वाराणसी निकाय चुनाव आदिविशेश्वर (बेनिया वार्ड नम्बर 69): क्या भाजपा का सपना होगा साकार, या फिर दौड़ेगी ‘कार’, या ‘पंजा’ का होगा जोर या फिर ‘आम’ का मिलेगा स्वाद, त्रिकोण में उभरा चौथा कोण करेगा फैसला

ए0 जावेद

वाराणसी: प्रदेश में चल रहे निकाय चुनावों में पहले चरण का मतदान हो चूका है। इस पहले चरण में वाराणसी नगर निगम हेतु भी मतदान हो चूका है। प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में बंद हो चुकी है। महीने से चली आ रही चुनावी गहमा गहमी आराम तलब कर रही है। मतों की गिनती 13 मई को होगी। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ईवीएम सुरक्षित प्रशासन ने रखवा दिया है।

इसी के साथ प्रत्याशियों और समर्थको के कौतुहल का विषय बना हुआ है कि आखिर जनता किसको जीत का सेहरा पहना रही है और किसके हिस्से हार आ रही है। सभी प्रत्याशी और उनके समर्थक अपनी अपनी जीत का आकड़ा पेश कर रहे है। मगर इन सबके बीच वोटर खामोश है। मतदान के बाद भी खामोश मतदाता इस कौतूहलता को और भी बढ़ा रहे है। हमने इस वार्ड पर अपनी नज़र रखा हुआ था। हमारे विश्लेषण इस वार्ड में निकल रहे है जो आपके सामने पेश कर रहे है।

काफी बड़ा वार्ड होने के बाद शहर में चर्चा का विषय बना यह वार्ड भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बना हुआ है। इस सीट पर भाजपा ने इन्द्रेश कुमार को मौका दिया है। जिससे नाराज़ होकर 43 साल लगातार भाजपा और संघ की सेवा करने वाले शकील सिद्दीकी ने बतौर बागी प्रत्याशी नामांकन कर हाथ में ‘कमल’ न होने पर ‘कार’ की सवारी अपना लिया। जबकि कांग्रेस ने अपना पुराना कार्ड दुबारा इस्तेमाल किया और सीटिंग पार्षद मो0 सलीम को फिर मौका दिया। जबकि सपा ने मुरारी यादव के पुत्र श्याम यादव को अपनी सायकल दे दिया।

सपा से टिकट न मिलने पर पूर्व पार्षद अरशद खान विक्की ने हाथो में ‘आम’ लेकर बतौर सपा के बागी प्रत्याशी नामांकन किया। वही पूर्व में भी चुनाव लड़ चुके क्षेत्र के युवा बबलू सिद्दीकी ने भी नामांकन किया। इस तरह वार्ड में शुरू हुआ चुनाव काफी उतार चढ़ाव के साथ गुज़र गया। खामोश वोटरों के बीच दावे बहुत है मगर ज़मीनी हकीकत अगर देखे तो शायद खुद के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बना चुकी भाजपा का सपना इस वार्ड में साकार हो सकता है। फाइनल द्वन्द त्रिकोणीय भले होने की उम्मीद लोगो ने लगाई है कि कांग्रेस के सलीम, भाजपा के इन्द्रेश और निर्दल अरशद खान विक्की के बीच जंग हुई है।

मगर अगर बहुत ध्यान से देखे तो इस त्रिकोण में अल्पसंख्यक मतों के बीच जहा चौथा कोण उभरा निर्दल प्रत्याशी शकील भाजपा की ‘कार’ तो वही भाजपा के तरफ सायकल ने भी चलने की कोशिश किया है। मगर बहुत ज्यादा सायकल की रफ़्तार हुई ऐसा तो अमूमन देखने को नही मिला, हाँ ये ज़रूर है कि सायकल की रफ़्तार काफी धीमी थी। फाइनल स्तर पर अगर देखे तो इस त्रिकोणीय जंग में उभरे चौथे कोण की भूमिका इस वार्ड में कुछ ज्यादा ही बड़ी हो सकती है। अल्पसंखयक मतो को लेकर तो शकील सिद्दीकी आये है मगर जिस भाजपा के साथ उन्होंने उम्र के 43 साल खिदमत करते हुवे गुज़ारे है उसमे वह सेंध लगा पाए है ये खुले तौर पर दिखाई नही दिया। हाँ अंदरूनी तौर पर उन्होंने सेंध मारी होगी तो उसके लिए नही कहा जा सकता है।

सब मिलाकर बहुत ही कम अंतर से यहाँ हार जीत का फैसला तीन नही बल्कि चार प्रत्याशियों के बीच होता दिखाई दे रहा है, जिसमे भाजपा, कांग्रेस, निर्दल अरशद खान ‘विक्की’ और भाजपा के बागी शकील सिद्दीकी मुख्य लड़ाई में दिखाई दे रहे है। यह भी संभव है कि आखरी मुकाबिल निर्दल बनाम निर्दल हो या फिर साइलेंट वोट अगर कमाल किया तो अरशद खान ‘विक्की’ बनाम सलीम हो अथवा भाजपा बनाम सलीम हो या फिर भाजपा बनाम अरशद खान विक्की हो। सब मिला कर इस वार्ड का चुनाव बड़ा रोचक दिखाई दे रहा है। इस वार्ड में कुल मिलाकर 8162 मत पड़े है जिसमे लगभग 5 हज़ार से कुछ अधिक मुस्लिम मत होंगे और 3 हज़ार के करीब हिन्दू मत पड़े है। यहाँ हार जीत लगभग 2 हजार से 22 के बीच हो जाएगी और हार जीत का अंतर बहुत ही मामूली अंतर से होता दिखाई दे रहा है।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *