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बहुचर्चित अवंतिका गोलीकांड में हिस्ट्रीशीटर जलीश पर लगे आरोप को हाईकोर्ट ने किया खारिज, कार्यवाही पर लगाईं रोक

हरिशंकर सोनी

सुलतानपुर। बहुचर्चित अवंतिका गोलीकांड में हिस्ट्रीशीटर जलीश उर्फ फिरोज अहमद को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने पुलिस के जरिए दाखिल किये गये चार्जशीट के बाद मुकदमा शुरू होने से पहले ही आरोपी के खिलाफ लगे आरोपो को खारिज कर दिया है।अदालत के इस आदेश से अभियोजन पक्ष को बड़ा झटका लगा है।

मामला कोतवाली नगर क्षेत्र के बस स्टेशन के निकट स्थित अवंतिका फूड माल से जुड़ा है। जिसके मालिक व भाजपा नेता आलोक आर्या पर बीते 29 जुलाई को असलहों से लैस बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की। सरेशाम हुई इस दुस्साहसिक वारदात की फुटेज सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई। जिसके आधार पर होटल मैनेजर कन्हैयालाल गौड़ ने आरोपी सत्य प्रकाश सिंह, रमन सिंह व सौरभ सिंह के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया।

तफ्तीश के दौरान हिस्ट्रीशीटर राहुल धुरिया, रीशू उर्फ देवांश सिंह, अतुल सिंह, मनोज सिंह, सिराज अहमद व जलीश उर्फ फिरोज अहमद का नाम प्रकाश में आया। फरार चल रहे सिराज अहमद की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है, जबकि पूर्व में हाईकोर्ट के आदेश पर गिरफ्तारी से बचे हिस्ट्रीशीटर जलीश उर्फ फिरोज अहमद को बड़ी राहत मिली है। इन दोनों के अलावा शेष सात आरोपी जेल में निरुद्ध हैं। गोलीकांड की तफ्तीश पहले तत्कालीन एसएसआई रणजीत सिंह को मिली। जिनकी भूमिका संदेह के घेरे में रही।

सूत्रों की माने तो मामले के मुख्य आरोपियो को लाभ दिलाने के लिए रणजीत सिंह ने विवेचना में ही खेल किया, मामला उठा तो रणजीत सिंह से तफ्तीश हटाकर तात्कालीन नगर कोतवाल नंद कुमार तिवारी के सुपुर्द कर दी गयी। जिन्होंने अपनी तफ्तीश पूरी कर सभी आरोपियों के खिलाफ भादवि की धारा 307,427,504,506,34,109 एवं 7 सीएलए एक्ट में आरोप पत्र करीब पांच दिन पूर्व दाखिल किया। हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर राहत पाये जलीश अहमद व सिराज के खिलाफ भी इन्हीं धाराओं में आरोप पत्र दाखिल हुआ है। जिस पर संज्ञान लेने के उपरांत सीजेएम कोर्ट ने आरोपियों को आगामी 13 नवम्बर को तलब करने का आदेश जारी किया।

मालूम हो कि हाईकोर्ट में बीते 27 अक्टूबर को हिस्ट्रीशीटर जलीश की अर्जी पर सुनवाई चली। जलीश ने अपनी अर्जी में दर्शाया है कि वह घटना के दो दिन पूर्व ही हवाई जहाज से महाराष्ट्र में एक निमंत्रण में शामिल होने गया था। जहां पर उसने कई जगहों पर कई बार एटीएम से पैसे भी निकाले हैं और 31 जुलाई को वहां से वापस लौटा।उसके जरिये कई साक्ष्य पेश कर पुलिसिया कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया गया। जिस पर सुनवाई के पश्चात न्यायमूर्ति अजय लाम्बा की बेंच ने पुलिसिया कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी करते हुए आदेश सुरक्षित कर लिया था।

शुक्रवार को हाईकोर्ट के जरिए पारित आदेश सामने आया,जिसमें हाईकोर्ट ने जलीश के खिलाफ भादवि की धारा 307,427,504,506,120बी व 7 सीएलए एक्ट का कोई अपराध न पाते हुए उसके खिलाफ इन धाराओं को खारिज कर दिया है आैर सभी कार्यवाहियो पर रोक लगाने के लिए संबंधित अदालत एवं थाना प्रभारी को सूचित करने का आदेश दिया है। वहीं सूत्रों की माने तो अभियोजन पक्ष आरोपी जलीश के प्रति पुन:विचार करने के लिए हाईकोर्ट में पुनर्याचिका दाखिल करने अथवा उच्चतम न्यायालय में इस आदेश के खिलाफ अपील करने पर विचार कर सकती है।

जिला न्यायालय में जलीश की तरफ से पैरवी में लगे अधिवक्ता अरबिन्द सिंह राजा ने बताया कि हाईकोर्ट के इस आदेश से न्यायपालिका पर लोगो का विश्वास बढ़ा है और मामले में गलत तथ्यों के आधार पर फँसाये जा रहे जलीश को बड़ी राहत मिली है।

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