अनुपम राज
कोई भी आतंकी घटना निंदनीय होती है। मरने वाला मस्जिद में मरे या फिर मंदिर में वो बेक़सूर और निहत्था आम नागरिक होता है। मौत का कोई मज़हब नही होता और आतंक का कोई धर्म नही होता। इन सबके बावजूद आज मुल्क में ऐसे सोशल मीडिया पर गद्दार और देश को टुकडो में तकसीम करने वाले लोग भी पड़े है जो अपने बौधिक आतंक के माध्यम से देश की खुशहाली को बर्बादी में तब्दील करने की फिराक में है। ये सिर्फ और सिर्फ नफरतो की फसल बोने वाले है जिनके नफरतो के कारण समाज कई हिस्सों में तकसीम होने के कगार पर है। न्यूज़ीलैंड की युवा प्रधानमंत्री का बयान इस सन्दर्भ में प्रशासनीय है जिसमे उन्होंने इस आतंकी घटना की कड़े शब्दों में निंदा किया है और विविधता पर जोर दिया।
देखने वाली बात होगी कि अब संज्ञान आने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस लखनऊ के रहने वाले इस युवक पर कोई कार्यवाही करती है या फिर ऐसे ही इसको नफरते फैलाने के लिये खुला छोड़ दिये रहती है।
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