अनिल कुमार
पटना. विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र में जाने से भय लग रहा है. विशेषकर सत्ताधारी नेताओं को तो शामत नजर आ रही है। जिस चुनाव क्षेत्र में इस समय बाढ़ के कारण तांडव मचा हुआ है, वैसे क्षेत्रों में विधायकों को बाढ़ पीड़ितों ने जमकर क्लास ली है. जिसके कारण माननीयों को काफी फजीहत झेलना पड़ रहा है।
यह सब से कुछ अच्छी स्थिति विपक्षी दल राजद की है। उनके विधायक अपने क्षेत्र में विकास नहीं होने का ठीकरा सत्तापक्ष के ऊपर थोप कर जनता को शांत कर देते हैं। महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद जर्नादन सिंह सिग्रीवाल के साथ भी पिछले सप्ताह यही वाक्या देखने को मिला। सांसद सिग्रीवाल अपने क्षेत्र में बाढ़ राहत शिविरों में घोर अनियमितता की शिकायत मिलने पर जांच के लिए गए थे पर जांच की तो बात दूर रही, इनके सामने ही दो पक्षों में लात जूता और कुर्सियां तोड़ी गई। जिसके कारण काफी अफ़रा-तफ़री मच गई और सांसद बैरंग वापस लौट गए।
जनता के विरोधों के बावजूद सांसदों और विधायकों का क्षेत्रों का दौरा करना मजबूरी बन गई है। अब आने वाले समय जब बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा किसी भी समय चुनाव आयोग कर सकती है तो इस मजबूरी में माननीयों लोगों ने भी अपनी ताकत झोंकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। कोरोना और बाढ़ के तांडव से बिहार की जनता त्रस्त हो गई है और कोरोना के शुरुआती दिनों में कोई भी सांसद और विधायक अपने क्षेत्र में जनता का हालचाल पूछना भी मुनासिब नहीं समझते थे। जिसके कारण अभी माननीयों को जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है।
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