सुप्रीम कोर्ट की सख्त हिदायतों और टिप्पणियों के बावजूद भी आखिर टी0 राजा पर कार्यवाही क्यों नही? कब तक मुल्क की फ़िज़ा बिगाड़ने वाले नफरती बयान जारी रहेगे ?

तारिक़ आज़मी

डेस्क: नाम टी0 राजा, पद भाजपा का निलंबित विधायक, काम नफरती बयान। नतीजा अभी तक तो सिर्फ ऍफ़आईआर और चार्जशीट तक ही बाते होती है। बस कड़ी कार्यवाही की बात कागजों में ही दिखाई दे रही है मगर यही टी0 राजा और उसके साथ ज़हर उगलने वाला एंकर सुरेश चव्हाण दोनों ही नफरती बयानबाजी से माहोल को गर्म करने में कोई कसर नही छोड़ते।

पिछले दिनों एक अवमानना मामले में खुद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जोज़फ़ ने नफरती बयानों पर महाराष्ट्र की सरकार को नपुंसक तक कहा था। इतना कुछ होने के बाद भी सकल हिदू समाज के बैनर तले टी0 राजा और उसका साथ एंकर सुरेश चव्हाण नफरत की आग के शोले अपनी जुबां से अधकचरी इतिहास के जानकारी को लेकर उगल रहे है। इनको रोकने और टोकने वाला कोई नही है। आरोप तो महाराष्ट्र की शिंदे सरकार पर भी अब लगने लगे है कि उनके संरक्षण में ऐसा हो रहा है।

टी0 राजा और उसका संगठन सकल हिन्दू समाज नवंबर 2022 से महाराष्ट्र में कई जिलों का दौरा कर रहा है, जन सभाओं या सार्वजनिक सभाओं का आयोजन कर रहा है, जिन्हें वे हिंदू हुंकार सभा, हिंदू गर्जन मोर्चा, या जन आक्रोश मोर्चा का नाम देते हैं। इन रैलियों में टीवी एंकर सुरेश चव्हाणके, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के निलंबित विधायक टी राजा सिंह, धार्मिक नेता कालीचरण ‘महाराज’ उर्फ ​​अभिजीत धनंजय सरग, और काजल हिन्दुस्तानी जैसे लोग दिखाई देते है। जमकर नफरती बयानबाजी होती है।

काली चरण ‘महाराज’ यानी धनजय सरंग वही है जिन्हें महात्मा गांधी के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी के लिए 2022 में गिरफ्तार किया गया था और हिंदुत्व कट्टरपंथी और YouTuber काजल ‘हिंदुस्तानी’ के वीडियो में आप उनके सम्बन्ध में और उनकी विचारधारा देख सकते है। इन सबका एक ही मकसद दिखाई देता है कि मंचो पर आओ और अल्पसंख्यक समुदायों को टार्गेट करते हुए सांप्रदायिक रूप से नफरत भरे भाषण दो। जनता को भड़काओ।

हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि सकल हिंदू समाज और इसके पीछे के लोगों पर राज्य भर के कई जिलों में कई ऍफ़आईआर दर्ज हैं, इसके बावजूद वह इन रैलियों का आयोजन कर रहे हैं। वजह साफ़ है कि कड़ी कार्यवाही जिसको कहते है वह आज तक नही हुई है। खुद टी0 राजा कंडीशनल बेल पर है और उस शर्तो का उलंघन हर एक मंच पर उनके द्वारा किया जाता है। बस कार्यवाही नही होती है। कभी पुलिस ने थाने बुलाकर सवाल नही किया। सवाल कभी किसी आपके मनपसंद मीडिया हाउस ने भी नही किया होगा। सवाल सरकार से भी नही होता है। क्योकि सवाल तो विपक्ष से होता है। विपक्ष जवाब दे। सत्ता क्यों जवाब दे?

दरअसल इन सबके खिलाफ दर्ज ऍफ़आईआर में जांच की गति के कारण सकल हिंदू समाज से जुड़े लोगों के खिलाफ मामलों की संख्या बढ़ गई है, लेकिन पुलिस ने उन्हें इस तरह की रैलियों या सभाओं को संबोधित करने से नहीं रोका। पूर्व बीजेपी विधायक सिंह को ऐसी और सभाओं को संबोधित करने से न तो प्राथमिकी और न ही पुलिस का नोटिस रोक सका। उन्होंने सभी सकल हिंदू समाज के बैनर तले सोलापुर (27 फरवरी), मुंबई (5 मार्च), शिरडी (11 मार्च), अहमदनगर (13 मार्च), और औरंगाबाद (19 मार्च) में रैलियों को संबोधित किया। जहा जमकर मुस्लिम समाज के खिलाफ ज़हर उगला।

लातूर के डिप्टी एसपी जितेंद्र जगदाले के बयान को द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में कोट किया था कि उन्होंने यह बताया कि यहां पुलिस की भूमिका मामले की जांच करना और जांच पूरी होने के बाद अदालत में चार्जशीट दाखिल करना है। हमारे पास सभी सबूत हैं और अगले 30 दिनों में चार्जशीट दाखिल करने के पर्याप्त आधार हैं। CRPC के आदेश के बावजूद आरोपी को इसी तरह के आयोजनों में भाग लेने की अनुमति देना अदालत का विवेक है। यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है।” ।

अब आप सोचे कि जब जाँच की स्थिति ऐसी धीरी होगी और सुनवाई में विलम्ब होगा तो फिर सवाल कहा है? ऐसे लोगो का मनोबल बढ़ा हुआ है। कभी कुछ तो कभी कुछ नफरती बयान जारी करते रहते है। मगर पुलिस हकीकत में इनको रोक पाने में क्या सक्षम नही है। लगता तो ऐसा नही है। पुलिस अगर चाहे तो सब कुछ संभव है। मगर महाराष्ट्र सरकार जागेगी कब अब ये देखने वाली बात है।

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