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राजस्थान सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधान सभा सत्र बुलाने की मांग को लेकर किया राज्य भवन में विरोध प्रदर्शन, कहा बहुमत करेगे साबित

आदिल अहमद

जयपुर: राजस्थान के सियासी संकट के बीच आज एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है जब सत्तारूढ़ दल ने राज्यपाल से आपातकाल विधानसभा सत्र बुलाने की मांग किया है और संख्या बल सिद्ध कर देने की मांग किया है। यही नहीं विधानसभा सत्र बुलाने के लिए गहलोत स्वयं अपने विधायको सहित राज्यभवन में धरने पर बैठ गए।

आज हुवे ताज़ा घटनाक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज “जल्द से जल्द” विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की और राजभवन में चार घंटे से अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन किया। गहलोत ने आरोप लगाया कि राज्यपाल केंद्र सरकार के “दबाव में” बहुमत परीक्षण को रोक रहे हैं। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को 102 विधायकों की सूची सौंपी है, जिन्होंने विधानसभा सत्र के लिए राज्यपाल से अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाया और कहा कि राज्यपाल पर वह दबाव बना रही है। उन्होंने कहा कि, “हमने उनसे कल एक पत्र में सत्र बुलाने का अनुरोध किया और हमने पूरी रात इंतजार किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। हम अपने बहुमत को साबित करने के लिए तैयार हैं। विपक्ष (भाजपा) को इसका स्वागत करना चाहिए था, लेकिन यहां उल्टी-गंगा बह रही है।”

मुख्यमंत्री के नेतृत्व में लगभग आज दिन भर चला प्रदर्शन शाम 7।40 बजे खत्म हुआ। राजभवन में अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिले जहां मुख्यमंत्री और लगभग 100 कांग्रेस विधायक धरने पर बैठे थे। विधायकों का कहना था कि जब तक राज्यपाल विधानसभा सत्र की घोषणा नहीं करते वे उठेंगे नहीं। ” विधायकों ने लॉन में बैठे सत्र बुलाने के लिए नारेबाजी की। जिसके बाद राज्यपाल ने बाहर आकर मुख्यमंत्री से कहा कि वे कानूनी राय ले रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है।

वही राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि वह संविधान के अनुसार ही काम करेंगे। मिश्र ने एक बयान में कहा कि सामान्य प्रक्रिया के तहत, सत्र को बुलाए जाने के लिए 21 दिन के नोटिस की आवश्यकता होती है। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें घोषणा करने से पहले कुछ बिंदुओं पर राज्य सरकार की प्रतिक्रिया की आवश्यकता थी। राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोई भी महत्वपूर्ण कारण और एजेंडा नहीं बताया जिससे कि विधानसभा का आपात सत्र बुलाया जाए।

राज्यपाल ने कहा कि जिस दिन विधानसभा का सत्र बुलाया जाना है, उसका उल्लेख कैबिनेट नोट में नहीं किया गया है और इसके लिए कैबिनेट द्वारा कोई मंजूरी नहीं दी गई है। बयान में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार को सभी विधायकों की स्वतंत्रता और उनकी सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।कलराज मिश्र की तरफ से कहा गया है कि  सरकार को COVID-19 संकट पर ध्यान देना चाहिए और सुझाव देना चाहिए कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए सत्र को कैसे आयोजित किया जाना चाहिए।

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