शाहीन बनारसी
उर्दू अदब के मशहूर शायर और पाकिस्तान के राष्ट्रकवि के रूप में ख्यात अल्लामा इक़बाल पाकिस्तान में पैदा हुए थे। इक़बाल का पूरा नाम सर मुहम्मद इक़बाल था। उर्दू और फ़ारसी में इक़बाल ने बहुत सारे कलाम लिखे है। कलाम ऐसे कि महफ़िल में मिठास घोल दे। इक़बाल के कलाम आज भी महफ़िलो की शान को बढ़ा देते है। इनके खुबसूरत कलामो ने ज़िन्दगी में भटके हुए लोगो के लिए हमेशा नए रास्ते ईजाद करती रही है।
इस किस्से का तस्किरा कई किताबो में भी मिलता है। एक बार की बात है। इक़बाल की उम्र महज़ 11 साल की थी। एक रोज़ वह स्कूल पहुंचे तो उन्हें स्कूल पहुँचने में देर हो गई। इक़बाल से उनके मास्टर साहब ने पूछा, “इक़बाल तुम देर से आये हो।” तो इस सवाल पर नन्हे मुहम्मद इक़बाल ने बे-साख्ता जवाब दिया, “जी हाँ, इक़बाल हमेशा देर ही से आता है।” इकबाल के इस जवाब पर उनके मास्टर साहब भी कयाल हो गये थे।
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