जालौन: मुख़्तार अंसारी गैंग के सदस्य प्रिंस और नासिर की जेल में कथित गैंगवार में हत्या मामले में अदालत ने दिया एतिहासिक फैसला, जेलर सहित 14 को हुई उम्र कैद बा-मशक्कत

मो0 कुमेल

कानपुर: जालौन जिला न्यायालय ने बुधवार को उरई जेल के अंदर गैंगवार में मारे गए दो बंदियों के मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुवे दोषी पाए गए तत्कालीन जेलर सहित 14 को आजीवन कारावास व दंड की सजा सुनाई है। जालौन जिला न्यायालय का यह फैसला 2010 को उरई जेल के अंदर मुख्तार गैंग के सदस्य प्रिंस और एक बंदी नासिर की हत्या से जुड़े मामले में आया है। इस मामले में तत्कालीन जेलर सहित 14 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। मामले कुल 22 लोग दोषी पाए गए हैं। मुकदमा जिला न्यायालय में बीते 13 साल से चल रहा था। दोषियों के खिलाफ एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। सजा के बाद सभी को जेल भेज दिया गया है।

गौरतलब हो कि 20 मार्च 2010 को जिला कारागार में मुख्तार गैंग के सदस्य प्रिंस एवं चुर्खी थाना क्षेत्र के ग्राम औंता निवासी नासिर की गैंगवार में हत्या कर दी गई थी। तत्कालीन जेलर नत्थू सिंह सेंगर ने प्रिंस अहमद और उसके साथियों पर जेल में बम विस्फोट करने एवं बंदियों पर ही उसकी हत्या करने का मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन 28 मार्च को गैंगवार में मारे गए नासिर के पिता आयूब खान ने 28 मार्च 2010 को जेल कर्मी राजकुमार, नृपेंद्र, राम अवतार, अनिल शर्मा, डिप्टी जेलर मिश्रा, तत्कालीन जेलर नत्थू सिंह, जेल अधीक्षक अविनाश गौतम के विरुद्ध तहरीर दी थी।

आरोप लगाया गया कि अवैध वसूली न देने पर उसके पुत्र नासिर और बंदी प्रिंस अहमद को जेल अधीक्षक और डिप्टी जेलर के आदेश से सुघर सिंह, रामनारायण, लला, राजा भैया, मुन्ना, राजू तितरा, राजकुमार, नृपेंद्र, रामऔतार, अनिल शर्मा ने मारपीट कर हत्या की कर दी। शासकीय अधिवक्ता लखनलाल निरंजन ने बताया कि चुर्खी थाना क्षेत्र के औता गांव निवासी अयूब खान ने 28 मार्च 2010 को तहरीर दी थी। उसने बताया था कि उसका बेटा नाजिर तीन साल से जिला कारागार उरई में बंद था। तीन वर्ष से जेल कर्मचारी व कुछ बंदी उसके बेटे से अवैध वसूली करवाते थे। जो बंदी रुपये नहीं देता तो उसे मारापीटा जाता और ज्यादा काम भी करवाया जाता था।

जेल स्टाफ राजकुमार निपेंद्र, राम औतार, अनिल शर्मा के साथ डिप्टी जेलर जी मिश्रा, तत्कालीन जेलर नत्थू सिंह, जेल अधीक्षक अविनाश गौतम सभी बंदियों से अवैध वसूली करवाते थे। वसूली न करने पर जेल अधीक्षक और डिप्टी जेलर के आदेश से उसके पुत्र नाजिर और बंदी प्रिंस से सुघर सिंह, रामनारायण, राजा भैया, मुन्ना, राजू तीतरा, राजकुमार, निपेंदर, रामओतार, अनिल शर्मा से मिलकर मारपीट की। इससे दोनों की मौत हो गई। पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर जांच-पड़ताल शुरू कर दी थी।

पुलिस ने विवेचना कर न्यायालय में 27 जनवरी 2011 को चार्जशीट दाखिल की। चार्जशीट में उस समय रहे जेल अधीक्षक अविनाश गौतम, जेलर नत्थू सिंह, डिप्टी जेलर जी मिश्रा, सिपाही राममनोरत, रामशरण, राजकुमार, निपेंदर, अनिल शर्मा, शशिकांत तिवारी, बंदी सुघर सिंह, सत्यभान, राजा भैया, राजू तीतरा, रामनारायण, अखिलेश, मुन्ना केवट के नाम शामिल थे। इस मामले में आरोपी जेल अधीक्षक और डिप्टी जेलर ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया था।

जेलर समेत अन्य चौदह आरोपियों पर चले ट्रायल में बुधवार को सुनवाई पूरी हुई। गवाहों, साक्ष्यों के आधार पर जेलर नत्थू सिंह समेत सिपाहियों और बंदियों को सजा सुनाई गई। 14 साल पहले इस मामले में ही जेलर नत्थू सिंह सेंगर ने मुख्तार अंसारी की गैंग के सदस्य प्रिंस अहमद और नासिर पर 20 मार्च 2010 को जेल में विस्फोट कराने का आरोप लगाया था। साथ ही आरोप था कि गैंगवार में दोनों की मौत हुई है। इस मामले में करीब एक दर्जन बंदियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

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