घूरे के भी दिन फिरते है , मगर यूपी की सड़को के नही

अंजनी राय 

बलिया । सड़कों को गड्ढा मुक्त कराने हेतु प्रदेश सरकार का आदेश हवा-हवाई साबित हो गया है. इस काम के लिए तय समय सीमा 15 जून समाप्त हो गया. बावजूद इसके तहसील क्षेत्र  सिकंदरपुर के अधिकांश खस्ताहाल मार्ग जस के तस पड़े हुए हैं. लोग पूर्व की भांति उन पर आवागमन की कठिनाई झेलने को विवश है।

सरकारी आदेश जारी होने के बाद लोगों में जगा खुशी का भाव समय सीमा ख़त्म होने के बाद अब निराशा में बदल गई है. कारण कि मानसून सर पर है और बारिश के दौरान खस्ता हाल मार्ग का निर्माण कार्य शायद ही हो पाए. लोग प्रदेश सरकार के मंशा की सराहना तो कर रहे हैं किंतु इस मामले में बरती गई  प्रशासनिक सुस्ती से उन में आक्रोश व्याप्त है. क्षेत्र के कीकोढ़ा बरवां नहर मार्ग को ही लें तो वर्षों से उपेक्षित है, यह खस्ताहाल हो गया है. ढाई दशक पूर्व पक्का किए गए इस मार्ग की गिट्टियां जगह जगह से उखड़ गई हैं। गिट्टियों के उखड़ने पर बने गड्ढे अक्सर दुर्घटना का सबब बन रहे हैं। इस मार्ग पर चलना दुर्घटना को दावत देने के समान हो गया है।
इससे कम बदतर हालत थाना से बस स्टेशन चौराहा तक आने वाले नहर मार्ग का नहीं है। यह मार्ग पूरी तरह गड्ढे में तब्दील हो गया है। बारिश के दिनों में मार्ग पर कीचड़ व पानी भर जाने से आवागमन ठप पड़ जाता है। धन की स्वीकृति के बावजूद इसका निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया। हथौंज चट्टी नं.दो से अजऊर गांव को जाने वाले तथा बसारीकपुर  से सीसोटार जाने वाले बंधा मार्ग की दशा भी काफी खराब है।

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