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इस जुमे को हर एक मुस्लिम संगठन ने किया है आपसे अपील कि “कोई प्रदर्शन अथवा बंदी न करे,” अक्ल-ए-सलाहियत का इस्तेमाल करे, पुरसुकून करे अपने कारोबार और नजदीकी मस्जिदों में पढ़े नमाज़-ए-जुमा

तारिक़ आज़मी

हमारे मुल्क में एक मुश्त भर नफरती लोगो के वजह से मुल्क के अमन-ओ-चैन को लगता है इब्लीस की नजर लग गई है। जुमे के रोज़ गुजिश्ता दो जुमे से कोई न कोई ऐसा वाक्यात सामने आ जा रहा है जिससे रूह लरज़ जा रही है। बेवजह से सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट जिसकी कोई हकीकत नही है के बहकावे में चुनिन्दा लोग आ जा रहे है। जैसा पिछले जुमे को हुआ था, किसी भी संगठन ने बंदी का एलान नही किया था। मगर चुनिन्दा शहरों में और इलाकों में बंदी हो गई।

नतीजतन प्रयागराज जो कल तक इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था के अटाला और आसपास के इलाको में गर्द के माहोल तब्दील हो गए। कल भी जुमा है। इस्लाम का बरकतों वाला दिन है। शरियत के मद्देनज़र जहा तक मैं जानता हु कि जुमे को छोटी ईद के तौर पर भी जाना जाता है। कल भी प्रशासन ऐसे माहोल में सख्त है और पसीने बहा रहा है। संजीदगी हमको भी दिखाने की ज़रूरत है। अफवाहों का मुह तुरंत बंद करने की ज़रूरत है। चुनिन्दा संगठनो के द्वारा जो एलान है उसको आप ध्यान से पढ़ ले। किसी संगठन ने ऐसा कोई एलान नही किया है कि कोई बंदी अथवा विरोध प्रदर्शन का।

बरेली के मौलाना तौकीर रज़ा ने बुद्ध के रोज़ ही अपने एलान को बता दिया है कि कोई प्रदर्शन, बंदी या फिर किसी तरीके का कोई भी कार्यक्रम नही है। पुरसुकून माहोल में मुल्क में अमन-ओ-चैन की दुआओं के साथ अपने घर के नजदीकी मस्जिद में जुमे की नमाज़ अदा करे। इसी मौजु पर अंजुमन मसाजिद इन्तेजामियां कमिटी और सुन्नी वक्फ बोर्ड तथा शिया वक्फ बोर्ड ने भी ऐसी ही अपील किया है। सभी ने आसपास की मस्जिदो में नमाज़ पढने और भीड़ न लगाने की अपील मुस्लिम समाज से किया है।

एक ज़िम्मेदार अमन पसंद आवाम के तौर पर इस जम्हूरियत के लिए हमारी भी कुछ ज़िम्मेदारियां हैं। आपको अगर कोई भड़काता है सडको पर निकलने के लिए तो बेशक आपका वह हमदर्द नही है बल्कि आपको अराजकता के तरफ झोकने की कोशिश कर रहा है। उसका मकसद रहेगा कि आप सड़कों पर उतर जाएं और उस अमन के दुश्मन के जाल में फंस जाएं। जबकि वो शैतान की चाशनी लगा कर दूर खड़ा मुस्कुरा रहा होगा। हम आपसे अपील करते हैं कि अक्ल-ओ-सलाहियत से काम ले। किसी के बहकावे में हरगिज़ न आये। कोई नारेबाजी या फिर जज्बातों को सड़क पर न बयान करने की कोशिश करे।

हम अपने नबीﷺ से मुहब्बत करते हैं, तो इसके लिए हमें आपकी सुन्नतो को अपनाने की ज़रूरत है। नबीﷺ  ने फरमाया: “जो तुमसे रिश्ता तोड़े, तुम उससे रिश्ता जोड़ो, जो तुम्हारे साथ ज़ुल्म करे तुम उसको माफ कर दो, जो तुम्हारे साथ बदसुलूकी करे तुम उसके साथ एहसान करो।” याद रखे मेरे दोस्तों, नफरत को कभी भी नफरत से नहीं मिटाया जा सकता। आखिर में, मैं अपने नवजवानों से अपील करता हूं कि अपने जज़्बात को काबू में रखे। बड़ा ही खुबसूरत शेर है कि “अपने ज़ख्मो को अपने दिल में छिपाए रखो, दुनिया वाले हाथो में नमक लेकर चलते है।” ये नफरत के सौदागर महज़ एक मुश्त से भी कम है। ये हर एक तबके में है, जिनका काम सिर्फ और सिर्फ नफरत फैलाना है। हम उनके बहकावे में आकर अपने मुल्क और अपने मुआशरे लिए परेशानी और ज़िल्लत सबब न बनें। अपने से बड़ों पर भरोसा करें और उनके बताए रास्ते पर चलें। हम अपने पाठको से अपील करते है कि आप अपने घर के या कारोबार की जगह से नजदीकी मस्जिद में नमाज़-ए-जुमा पढ़े। उसके बाद अपने कारोबार पर या घर पर रहे। बेवजह की भीड़ न लगाये। न ही किसी के बहकावे में आये। अमन-ओ-सुकून कायम रखे। अफवाहों पर ध्यान न दे।

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