आदिल अहमद
मुंबई: शिवसेना और भाजपा के बीच भले गठबंधन हो गया हो और महाराष्ट्र में दोनों पार्टी एक साथ चुनाव लड़ रही हो। मगर शिवसेना कोई भी मौका भाजपा पर हमला करने का नही छोड़ रही है। इस बार शिवसेना ने शनिवार का कहा कि चुनाव में खड़े न होने के बावजूद लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के सबसे बड़े नेता रहेंगे। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा कि आडवाणी की जगह शाह के चुनाव लड़ने को राजनीतिक रूप से ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय राजनीति के ‘भीष्माचार्य’ को ‘जबरन रिटायरमेंट’ दे दिया गया हो।
संपादकीय में कहा गया है, ‘लालकृष्ण आडवाणी को भारतीय राजनीति का ‘भीष्माचार्य’ माना जाता है लेकिन लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम नहीं है जो हैरानी भरा नहीं है। शिवसेना ने कहा कि घटनाक्रम यह दर्शाता है कि बीजेपी का आडवाणी युग खत्म हो गया है। आडवाणी वर्ष 91 में गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री रहे हैं। वह गांधीनगर सीट से छह बार जीते। अब शाह इस सीट से पहली बार संसदीय चुनाव लड़ रहे हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि आडवाणी को रिटायरमेंट के लिए विवश किया गया है।
शिवसेना ने कहा कि आडवाणी भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर पार्टी का रथ आगे बढ़ाया। लेकिन आज मोदी और शाह ने उनका स्थान ले लिया है। पहले से ही ऐसा माहौल बनाया गया कि इस बार बुजुर्ग नेताओं को कोई जिम्मेदारी न मिले। यही नहीं उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा जिसने कहा है कि गांधीनगर सीट आडवाणी से छीनी गई। शिवसेना ने कहा, कांग्रेस को बुजुर्गों के अपमान की बात नहीं करनी चाहिए।
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