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प्राची पाठक एक सुन्दर कविता – सुंदरी निशा

सुन्दरी  निशा
चेहरा जैसे खिली चाँदनी,
मधु मिश्रित स्वर मे बाते,
बातों में है घुली रागनी,
जुल्फ घनेरी रात अमावस,

तन मन को घेरे आलस ,
मदभरे तेरे नैन विलासिनी
चंचल चितवन कातिल धड़कन
हर पल छेड़े सखियाँ दुश्मन ,
कनक  छड़ी सी तू कामिनी .
महक  अलकें झुकती पलके ,
नैनो से मदिरा छलके,
दो घूँट का मै  हूँ याचक ,
सदियों का प्यासा चातक
लेखिका – प्राची पाठक
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