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ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण: अदालत ने किया अगली सुनवाई की 23 तारीख मुक़र्रर, अदालत में दाखिल हुई विशाल सिंह की सील बंद सर्वे रिपोर्ट, अजय मिश्रा की सर्वे रिपोर्ट आई सवालो के घेरे में

तारिक़ आज़मी संग ए0 जावेद

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में आज सभी याचिकाओं की सुनवाई अदालत में महज़ 10 मिनट चली। इस सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में अगली तारीख मुक़र्रर कर दिया है। अदालत इस मामले में अब 23 तारिख को सुनवाई करेगा। अदालत में सर्वे कमिश्नर विशाल सिंह ने सील बंद लिफ़ाफ़े में जमा किया है। विशाल सिंह ने दावा किया है कि हमने रिपोर्ट निष्पक्षता के साथ बनाया है। इसके लिए हम तीन रातो से सोये नही है।

वही दूसरी तरफ विवादों में घिरे रहे सर्वे कमिश्नर अजय मिश्रा ने भी अपनी दो पेज की रिपोर्ट अदालत में जमा कर दिया है। इसके साथ ही रिपोर्ट अब सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है। जिसको लेकर तरह तरह के कमेन्ट भी किये जा रहे है। सर्वे कमिश्नर रहे अजय मिश्रा के द्वारा इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मौके पर देवगृह खंडित रूप में मिला है। साथ ही उन्होंने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि कमल के फुल आदि के निशाँन भी मिले है। इस रिपोर्ट की फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। जिसके ऊपर लोगो ने कई सवाल भी उठाये है।

7 मई को हुई कमीशन की कार्यवाही पर रिपोर्ट देते हुवे अजय मिश्रा ने दावा किया है कि सर्वे में कमीशन को मस्जिद की दीवारों पर मंदिरों जैसी कलाकृति मिली है। देव विग्रह के रूप में कुल चार आकृतियाँ दिखाई देने का दावा किया गया है। कहा गया है कि इन चार में एक आकृति में से एक आकृति साफ़ तौर पर मूर्ति जैसी दिख रही है। जिस पर सिंदूर की मोटी लेप लगाया गया है। साथ ही वहा एक त्रिकोणीय ताखा है जिस पर फुल रखे है।

इस सम्बन्ध में हमसे बात करते हुवे अंजुमन मसाजिद इन्तेज़मियां कमिटी ने के जॉइंट सेक्रेटरी एस0 एम0 यासीन ने कहा है कि सर्वे कमिश्नर अजय मिश्रा की निष्पक्षता सदेहास्पद रही है। हमने इसके ऊपर एतराज़ भी दाखिल किया था। आखिर वह बात हमारी सच भी साबित हुई और अदालत ने उन्हें हटाया भी। अब उनकी रिपोर्ट में साफ़ साफ़ उनकी संदेहास्पद निष्पक्षता ज़ाहिर हो रही है। अदालत से सर्वे रिपोर्ट का अध्यन करके आगे की कार्यवाही के सम्बन्ध में विचार होगा।

दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे मामले में वाराणसी की कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा को हटा दिया था। मिश्रा की निष्‍पक्षता पर सवाल उठने के बाद ये कदम उठाया गया था। इसके साथ ही कोर्ट ने बाकी दो कमिश्नरों को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो दिन की मोहलत भी दे दी थी। कोर्ट ने पाया था कि अजय मिश्र ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के लिए प्राइवेट वीडियोग्राफर रखा था, वे लगातार मीडिया में केस से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात रख रहे थे। जिसके चलते मिश्र को कार्यमुक्त करने का फैसला लिया गया।

पहले कोर्ट ने अकेले अजय मिश्रा को सर्वे करने की ज़िम्मेदारी दी थी। सिविल जज रवि दिवाकर ने सबसे पहले उन्हें ही कमिश्नर बनाया था। अजय मिश्रा ने दो दिन 6 और 7 मई को अकेले सर्वे की कार्यवाही की थी। बाद में मुस्लिम पक्ष की आपत्ति के बाद कोर्ट ने अजय मिश्रा के साथ विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह को नियुक्त कर सर्वे रिपोर्ट 17 मई को दाखिल करने के आदेश दिए थे।

क्या हुआ आज अदालत में

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सर्वे की रिपोर्ट आज एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह ने अदालत में दाखिल कर दी है। विशाल सिंह ने हमसे बात करते हुवे कहा है कि हमने सर्वेक्षण रिपोर्ट दाखिल कर दी है। अजय मिश्रा ने पिछली शाम को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। हमने ये रिपोर्ट बिना किसी पक्षपात के तैयार की है। पिछले तीन दिनों से हम सोए नहीं थे। 70 पेज की ये रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में है।

बता दें कि वकील अजय मिश्रा ने बुधवार की शाम को ही वाराणसी ज़िला अदालत में अपनी सर्वे रिपोर्ट सौंपी है। जो कि दो पन्नों की बताई जा रही है। उनके समय में हुई वीडियोग्राफ़ी और फ़ोटोग्राफ़ी पहले से ट्रेज़री के लॉकर में रखी है। बता दें कि कल अदालत में एक याचिका भी दायर की गई थी। जिसमें हिंदू पक्ष ने कोर्ट से आग्रह किया था कि अजय मिश्रा को उनकी सर्वे रिपोर्ट सौंपने की अनुमति दी जाए।

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