनावों में पहले चरण का मतदान हो चूका है। इस पहले चरण में वाराणसी नगर निगम हेतु भी मतदान हो चूका है। प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में बंद हो चुकी है। महीने से चली आ रही चुनावी गहमा गहमी आराम तलब कर रही है। मतों की गिनती 13 मई को होगी। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ईवीएम सुरक्षित प्रशासन ने रखवा दिया है।

इसी के साथ प्रत्याशियों और समर्थको के कौतुहल का विषय बना हुआ है कि आखिर जनता किसको जीत का सेहरा पहना रही है और किसके हिस्से हार आ रही है। सभी प्रत्याशी और उनके समर्थक अपनी अपनी जीत का आकड़ा पेश कर रहे है। मगर इन सबके बीच वोटर खामोश है। मतदान के बाद भी खामोश मतदाता इस कौतूहलता को और भी बढ़ा रहे है। हमने इस वार्ड पर अपनी नज़र रखा हुआ था। हमारे विश्लेषण इस वार्ड में निकल रहे है जो आपके सामने पेश कर रहे है।

इस वार्ड से सपा ने जहा कलाम कुरैशी को सायकल से सवारी करवाया है। इससे नाराज़ होकर पुराने सपा कार्यकर्ता डाक्टर आलम ने बगावत करके तराजू हाथो में उठा लिया, जबकि कैफ आलम ने ताला चाबी उठा लिया। वही भाजपा ने अमरेश गुप्ता के हाथ में कमल खिला दिया तो नाराज़ सदन यादव ने नामांकन कर नाव ले लिया जबकि विजय चौरसिया ने भी नामांकन करके डमरू बजाना शुरू कर दिया। वही निवर्तमान पार्षद मो0 असलम के करीबी को पंजा मिल गया। सब मिलाकर निर्दलियो या फिर कहे बागियों ने ताल ठोकी।

मतदाताओं ने इस जंग को और भी दिलचस्प तब बना डाला जब आज मतदान काफी कम हुआ। महज़ 40 फीसद मतदान के बीच सभी की किस्मत ईवीएम में बंद हो गई है। लगभग 4600 मत पड़ने के बाद हार-जीत के लिए बहुत अधिक मतो की आवश्यकता तो समझ नही आती। ज्यादा प्रत्याशी होने के कारण जीत हार के लिए शायद महज़ हज़ार 1100 मतो की आवश्यकता हो। यही से चुनावी गणित सभी की गड़बड़ा रही दिखाई दे रही है। चुनाव तो सभी प्रत्याशी ज़बरदस्त लडे है। ऐसा नही कहा जा सकता कि किसी का चुनाव कमज़ोर रहा। इलाके में ‘कमल’ भी खिला है तो वही ‘सायकल’ भी चली है। एक तरफ ‘डमरू’ बजा है तो दुसरे तरफ हाथ का ‘पंजा’ मजबूत भी दिखा है। वही ‘नाव’ भी जमकर चली तो ‘तराजू’ की भी आरजू सामने आई।

सब मिला जुला कर निर्दल प्रत्याशियों या फिर कहे बागियों ने इस चुनाव को बड़ा ही दिलचस्प बना दिया है जहा हार जीत का अंतर एक दो घरो के मत इतना भी होने की संभावना से इंकार नही कर सकते है। इलाके में ‘डमरू’ और ‘नाव’ ने भाजपा के ट्रेडिशनल मतो पर काफी प्रहार किया ऐसा दिखाई दे रहा है। जबकि दूसरी तरफ ‘ताला’ और ‘तराजू’  ने सपा और कांग्रेस के मतों पर ज़बरदस्त वार किया है। बहुत गहराई से देखे तो इस माहोल में मुहल्लों के हिसाब से मतदान हुआ है। उदहारण के तौर पर सराय फाटक में ‘तराजू’, ‘सायकल’, ‘ताला’ और पंजा ने मिलकर संघर्ष किया दिखाई दे सकता है, तो वही मोचियाने में ‘तराजू’ और ‘सायकल’ के साथ ‘पंजे’ का संघर्ष भी दिखाई दे सकता है। इनमे से किसी भी प्रत्याशी यानी डॉ आलम, अमरेश गुप्ता, कैफ आलम, मो0 असलम के प्रतिनिधि, सदन यादव और विजय चौरसिया तथा अब्दुल कलाम के लिए जीत का दावा तो नही किया जा सकता है। लड़ाई नेक 2 नेक होगी। हार जीत का अंतर काफी कम होगा। हो सकता है मुख्य लड़ाई निर्दल बनाम निर्दल या फिर दल बनाम दल हो जाये। मगर अंदाज़ लगाने अभी मुश्किल ही नही नामुमकिन है।

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