दालमंडी – पहलवानी के वर्चस्व से लेकर अपराध के वर्चस्व तक. भाग – 6, आतंक का दूसरा नाम था रईस बनारसी

तारिक आज़मी

वाराणसी. दालमंडी पहलवानी के वर्चस्व से लेकर अपराध के वर्चास्व तक की हमारी कड़ी 5 तक ही पहुची थी और अब हम क्षेत्र के सफ़ेद लिबास में बैठे लोगो के ऊपर नज़र दौडाने की सोच ही रहे थे की कानपुर से लेकर वाराणसी तक अपराध जगत में तेज़ी से उभर रहा रईस बनारसी आज अज्ञात मौत मारा गया. इस मौत को भले अभी पुलिस पड़ताल कर रही है और कडियों से कडिया मिला रही है मगर कहानी तो रईस बनारसी की कही और से ही शुरू हुई थी. आइये आज आपको इस कड़ी में रईस बनारसी के नाम से कुख्यात रईस सिद्दीकी के सम्बन्ध में कुछ ऐसी बाते बताते है जो उसके पारिवारिक सूत्रों के आधार पर पता चली है जिसको जान कर आप हैरान हो जायेगे.

कुख्यात रईस बनारसी और राकेश अग्रहरी

कहा का था रईस बनारसी.

मृतक कुख्यात अपराधी रईस बनारसी

रईस बनारसी कोई खानदानी अपराधी हो ऐसा नहीं था, मगर बाद में अपराध जगत में वह आतंक का पर्याय बन गया था. रईस बनारसी का जन्म वाराणसी के जनता अस्पताल में हुआ था. वाराणसी के गणेश मोहाल में उस समय उसके पिता मस्जिद के मुअज्ज़ींन (अज़ान देने वाले) थे. ५ अन्य भाइयो के साथ रईस के एक बहन थी जिसकी शादी आज से लगभग 8 साल पहले हुई थी. रईस बनारसी के पिता मौलाना थे और समाज में उनकी इज्ज़त भी थी. जनता अस्पताल में इसके पैदा होने के बाद उन्होंने सबको मिठाई भी खिलाया होगा. रईस बनारसी पैदा तो वाराणसी में हुआ था मगर उसका बचपन उसके बड़े भाई के साथ कानपुर में गुज़रा. उसका बड़ा भाई कानपुर में राजमिस्त्री का काम करता था. उसी के साथ उसका एक अन्य भाई नौशाद रहता था. यह वह समय था जब कानपुर में बिल्लू गुट का राज चलता था. जल्द पैसा कमाने के चाहत में नौशाद अपना अलग गुट चलाने लगा था. इसी दौरान नौशाद की एक गैंगवार में मौत हो गई और रईस बनारसी उसका बदला लेना चाहता था.  यही से रईस बनारसी कानपुर में आतंक का पर्याय बनकर उभर गया.

शानू ओलंगा हत्याकाण्ड में मौके पर का फोटो इस फोटो में हेलमेट लगाये हाथो में असलहा लिये रईस बनारसी और दूसरा उसका साथी. गिरी हुई मोटरसायकल के पास पड़ा है मृत शानू ओलंगा

क्या किया पुलिस ने 

कानपुर में कुछ दिन पहले बतौर एसएसपी चार्ज लेने के बाद अनंत देव ने रईस को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस के तेज-तर्राक अफसरों की टीम बनाई थी। साथ ही रईस के घर के बाहर मुनादी कर उसे सरेंडर के लिए कहा गया। अनंत देव की पहचान इनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में जानी जाती है और इन्होंने 60 से ज्यादा खूंखार अपराधियों को अपनी गोली का शिकार बनाया है। इनमें ददुआ, ठोकिया और बलखड़िया जैसे पाठा के खतरनाक डकैत भी शामिल हैं।

बनारस पुलिस की कस्डटी से हुआ था फरार

रईस बनारसी तीन साल पहले बनारस की जिला जेल से बरेली शिफ्ट करते वक्त रास्ते में पुलिस वैन से कूदकर भाग निकला था। रई के खिलाफ बनारस में भी कई मुकदमे दर्ज थे और उन मुकदमों में पेशी के लिए उसको बनारस जेल शिफ्ट कर दिया गया था। बनारस जेल से उसको 23 अक्टूबर 2015 को बरेली जेल शिफ्ट किया जा रहा था। उसको पुलिस की एक गारद के साथ भेजा गया था, लेकिन वह पुलिस को गच्चा देकर भाग गया। पुलिस ने लिखा पढ़ी में उसको शाहजहांपुर से फरार दिखाया था, लेकिन जानकार लोगों की माने तो वह कानपुर से भागा था। उसने पुलिस कर्मियों को कानपुर में माशूका से मिलवाने का लालच दिया था. जिसके झांसा में आकर वे उसको कानपुर लेकर आ रहे थे और वह कानपुर के बार्डर से भाग गया। इसमें गारद के सभी पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया था। जो अभी तक सस्पेंड है.

