वाराणसी: रजाई में लपेट कर रखे माँ के कंकाल संग रहती थी बेटियां, पुलिस पहुंची घर के अन्दर तो मंजर देख चौंक गई

शाहीन बनारसी

वाराणसी: कभी कभी हमारे कुछ ऐसे वारदात आ जाते है जिसे सुन और देख कर हम सन्न रह जाते है। समझ नहीं आता क्या कहे। आये दिन ऐसी घटनाएं होती रहती है जो हमे हैरान कर देती है और झकझोर कर रख देती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र से। जिसे सुन आप भी सन्न रह जायंगे।

दरअसल, वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र के मदरवां में कल बुधवार की शाम घर के अंदर से एक महिला का कंकाल बरामद हुआ है। बताते चले इस महिला का निधन 8 दिसंबर 2022 को बीमारी की वजह हुआ था, लेकिन दोनों बेटियों ने अंतिम संस्कार ही नहीं किया। महिला के शव को रजाई के अंदर छिपाकर रखा था। शव में कीड़े पड़े तो हाथ से निकालकर बाहर फेंक दिया। दुर्गंध उठने पर घर की छत पर जाकर खाना खाया। करीब एक साल तक महिला के शव के साथ रहीं। जब इस मामले की सुचना पुलिस को हुई तो बुधवार को लंका थाने की पुलिस मौके पहुंची और घर के तीन दरवाजों के ताले तोड़कर अंदर गई। कंकाल को बाहर कराया और दोनों बेटियों को भी घर से बाहर ले आई।

साक्ष्य के तौर पर महिला के कपड़े, चप्पल, चादर, रजाई आदि कब्जे में लिए गए हैं। पुलिस के मुताबिक दोनों बेटियों की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार बलिया के उभांव थाना क्षेत्र के होलपुर रचौली गांव निवासी रामकृष्ण पांडेय की तीन बेटियों में सबसे बड़ी ऊषा तिवारी (52 वर्ष) थी। उसकी शादी बेल्थरारोड के अखौख गांव में देवेश्वर त्रिपाठी से हुई थी। शादी के दस साल बाद पति से विवाद हुआ और ऊषा अपनी दो बेटियों के साथ पिता रामकृष्ण पांडेय के साथ मायके में रहने लगी। रामकृष्ण पांडेय ने वर्ष 2002 में वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र स्थित मदरवां में मकान बनवाया।

इसके बाद ऊषा अपने पिता और दो बेटियों पल्लवी व वैष्णवी के साथ मदरवां में रहने लगी। मकान में ही पिता ने बेटी के लिए कॉस्मेटिक की दुकान भी खुलवा दी। लॉकडाउन में जब दुकान बंद हो गई तो रामकृष्ण पांडेय अपनी छोटी बेटी के यहां लखनऊ रहने चले गए। इसके बाद बेटी से फोन पर ही बात होने लगी। रामकृष्ण की दूसरी बेटी उपासना की शादी मिर्जापुर में हुई है। मिर्जापुर में रहने वाली उपासना और उसके पति धर्मेंद्र चतुर्वेदी की लंबे समय से ऊषा से बात नहीं हुई थी। दोनों कई बार मदरवां स्थित मकान पर भी गए, लेकिन ऊषा की दोनों बेटियों ने हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर दरवाजा खोलने से इन्कार कर दिया। दबाव बनाने पर पुलिस बुलाने की धमकी देती रहीं। उपासना और धर्मेंद्र कुछ घंटे बाद लौट जाते थे।

बताते चले कि पिछले एक वर्ष से यही चल रहा था। दो महीने पहले पिता रामकृष्ण भी आए तो पल्लवी और वैष्णवी ने दरवाजा नहीं खोला। पिता के कहने पर ही बुधवार की दोपहर मिर्जापुर के जमालपुर थाना क्षेत्र के गौरी बहुवर निवासी छोटी बेटी उपासना और दामाद धर्मेंद्र चतुर्वेदी मदरवां पहुंचे। बेटियों ने फिर दरवाजा खोलने से इन्कार कर दिया। तब धर्मेंद्र ने डायल 112 पर सूचना दी। डायल-112 और चौकी इंचार्ज मौके पर पहुंचे, लेकिन वह भी दरवाजा नहीं खुलवा सके। इसके बाद लंका इंस्पेक्टर शिवाकांत मिश्रा फोर्स के साथ पहुंचे और वीडियोग्राफी कराते हुए दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हो गए। अंदर देखा तो ऊषा का कंकाल मिला। उसकी दोनों बेटियों से पूछताछ हुई तो पूरा मामला खुलकर सामने आ गया।

थानाध्यक्ष के मुताबिक, दोनों बेटियों ने बताया कि मां की मौत आठ दिसंबर 2022 को बीमारी के चलते हो गई थी। मां उल्टी करती थीं। पैसे और साधन के अभाव में शव का अंतिम संस्कार नहीं करा सके। बड़ी बेटी पल्लवी की उम्र 27 साल है। छोटी बेटी वैष्णवी 18 साल की है। पल्लवी मास्टर की डिग्री ले चुकी है, जबकि वैष्णवी हाईस्कूल की छात्रा है। दोनों बेटियों की मनोदशा ठीक नहीं है। फिलहाल दोनों को मिर्जापुर निवासी मौसी और मौसा के संरक्षण में दिया गया है। मौसा धर्मेंद्र की तहरीर पर ऊषा के कंकाल का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है।

वही पुलिस की पूछताछ में बेटियों ने बताया कि मां का शव जब सड़ गया तो उसमें खूब कीड़े पड़ गए थे। वह कीड़े निकालतीं और बाहर फेंक देती थीं। शुरू में पंद्रह दिन तो बहुत दुर्गंध उठी, लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य हो गया। दोनों बेटियां किचन में खाना बनाने के बाद छत पर ले जाकर खाती थीं।

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