आदिल अहमद/मो० कुमेल
कानपुर। जुआ समाज के लिए एक कलंक है। जुआ सभ्य समाज मे एक पाप है। जुआ समाज को खराब करता है। जुआ एक ऐसा नशा है जिसकी लत जल्दी नही छूटती। जुआ खेलना और खिलवाना दोनों क़ानून अपराध है, इसके बाद भी शॉर्टकट में अमीर बनने की चाहत लिए लोग जुआ खेलते हैं, और रातोंरात बने अमीर बनने का सपना सजा लेटे है। लेकिन एक बार नज़र उठाकर देखिए कि जुआ खेलने वाला कभी अमीर नही हुआ, लेकिन खिलवाने वाला अमीर बन जाता है।
थाना रायपुरवा क्षेत्र में सट्टे का संचालन करने वाले कोई और नहीं बल्कि तीन सगे भाई है। जिनको लोग कहते हैं मत्ती, मंझे, सुल्ली, विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन भाइयों ने आपस मे अपनी अपनी जिम्मेदारियों को बाट रखा है। एक भाई सट्टे की पर्चियां एकत्रित करके सट्टा लगवाता है। तो वहीं दूसरा भाई इस काले कारोबार का गुणा भाग कर खाता मेनटेन करता है। वही तीसरा भाई छुट भईय्या नेताओ सहित कथित पत्रकार से मिलकर पुलिस को मैनेज करने की जिम्मेदारी को बख़ूबी निभाता है।
अब आपके मन भी यह सवाल उठ रहा होगा, और सवाल उठना भी लाज़मी है कि खुल्लम खुल्ला सट्टे का संचालन करने वाले मत्ती, मंझे, सुल्ली के खिलाफ कार्यवाही क्यूँ नही होती है ? क्या स्थानीय पुलिस को इस काले कारोबार की जानकारी नही है ? जबकि पुलिस अपने पर आ जाये तो यह तक पता कर लेती है कि आज आपकी रसोई में क्या पका है। मगर सवाल के जवाब में यही सुनने को मिलता है कि प्रकरण अभी अभी संज्ञान में आया है। मामले की जाँच कर कार्यवाही होगी। वैसे कार्यवाही के तौर पर दो चार छुटभाइयो को पकड कर कुछ नगद दिखा कर जुआ एक्ट में चालान होता है और फिर दुसरे दिन व छुट कर आ जाते है तथा कारोबार दुबारा शुरू हो जाता है। जबकि सूत्र बताते है कि इन तीनो भाइयो पर अभी तक कोई बड़ी पुलिस कार्यवाही नही हुई है। लाखो की संपत्ति जुआ खेलवा कर बना लेने वाले तीनो भाइयो पर पुलिस क्या कार्यवाही करेगी यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
अगले अंक में बताएंगे कि अनवरगंज थाना क्षेत्र में कार्यवाही के बाद भी आख़िर क्यूँ गुलज़ार है सट्टे का काला कारोबार। जुड़े रहे हमारे साथ। वैसे खबर प्रकाशन के बाद कथित पत्रकारों को बुला कर मत्ती फोटो पर अपनी सफाई पेश करने हेतु कहेगा। अपनी दाल रोटी का साधन बने मत्ती की सफाई में ये कथित कहेगे कि मत्ती पल्लेदारी (मजदूरी) का काम करता है और ठेका लेकर मजदूर देता है। वही पैसे गिनता हुआ फोटो है। वाकई अचम्भा नही होगा ये पढ़कर क्योकि इन कथित लोगो को खुद तो इतनी पहचान नही है कि किसको क्या साबित करे। वैसे ध्यान दीजियेगा थाना प्रभारी साहब, कोई एक पल्लेदार ऐसा ला दीजियेगा जो मत्ती की तरफ 5 हज़ार की टायटन की घडी पहन कर काम करता हो। वैसे घडी तो हम भी पहनते है वो भी 500 रुपयों की मगर वक्त वही बताती है जो 5000 वाली घड़ी बताती है।
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