रईस बनारसी शानू ओलंगा हत्याकाण्ड में गोली मारने के बाद काफी वक्त तक रुका रहा. फोटो साभार आईनेक्स्ट

कानपुर में है उसकी माशुका 

मोस्ट वांटेड बनारसी की माशूका कानपुर शहर में ही रहती है। इसके चलते उसका शहर में आना जाना लगा रहता था। उसने फरार होने के बाद कई दिनों तक शहर के ढकनापुरवा में ही माशूका के घर में रहकर फरारी काटी थी, लेकिन पुलिस को भनक लगने पर वह भाग गया था। इससे पहले तत्कालीन एसएसपी शलभ माथुर को इसकी भनक लग गई थी। उन्होंने बनारसी की धरपकड़ के लिए टीम भी लगाई थी। जिसका जूही ढाल के पास बनारसी से सामना हुआ था। पुलिस टीम बनारसी को पकड़ पाती कि इससे पहले बनारसी ने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी थी, जिसमें एक दरोगा गोली लगने से घायल हो गया था और बनारसी इसी का फायदा उठाकर भाग गया था। बीते साल तत्कालीन एसपी पूर्वी अनुराग आर्या ने भी बनारसी की लोकेशन मिलने पर तलाक महल में छापा मारा था, लेकिन वह पुलिस के पहुंचने से पहले ही वहां से भाग चुका था।

जब तक वहा हत्यारे खड़े थे कोई पास तक नही आया था. हत्यारों के जाने के बाद इस तरह जनता ने उठाया था मृत पड़े शानू ओलंगा को

डीआईजी आफिस के पास मारी दुसाहसिक रूप से शानू ओलंगा को गोली 

29 नवंबर 2011 को डीआईजी ऑफिस के पास दिनदहाड़े राजकुमार बिंद उर्फ मामा के साथ अपने दुश्मन और डी-2 गैंग के संचालक शानू ओलंगा को रईस ने गोलियों से भून दिया था।.यह हत्या इतनी दुस्साहसिक थी कि इस हत्याकांड के मौके के फोटो तक मीडिया में उपलब्ध हो गये थे. बीच सड़क बहुत ही इत्मिनान के साथ गोली मार कर तब तक इंतज़ार किया था जब तक वह यकींन नही कर सका की शानू ओलंगा मर गया है. शानू ओलंगा भी उस समय कानपुर में आतंक का पर्याय माना जाता था. इस हत्या के बाद रईस बनारसी शहर में आतंक का पर्याय बन गया और फिर जम कर शहर में रईस बनारसी के नाम से ही वसूली होना शुरू हो गई थी.

इस हत्या के बाद वो बनारस भाग आया और एक दूसरे मामले में आदमपुर पुलिस ने इसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लेकिन तीन साल पहले पुलिस कस्टडी से भागने के बाद वो फिर हत्थे नहीं लगा। रईस बनारसी कानपुर के सुपरी किलर मोनू पहाड़ी से हाथ मिला लिया और उसके गैंग की कमान संभाल ली। चर्चाओ की माने तो रईस बनारसी शानू ओलंगा की हत्या के बाद मुन्ना बजरंगी गैंग का सदस्य बन गया था, जानकार सूत्रों की बात करे तो  मोनू पहाडी, रईस बनारसी  को मुन्ना बजरंगी से मिलवाने वाला दालमंडी नई सड़क का एक बिल्डर है।

कानपुर के हीरामन पुरवा का रहने वाला है रईस

शहर के अनवरगंज स्थित हीरामन का पुरवा से जरायम की दुनिया में पैर रखने वाले रईस सिद्दीकी उर्फ रईस बनारसी को प्रदेश के बड़े क्रिमिनल्स के तौर पर जाना जाता है। भाई की हत्या के बाद इसने बनारस के राजेश अग्रहरी, राजकुमार उर्फ गुड्डू मामा, बच्चा यादव, अवधेश सिंह ,बाले पटेल, पंकज उर्फ नाटे और कटेसर (रामनगर) के जावेद खां को मिलाकर एक गैंग बना लिया। इसके बाद शानू ओलंगा की हत्या के बाद तो इसका जरायम की दुनिया में सिक्का चलने लगा. सूत्रों की माने तो इसने दालमंडी में अपने पैर जमाने के लिए कंस्ट्रक्शन लाइन में अपने वसूली के पैसे को लगाने लगा. कही संपत्ति  विवादित हो तो उसको इसके पार्टनर खरीद लेते थे और फिर रईस बनारसी के नाम पर उक्त भवन को खाली करवा लिया जाता अथवा उसका कब्ज़ा मुक्त करवा लेते थे.

