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तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ: दिल्ली पुलिस ने कहा वह “बड़ी मछली” के करीब है, सवाल है कि अगर दिल्ली पुलिस ने किया होता #SulliDeals पर कार्यवाही, तो आज #BulliBai, #BulliDeals का वजूद नही रहता

तारिक़ आज़मी

मुंबई पुलिस द्वारा ‘बुली बाई’ ऐप की जांच के कुछ ही दिनों के भीतर की गई गिरफ्तारीयो ने उसको चर्चा प्रदान कर दिया है। वही दिल्ली पुलिस अपने ऊपर लग रहे सवालो के जवाब में केवल एक शब्द कहकर काम चला रही है कि “हम बड़ी मछली को पकड़ने के काफी करीब है।” दरअसल ये “बड़ी मछली से उसका तात्पर्य ऐप के निर्माणकर्ता के रूप में है। मगर यहाँ सवाल उठाना वाजिब है कि वर्ष 2018 से जिस “बड़ी मछली” को दिल्ली पुलिस नही पकड़ पाई है उसको आज अचानक कैसे पकड़ने की बात कह रही है।

दरअसल पुलिस सूत्रों की माने तो दिल्ली पुलिस के सूत्रों कहते है कि “बड़ी मछली” के पीछे वह पिछले 6 महीनो से है। इस “बड़ी मछली” यानी ऐप के निर्माता को पकड़ने के लिए पुलिस पूरा जाल बिछाए हुवे है। दिल्ली पुलिस का मानना है कि “बुल्ली बाई” मामले में मुंबई पुलिस द्वारा) गिरफ्तार किए गए दो लोग प्रचारक हैं न कि निर्माता। उनकी भूमिका सोशल मीडिया पर एप्लिकेशन ट्रेंड बनाने की थी। एप्लिकेशन बनाने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। “एक अधिकारी ने कहा, उनके पास दिल्ली और अन्य राज्यों में ‘सुल्ली डील’ के प्रचारकों के पीछे जाने के लिए संसाधन हैं, लेकिन “यह जाल को अंतहीन रूप से चौड़ा कर देगा। हम स्रोत के बाद जाना चाहते हैं क्योंकि इस तरह के अनुप्रयोगों के निर्माण को पहले स्थान पर रोकने की जरूरत है,

अब मामला ये है कि जो दिल्ली पुलिस आज “बड़ी मछली” को पकड़ने के लिए बाते कर रही है, वही दिल्ली पुलिस को एक शिकायत और भी मिली है जिसके ऊपर जाँच चल रही है। यह रिपोर्ट है जेएनयु के लापता छात्र नजीब के माँ द्वारा दाखिल की गई जिसमे उस 52 साल की बुज़ुर्ग माँ जिसके बेटे का आज तक पुलिस और सीबीआई पता नही लगा सकी है की तस्वीर का नीलाम होना। बताते चले कि नजीब की गुमशुदगी पर पहले दिल्ली पुलिस और फिर बाद में सीबीआई ने जाँच किया, मगर जाँच रिपोर्ट में सीबीआई ने भी क्लोज़र दाल दिया और नजीब का आज भी पता नही चला है। ऐसे दुखियारी माँ की तस्वीर को इस ऐप पर नीलामी हेतु डाला गया था। इसको लानत जैसे लफ्ज़ से नवाज़ा जा सकता है। सुल्ली डील की जांच में देरी की बात पर दिल्ली पुलिस के पास जवाब तो ज़रूर उपलब्ध है। उसका कहना है कि एमएलएटी में समय लगता है। एक बार जब पुलिस द्वारा दस्तावेज तैयार कर लिए जाते हैं, तो अभियोजन पक्ष उनकी जांच करता है, जिसके बाद उन्हें दिल्ली सरकार के गृह विभाग के पास भेजा जाता है, जो उन्हें मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय के पास भेजता है। फिर उन्हें वापस दिल्ली सरकार के पास भेज दिया जाता है जो फिर पुलिस को मिलता है। फिर न्यायिक प्रक्रिया के लिए पुलिस उसे अदालत के सामने पेश करती है और फिर उन्हें सीबीआई को भेजती है। केंद्रीय एजेंसी तब उन्हें इंटरपोल के साथ साझा करती है जो उन्हें अपनी नोडल एजेंसी के माध्यम से आवश्यक कार्रवाई के लिए न्याय विभाग को भेजती है।

Tariq Azmi
Chief Editor
PNN24 News
लेख में लिखे गए समस्त शब्द लेखक के अपने विचार है. PNN24 न्यूज़ इन शब्दों से सहमत हो ये ज़रूरी नही है.

इस कागज़ी खानापूर्ति को हम सब समझ सकते है। वही दिल्ली पुलिस का “बड़ी मछली” तक पहुचने के दावे को भी हम समझ सकते है। मगर सवाल ये है कि यदि दिल्ली पुलिस “सुल्ली डील्स” पर “छोटी मछलियों” यानी प्रचारकों पर ही सख्त होती तो आज कम से कम “बुल्ली बाई” जैसे विवाद उसके सामने नही होते। वही मुंबई पुलिस ने प्रचारक ही सही कार्यवाही तो किया। जो उसको दिल्ली पुलिस से एक कदम आगे के तरफ खड़ा करता है। बहरहाल, अब देखना ये है कि “बुल्लीबाई” वाली “बड़ी मछली” को दिल्ली पुलिस कब तक अपने जाल में लेती है। वही ट्वीटर के एक यूज़र्स ने आज दावा किया है कि उसने इस ऐप का निर्माण किया है। साथ ही उसने पुलिस को चैलेन्ज किया है कि वह उसको पकड़ के दिखाए। ऐसे में साख की बात को किया ही जा सकता है।

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