तारिक आज़मी
वाराणसी: बीमारियों से जूझते शहर बनारस ने अपनी उम्मीद की निगाहें जिलाधिकारी कौशल रजा शर्मा पर टिका रखा है। वर्ष 2021 को शायद हम कभी नही भूल पायेगे। जिलाधिकारी पंचायत चुनाव को शांतिपूर्वक करवाने के लिए व्यस्त थे और शहर बनारस साँसे लेने में तकलीफ महसूस कर रहा था। सभी जतन लोग कर रहे थे मगर कोरोना का प्रकोप था कि रुकने के नाम नही ले रहा था। उस समय पंचायत चुनाव से खाली हुवे जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बागडोर संभाला और शहर बनारस की साँसों को आक्सीज़न मुहैया करवाया था।
मगर परेशान हाल प्लेटलेट्स और एसडीपी तलाशते लोगो की ये भीड़ फिर आखिर क्या है इसका जवाब मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ संदीप चौधरी के पास महज़ ये है कि अलाइज़ा टेस्ट के बिना किसी को भी डेंगू पेशेंट्स नही कहा जा सकता है। बेशक बनारस में वायरल फीवर के पेशेंट्स है, जिनका प्लेटलेट्स डाउन है। बतौर सलाह डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि थोडा भी फीवर सर्दी ज़ुकाम होने पर लिक्विड लेते रहे, पानी, नारियल पानी और जूस का सेवन करे। बिना चिकित्सक के सलाह खुद से कोई दवा न ले। हर प्रकार के टेस्ट सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है आप उन सुविधा का लाभ ले।
क्या है एसडीपी और प्लेटलेट्स की मांग
अगर प्लेटलेट्स और एसडीपी की मांग पर गौर करे तो जिस अनुपात में आपूर्ति हो रही है वह दो में से एक बात को गलत साबित करती है। या तो गलत स्वास्थ विभाग के आकडे है अथवा फिर वो चिकित्सक गलत है जो मरीजों से प्लेटलेट्स चढाने की सलाह देकर मांग कर रहे है। प्लेटलेट्स और एसडीपी की डिमांड पर गौर करे को आईएमए वाराणसी के डॉ0 गौतम सेन आकड़ो पर गौर करते हुवे बताते है कि पिछले सप्ताह ही एसडीपी (सिंगल डोनर प्लेटलेट्स) की कुल 350 यूनिट से अधिक मांगो की पूर्ति किया गया है। वही प्लेटलेट्स की मांग पर उन्होंने बताया कि 150 यूनिट से लेकर 200 यूनिट तक रोज़ मांग आ रही है जिसकी हमारे द्वारा आपूर्ति किया जा रहा है। इतनी मांग प्लेटलेट्स और एसडीपी की क्यों है पर उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार किया और कहा कि इसके लिए आप सीएमओ से बात करे।
क्या हाल है मच्छर रोधक दवाओं के छिडकाव हेतु फागिंग मशीन का
शहर बनारस में मच्छर भगाने की दवाओं के छिडकाव हेतु नगर निगम की फागिंग मशीन की बात करे तो यहाँ भी आकडे ज़मीनी हकीकत पर दिखाई नही दे रहे है। एक तो सिर्फ महज़ धुँआ फेकती मशीनों में दवाओं की स्थिति सवालिया निशाँन लगाती है। दूसरी तरफ नगर निगम के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 एमपी सिंह के दावो को माने तो इस मेहनतकश अधिकारी ने बताया कि जो नए इलाके नगर निगम में जुड़े है वहा दवाओं का छिडकाव थोडा कम है। मगर शहर के अन्दर हर एक-दो दिनों के में मशीने जा रही है और शाम होने पर दवाओं का छिडकाव इन फागिंग मशीन के द्वारा हो रहा है।
फगिग मशीन से दवा छिडकाव में सियासत ने कर रखा है बुरा हाल
अब अगर इस बयान पर गौर करे तो डॉ0 एमपी सिंह की गिनती स्पष्ट बात करने वाले अधिकारियो में होती है। मगर ज़मीनी हकीकत थोडा अलग है। मशीने आती तो ज़रूर है मगर इलाकाई सियासत ने उनके ऊपर कब्ज़े कर रखे है। नगर निकाय चुनावों के नज़दीक आने के बाद से हर नुक्कड़ पर चार नेता दिखाई दे जा रहे है जो नगर निकाय चुनाव में ताल ठोकने के लिए तैयार खड़े है। मशीनों के मार्गदर्शक बनकर ये उनके आगे आगे चलते है और इन मशीनों की पहुच केवल उन्ही इलाकों तक हो जाती है जहा से उनके समर्थक होते है।
नगर निगम की आई हुई फगिग मशीने भी लोगो को अपने मत से ताल्लुक रखती हुई दिखाई देती है। कई इलाकों में तो स्थिति ऐसी है कि अगर स्थानीय नेता को जानकारी दिए बिना फगिग मशीन घूम जाती है तो नेता लोग नाराज़ हो जाते है और सुपरवाइज़र से शिकायत करने लगते है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। मशीन पीछे पीछे चलती है और नेता जी अथवा उनके कारिंदे आगे आगे उसको मार्गदर्शन करवाते है। ये हाल सबसे बुरा कर रखा है सियासत ने। अब नगर निगम के कर्मचारियों को काम करना है तो नेता लोगो की मनना पड़ता है।
बहरहाल जो भी हो अजीब-ओ-गरीब सियासत हमेशा सवालों के घेरे मे रहती है। हमारा तस्किरा उस जानिब तो जाएगा ही नही। मगर बीमार होता शहर बनारस बड़ी ही उम्मीद के साथ जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के तरफ देख रहा है। ये वायरल है अथवा डेंगू है इस बहस का हिस्सा न बनकर शहर को बिमारी से मुक्त करवाने के लिए हमको देखना होगा। हाल ऐसे है कि बड़े चिकित्सक और प्रतिष्ठित अस्पताल छोड़े जो 20 रुपया में दवा और दुआ दोनों दे देते है ऐसे लोगो के दूकान के आगे लम्बी लाइन सुबह से लेकर दोपहर तक और शाम से लेकर देर रात तक लगी रह रही है। आईएमए के आसपास तो बाइक और अन्य वाहनों की कतार है। ऊपर बैठने की जगह नही है तो लोग नीचे चबूतरो पर बैठ कर अपना नम्बर आने का इंतज़ार कर रहे है। कोई माने चाहे न माने मगर हकीकत तो यही है कि शहर बीमार है।
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