कनिष्क गुप्ता
इलाहाबाद। शिक्षा विभाग एक ऐसा विभाग है जहां अगर किसी अधिकारी को बैठाया गया और उसकी पैठ बन गई तो उसे कोई हिला नहीं सकता है बशर्ते वो अपने से ऊंचे स्तर पर बैठे अधिकारी या मंत्री की बात मान ले और ऐसा होता भी है।
उल्लेखनीय है कि काफी लंबे समय तक अपनी पैठ बनाए रहे सचिव बेसिक शिक्षा परिषद् संजय सिन्हा को आखिरकार सचिव बेसिक शिक्षा परिषद् के पद से हाथ धोना पड़ा। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में दो ऐसे विभाग (बेसिक शिक्षा परिषद् और माध्यमिक शिक्षा परिषद्) है। जहां पर कोई सचिव दो या तीन साल से अधिक नहीं टिक पाया है अगर रही है तो तात्कालिक सचिव अचला खन्ना जो माध्यमिक शिक्षा परिषद् उत्तर प्रदेश में लगभग 6 साल सचिव रही थी। उसके बाद कोई इतने लंबे समय तक सचिव यू पी बोर्ड में नहीं रहा है। अब सचिव बेसिक शिक्षा परिषद् उत्तर प्रदेश की बात करें तो संजय सिन्हा सबसे ज्यादा समय करीब दस साल तक सचिव बेसिक शिक्षा परिषद् बने रहे हैं।
गौरतलब है कि सचिव बेसिक शिक्षा परिषद् संजय सिन्हा के विरुद्ध तमाम शिकायते शासन में लंबित रही लेकिन शासन में अपनी पैठ बनाए रखने के वजह से किस्मत इनपर मेहरबान रही थी। लेकिन एक पुरानी कहावत है कि उपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती है। ठीक वैसा ही हुआ शासन में संजय सिन्हा के विरुद्ध तमाम शिकायतों को मुख्यमंत्री ने खुद संज्ञान में लेकर कार्यवाही शुरू कर दिया जिसकी वजह से संजय सिन्हा को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद् के पद से हटना पड़ा
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