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अधिवक्ताओं का दावा, सनबीम के चेयरमैंन दीपक मधोक का आवास है अवैध, नगर निगम ने निरस्त कर दिया है बहुत पहले ही इस ज़मीन का पट्टा

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। वाराणसी सनबीम स्कूल के चेयरमैन दीपक मधोक की मुश्किलें कम होने का नाम नही ले रही है। सनबीम के लहरतारा ब्रांच में हुवे बलात्कार की घटना के बाद एसआईटी के तीखे सवाल झेलते दीपक मधोक अभी इस मामले में घिरे ही दिखाई दे रहे थे कि इस दरमियान उनके खुद के आवासीय मकान का अवैध होने का मामला उभर कर सामने आ गया है। दीपक मधोक के विरोध वाराणसी के अधिवक्ताओं में आक्रोश पहले ही देखने को मिल रहा है। इस क्रम में बनारस बार के पूर्व महामंत्री नित्यानन्द राय ने कहा है कि दीपक मधोक जिस अराजी पर अपना भवन बनवा कर रह रहे है वह अवैध है और नगर निगम ने दीपक मधोक को किया पट्टा काफी पहले ही निरस्त कर दिया है।

बनारस बार के पूर्व महामंत्री नित्यानन्द राय और अन्य अधिवक्ताओं का आरोप है कि दीपक मधोक का मकान जिस अराजी पर बना है, उसका पट्टा नगर निगम ने पूर्व मे ही निरस्त कर दिया है, और अब नगर निगम उस जमीन को अपने कब्जे में लेगी। उन्होंने कहा कि नगर निगम को इसकी जानकारी हो गई है, अगर नगर निगम जानकारी होने के बाद भी इस मामले में कोई एक्शन नहीं लेता है तो यह निगम के अधिकारियो और सनबीम के चेयरमैन की आपस में कोई सांठगांठ होगी।

अधिवक्ताओं ने इस मामले की जानकारी वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल, डीएम कौशल राज शर्मा और नगर आयुक्त प्रणय सिंह को चिट्ठी के माध्यम से दी है। उन्होंने चिट्ठी के माध्यम से बताया है कि दीपक मधोक ने जिस आराजी नंबर 185/2 मौजा भेलुपुर, परगना देहात अमानत, तहसील सदर में मकान खड़ा किया है। उस संपत्ति का पट्टा नगर निगम ने बहुत पहले ही खारिज कर दिया था। अधिवक्ताओं ने बताया कि उनको दीपक मधोक के इस अवैध मकान की जानकारी नगर निगम की फाइल का मुआयना करने के बाद मिली। प्रापर्टी रजिस्टर नंबर 45 के पेज संख्या 22 पर सिरियल नंबर 264 पर दर्ज जानकारी के अनुसार दीपक मधोक के पक्ष में जारी पट्टे को निरस्त दिखाया गया है। अधिवक्ताओं ने प्रत्यावेदन मे यह भी आरोप लगाया है कि जब पट्टा निरस्त हो गया तो नगर निगम के अधिकारियों ने अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं किया है?

अधिवक्ताओं ने कहा कि सारी जानकारी होने के बाद भी इस मामले को लेकर नगर निगम के अधिकारियों ने उस ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं किया जाना बड़ा ही गम्भीर लग रहा है। उन्होंने मांग किया है कि इस केस की जांच हो। अधिवक्ताओं का कहना है कि अगर कार्यवाही नहीं हो रही है, तो इसका मतलब इसमें दीपक मधोक और नगर निगम की मिली भगत है। प्रशासन ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों की जवाबदेही तय करते हुए उन्हें सजा दे। इस मामले में अधिवक्ता नित्यानन्द राय के अलावा मिलिंद श्रीवास्तव, वीरेंद्र सिंह, रमेश चक्रधर, बृजेश दीक्षित आदि ने वाराणसी के डीएम की अनुपस्थिति सिटी मजिस्ट्रेट को अपना प्रत्यावेदन सौंपा है।

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