मध्य प्रदेश: 1200 गाडियों के काफिले के साथ भाजपा विधायक समदर पटेल ने किया भाजपा को अलविदा, पकड़ा कांग्रेस का वापस हाथ, अकेले पड़ते दिखाई दे रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया

तारिक़ खान

डेस्क: मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल होकर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को गिराने वाले विधायक समंदर पटेल फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। समंदर पटेल ने पार्टी में वापसी करते हुए कहा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी में ‘घुटन’ हो रही थी। ग्राम सरपंच के पद से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले समंदर पटेल मध्य प्रदेश के सबसे अमीर नेताओं में से एक हैं और उनकी घोषित संपत्ति 89 करोड़ है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अपने विधानसभा क्षेत्र जावद से राजधानी भोपाल में बीजेपी के दफ़्तर में इस्तीफ़ा देने के लिए ‘1200 गाड़ियों के काफ़िले’ के साथ पहुंचे। रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले तीन महीनों में तीन सिंधिया समर्थक इसी तरह शक्ति प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस में गए हैं। 14 जून को शिवपुरी से बीजेपी नेता बैजनाथ सिंह यादव ने सिंधिया से रिश्ता तोड़ा था और 700 कारों की रैली लेकर कांग्रेस में शामिल हुए थे।

वहीं 26 जून को शिवपुरी के पूर्व उपाध्यक्ष राकेश कुमार गुप्ता भी इसी तरह कार रैली करते हुए कांग्रेस में शामिल हो गए। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए समंदर पटेल ने कहा, ‘मैंने महाराज (सिंधिया) के साथ पार्टी छोड़ी, लेकिन जल्द ही बीजेपी में मुझे घुटन होने लगी। मुझे किसी कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाता था और ना ही मुझे सम्मान दिया गया और ना ही सत्ता।’

ये दूसरी बार है जब समंदर पटेल पार्टी में शामिल हो रहे हैं। 2018 में टिकट ना मिलने के बाद उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था और स्वतंत्र चुनाव लड़ा और जीता था। इसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव से पहले वो कांग्रेस में शामिल हो गए थे। लेकिन मार्च 2020 में जब सिंधिया ने कांग्रेस के साथ बग़ावत की तब समंदर पटेल भी उनका साथ देने वाले 22 कांग्रेसी विधायकों में शामिल थे।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश बीजेपी में अंदरूनी लड़ाई का सामना कर रहे हैं। सिंधिया समर्थकों और बीजेपी के पुराने नेताओं के बीच तनाव जारी है। सिंधिया समर्थक एक नेता ने अख़बार से कहा है कि समंदर पटेल के पार्टी छोड़ने से बीजेपी को नुक़सान हो सकता है। इस नेता ने कहा, ‘पटेल नीमच में एक बड़े नेता हैं। वो आर्थिक रूप से मज़बूत थे और पार्टी का सहयोग करते थे। वो सिंधिया के लेफ्टिनेंट की तरह थे।’

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