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गुजरात मोरबी पुल हादसा: ओरेवा कंपनी के प्रमोटर जयसुख पटेल के खिलाफ जारी हुआ गिरफ़्तारी वारंट

यश कुमार

सूरत: गुजरात में हुए मोरबी हादसे में ओरेवा कंपनी के प्रमोटर जयसुख पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया है।   राजकोट पुलिस ने ये गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। मोरबी के मच्छू नदी पर बना केबल पुल 30 अक्टूबर को टूट गया था, जिसके संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी ओरेवा समूह के पास थी। इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी।

वहीं एक सत्र अदालत ने शनिवार को ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक (एमडी) द्वारा दायर अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई एक फरवरी तक के लिए टाल दी थी। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पीसी जोशी की अदालत ने जयसुख पटेल द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई एक फरवरी तक के लिए टाल दी थी। क्योंकि सरकारी वकील मौजूद नहीं थे। पटेल ने 16 जनवरी को यहां सत्र अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।

इसके अलावा हाल ही में राज्य सरकार ने स्थानीय नगरपालिका को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि अपने कर्तव्यों का पालन करने में नाकाम रहने के लिए उसे भंग क्यों न कर दिया जाए। राज्य के शहरी विकास विभाग ने यह नोटिस जारी किया जिसमें मोरबी नगर निगम को 25 जनवरी तक लिखित स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 13 दिसंबर को गुजरात उच्च न्यायालय में कहा था कि उसने नगरपालिका को भंग करने का फैसला किया हैय उच्च न्यायालय ने इस हादसे पर स्वत: संज्ञान लिया था। विभाग ने नोटिस में कहा कि पुल की देखरेख का पिछला अनुबंध 2017 में खत्म हो गया था। ओरेवा समूह ने 2018 और 2020 के बीच मोरबी नगरपालिका को कई पत्र लिखकर पुल की जर्जर हालत के बारे में चेतावनी दी थी और आगाह भी किया था कि अगर पुल को ऐसी हालत में जनता के लिए खुला रखा गया तो गंभीर हादसा हो सकता है। नोटिस में कहा गया है कि हालांकि, नगरपालिका ने कंपनी की ऐसी चेतावनियों पर गौर नहीं किया।

इसमें कहा गया है कि नगरपालिका ने अनुबंध पूरा होने के बाद 2017 में कंपनी से पुल का नियंत्रण लेने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और पुल की स्थिति से अवगत होने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया। नोटिस में विशेष जांच दल (एसआईटी) के निष्कर्षों के हवाले से कहा गया है, ‘‘कंपनी पुल की देखरेख का जिम्मा संबंधित प्राधिकरण को सौंपने में नाकाम रही और किसी भी पक्ष ने पुल की हालत सुधारने के मद्देनजर कार्रवाई नहीं की।”

इसमें कहा गया है कि पुल की मरम्मत, देखरेख और संचालन में ओरेवा समूह की ओर से भी कई खामियां पायी गयी हैं, जैसे कि एक वक्त में पुल पर जाने वाले लोगों की संख्या पर कोई पाबंदी नहीं थी, टिकटों की बिक्री पर कोई पाबंदी नहीं थी जिससे पुल पर काफी भीड़ एकत्र हुई।

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