बड़ी वसूली करता था

कानपुर में एक बेकारी संचालक से 5 लाख की फिरौती की मांग के मामले में इसके एक साथी जो एक अंडा रोल के नाम से मशहूर है और दलेलपूर्वा में उसकी दूकान भी है. अगर चर्चाओ को आधार माने तो कानपुर में सभी वसूली इसी के द्वारा होती रही है. कभी सबूत न मिल पाने के वजह से पुलिस इसके ऊपर हाथ नहीं डाल सकी. इसी दौरान गैंग चलाने के लिए रईस ने लूट व हत्या के साथ मुंगेर (बिहार) से विदेशी असलहों की तस्करी शुरू कर दी थी।

अस्पताल में देर रात दिखे आंसू बहते सफ़ेदपोश दालमंडी के बिल्डर

रईस बनारसी बनारस में अनजान मौत मारा जा चूका है. उसके परिजनों ने उसकी शिनाख्त कर लिया है. इस बीच देर रात जब पुलिस की आमदरफत थोडा कम हुई तो अस्पताल परिसर में मुह छुपा कर रोते हुवे कई सफ़ेद पोश दिखाई दे रहे है. कुछ तो इस तरह आंसू बहा रहे है जैसे उनके परिवार का सदस्य कोई मर गया हो. जबकि सार्वजनिक जीवन में इनका रईस बनारसी से किसी प्रकार का कोई लेना देना नहीं था. मगर साहब आंसू है उनके कि रुकने का नाम ही नही ले रहे है. इन आंसू बहाने वालो में दालमंडी क्षेत्र के अचानक उभरे 2 बिल्डर भी दिखाई दे रहे थे. मगर इनके आंसू सार्वजनिक नही थे. ये कोने में जाकर आंसू पोछते दिखाई दे रहे थे. अचानक पत्रकार को देख ये धीरे से सरक कर कही और कोने में दुबक चुके थे. आस पास की दुकानों पर दालमंडी के एक अन्य बिल्डर के परिवार के सभी सदस्य दिखाई दे रहे थे.

बिल्डिंग लाइन में थे उसके साझीदार.

रईस बनारसी वैसे तो सामने से काम नहीं करता था मगर निर्माण के क्षेत्र में उसके तीन साझेदार थे. अगर सूत्रों की माने तो इस दौरान उसने अपने साझीदारो के साथ मिलकर दो भवन का निर्माण इस क्षेत्र में करवाया था. जानकारों द्वारा मिली जानकारी को अगर आधार माने तो रईस अपने काली कमाई को निर्माण क्षेत्र में लगता था. जिस दौरान वह वाराणसी जेल में बंद था तो नित नये कपडे और जुते तो कभी फल लेकर पहुचने वाला इसका चेला आज बिल्डर बन बैठा है. सूत्रों की माने तो इसके नाम से ही रईस बिल्डर लाइन में अपना पैर जमा रहा था, रईस के नाम पर शहर में वसूली भी होती थी. मगर इसकी शिकायत कभी पुलिस तक नही पहुची और न ही पुलिस को इसकी भनक लग सकी थी. रईस की वसूली मुख्यतः इसके वही साथी करते थे जो बिल्डर का ठप्पा लगा कर आज बैठे हुवे है. चर्चा तो यहाँ तक है कि वाराणसी में इन्ही लोगो के पास आकर वह रहता था.

बहन के शादी में खर्च किया था लाखो रुपया

रईस के परिजनों से करीबी सूत्र की माने तो रईस की इकलौती बहन की शादी आज से लगभग ८ साल पहले हुई थी. इस शादी में रईस ने दसियों लाख रुपया खर्च किया था. शादी की शान बढाने के लिये लुका छिपी के खेल के साथ कुछ सफेदपोश भी आये हुवे थे. जिन्होंने बड़े तोहफे भी दिये थे. इन सब के बीच आज से लगभग तीन वर्ष पूर्व रईस के पिता ने उसको लादावा लिख दिया था. आज भी अस्पताल में बेटे की लाश देखने आये रईस के पिता तनिक भी बेटे के गम में नहीं दिखाई दिये और उनको कहते हुवे सुना गया कि बुरे काम का बुरा नतीजा होता ही है. हर अपराधी का एक दिन ऐसा ही अंजाम होता है.  

इन बड़ी वारदातों में था शामिल

रईस पर बनारस और कानपुर में एक दर्जन से ज्यादा मुकदमें हैं। इनमे कोतवाली, सिगरा, भेलूपुर, जैतपुरा, आदमपुर कोतवाली में हत्या, लूट, हत्या के प्रयास के मुकदमे मेन हैं। रईस बनारसी प हथुआ मार्केट में पेट्रोल पंप मालिक लहिड़ी की हत्या कर 3.50 लाख की लूट का मामला दर्ज है। साथ ही शेख सलीम फाटक (चेतगंज) में लोहता के व्यापारी को गोली मारकर लूट के अलावा रामकटोरा के पास व्यापारी को गोली मार कर लूट का प्रयास का मामला भी इसके खिलाफ दर्ज है। लक्सा के पास व्यापारी को गोली मारकर दो लाख की लूट। मुखबिरी के शक में दशाश्वमेघ क्षेत्र में साथी दीपू वर्मा की हत्या। रेवड़ी तालाब के पास साड़ी कारोबारी संग दो लाख की लूट। वरुणापुल स्थित असलहा दुकान संचालक भाजयुमो नेता विवेक सिंह को गोली मारी थी। रईस पर इनके अलावा कई अन्य छोटे मामले भी दर्ज हैं।

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