तारिक खान
डेस्क: हिडेनबर्ग की रिपोर्ट के बाद जहा एक तरफ अडानी का विश्व स्तर पर फैला कारोबार काफी नुक्सान में पहुचता दिखाई दे रहा है। वही दूसरी तरफ शेयर्स के भाव लगातार गिरते ही जा रहे है। मुश्किलों के दौर से गुज़रते हुवे अडानी को कई झटके शुक्रवार देकर गया है। जिसमे NSE ने उनके तीन स्टॉक को निगरानी में डालने की घोषणा सहित अमेरिकन शेयर बाज़ार डाओ जोंस से अडानी इंडस्ट्रीज़ को हटाने जैसे फैसले का आना था। अब एक और बड़ी खबर अडानी ग्रुप के लिए बांग्लादेश से सामने आ रही है। जिसमे बांग्लादेश में पॉवर सप्लाई का अडानी द्वारा किया गया समझौता अब खतरे में दिखाई दे रहा है। जिसमे बांग्लादेश ने बिजली खरीद समझौते में बदलाव की मांग किया है।
यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ बांग्लादेश की खबर के अनुसार बीपीडीसी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘हमने समझौते में संशोधन के लिए भारतीय कंपनी से संपर्क किया है।’ उन्होंने इस बारे में ज्यादा ब्योरा नहीं दिया। समझौते पर मूल रूप से नवंबर 2017 में हस्ताक्षर किए गए थे। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक, भारत के झारखंड में अडानी के संयंत्र के लिए खरीदे जाने वाले कोयले की अत्यधिक कीमत विवाद की मुख्य वजह बनकर उभरी है।
यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ बांग्लादेश के अनुसार, ‘कथित तौर पर उच्च कीमत इसलिए है क्योंकि बिजली खरीद समझौते में कोयले के लिए कोई छूट का प्रावधान नहीं है। गोड्डा संयंत्र के लिए कोयले की वार्षिक आवश्यकता 7-9 मिलियन टन होने का अनुमान है। लेकिन छूट के प्रावधान को हटाए जाने को देखते हुए एक बार सभी छिपी कीमतें टैरिफ में जुड़ने के बाद बांग्लादेश अंतत: अडानी पावर को 20-22 रुपये प्रति यूनिट बिजली का भुगतान करेगा।’
यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ बांग्लादेश के अनुसार, उसको एक सूत्र ने बताया है कि ‘विवाद का मुख्य मुद्दा कथित तौर पर परियोजना के लिए खरीदे जाने वाले कोयले की कीमत है। झारखंड में 1,600 मेगावाट संयंत्र के लिए ईंधन के रूप में उपयोग किए जाने वाले कोयले को आयात करने के लिए एलसी (भारत में) खोलने के संबंध में प्राप्त अनुरोध के बाद हमने अडानी समूह को एक पत्र भेजा है।’ इससे पहले अडानी पावर ने उससे अनुरोध किया था कि झारखंड के गोड्डा में 1,600 मेगावॉट क्षमता वाले संयंत्र के लिए कोयले का आयात करना है। संयंत्र में उत्पन्न लगभग सभी बिजली बांग्लादेश को निर्यात की जानी है। इसके परिवहन सहित कोयले की लागत बांग्लादेश द्वारा वहन की जानी है। इस कोयले की कीमत को बिजली खरीद समझौते में शामिल किया जाना था।
यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ बांग्लादेश के अनुसार, अडानी पावर को बीपीडीबी से एक डिमांड नोट की आवश्यकता होती है, जिसे वह कोयले के आयात के खिलाफ एलसी खोलने से पहले भारतीय अधिकारियों को पेश कर सकता है। बीपीडीसी के एक अनाम अधिकारी ने यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ बांग्लादेश को बताया है कि ‘हमारे अनुसार उनके द्वारा बताई गई कोयले की कीमत (400 अमेरिकी डॉलर प्रति टन) बहुत अधिक है। यह 250 डॉलर प्रति टन से कम होनी चाहिए, जो हम अपने दूसरे ताप बिजली संयंत्रों में आयातित कोयले के लिए भुगतान कर रहे हैं।’
बीपीडीबी अधिकारी ने कहा, ‘इसकी तुलना बांग्लादेश में कोयले से चलने वाले संयंत्रों से खरीदी गई बिजली के लिए भुगतान की गई कीमत से करें, जो 12 टका प्रति यूनिट से कम है।’ बीपीडीबी के अधिकारियों ने कहा कि अगर कोयले की कीमतों में बदलाव नहीं किया गया तो बांग्लादेश के लिए गोड्डा संयंत्र से बिजली खरीदना असंभव हो जाएगा। भारत में समझौते में संशोधन की बांग्लादेश की मांग के बारे में पूछने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने दिल्ली में कहा कि यह एक संप्रभु सरकार और एक भारतीय कंपनी के बीच का सौदा है। उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि आप एक संप्रभु सरकार और एक भारतीय कंपनी के बीच एक सौदे का जिक्र कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि हम इसमें शामिल हैं।’ यह पूछने पर कि क्या यह द्विपक्षीय संबंधों के दायरे में नहीं आता है, उन्होंने कहा कि सरकार व्यापक तौर पर आर्थिक एकीकरण और पड़ोसी देशों के साथ संपर्क जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है।
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