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10 माह जेल में सज़ा का गुज़ार कर नवजोत सिंह सिद्धू हुवे जेल से रिहा, बोले ‘जब जब तानाशाही आई है, क्रांति आई है, उस क्रांति का नाम है राहुल गाँधी

ईदुल अमीन

डेस्क: तीन दशक पुराने रोड रेज़ केस में 10 महीने जेल में गुज़ारने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू आज शनिवार देर शाम को पटियाला जेल से रिहा हुवे। जेल से बहार आने के बाद जो उनकी रिहाई दोपहर में होनी थी, वह देर शाम होने पर उन्होंने कहा कि जेल प्रशासन चाहता था कि मीडिया के लोग चले जाए इस वजह से विलम्ब हुआ है। बताते चले कि सिद्धू देश के जाने माने पूर्व क्रिकेटर है और पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके है।

नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि जब-जब तानाशाही आई है तो एक क्रांति भी आई है और इस बार इस क्रांति का नाम राहुल गांधी है। उन्होंने कहा, ”हम सरकार को हिला कर रख देंगे।” सिद्धू ने कहा, “संविधान को मैं अपना ग्रंथ मानता हूं। तानाशाही हो रही है। जो संस्थाएं संविधान की ताकत थी वही आज गुलाम बन गई हैं। मैं घबराता नहीं हूं।” उन्होंने कहा, “मैं मौत से डरता नहीं हूं क्योंकि मैं जो करता हूं वो पंजाब की अगली पीढ़ी के लिए है।अभी लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है। पंजाब में राष्ट्रपति शासन लाने की साजिश की जा रही है, अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।”

बताते चले कि बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल की सज़ा सुनाई थी। पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट के 2018 के सिद्धू को बरी करने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के अपने फ़ैसले में नवजोत सिंह सिद्धू को गैर-इरादतन हत्या के आरोपों से बरी करते हुए तीन साल की सज़ा को एक हज़ार रुपए के जुर्माने में बदल दिया था।

पूरा घटनाक्रम यह था कि 27 दिसंबर 1988 को पटियाला की एक पार्किंग में सिद्धू की 65 वर्षीय गुरनाम सिंह के साथ मारपीट हुई थी। बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। सिद्धू पर ग़ैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज हुआ था। निचली अदालत ने सिद्धू को बरी कर दिया था लेकिन बाद में उच्च न्यायालय ने उन्हें दोषी ठहराते हुए तीन साल की सज़ा सुनाई थी। इस मामले में सरकार की तरफ से मुकदमा लड़ने वाले लोक अभियोजक ने अदालत में दावा किया था कि घटना के दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर सिंह संधु पटियाला के शेरनवाला गेट के पास एक जिप्सी में जा रहे थे। वहीं पीड़ित गुरनाम सिंह दो अन्य लोगों के साथ मारूति कार में यात्रा कर रहे थे।

वाहन हटाने को लेकर नवजोत सिद्धू और उनके साथी का गुरनाम सिंह से विवाद हो गया था। इस दौरान गुरनाम सिंह गिर गए थे और बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक घटना के बाद नवजोत सिंह सिद्धू और उनका दोस्त फरार हो गए थे। बाद में मृतक के परिजनों की शिकायत पर सिद्धू और उनके दोस्त के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया था। निचली अदालत से बरी होने के बाद मामला उच्च न्यायालय पहुंचा था जहां 2006 में सिद्धू और उनके दोस्त को तीन-तीन साल की सज़ा सुनाई गई थी। दोनों पर एक-एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया था। हाई कोर्ट के फ़ैसले को सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में ये दावा करते हुए चुनौती दी थी कि गुरनाम सिंह की मौत को लेकर डॉक्टरों की राय स्पष्ट नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में सिद्धू को दोषमुक्त कर दिया था। दूसरे पक्ष ने इसके ख़िलाफ़ अपील दायर की थी। इसी अपील पर अब अदालत ने सिद्धू को दोषी क़रार दिया है और एक साल की सज़ा सुनाई गई है।

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