Categories: Special

पलिया में भी कभी भी हो सकता है अमृतसर जैसा रेल हादसा

फारुख हुसैन

पलिया कलां खीरी। देश को आजाद हुए 7 दशक बीत चुके है, तब से लेकर आज तक पलिया में हिंदुओं के दाह संस्कार हेतु लोग शारदा नदी के तट पर शव यात्रा लेकर जाते है। जहां पर वर्तमान में रेल पुल के पश्चिमी दिशा की तरफ रेल लाइन को पार कर नीचे उतर कर नदी के किनारे शवों का दाह संस्कार किया जाता है। उक्त अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सैकड़ो की संख्या में शामिल लोगों को भी रेल पटरी क्रास करना पड़ता है। कई बार ऐसे समय में ट्रेन की आवाजाही बनी रहती है। ऐसे में कभी भी जरा सी असावधानी या लापरवाही के कारण गंभीर हादसा हो सकता है। (ऐसी दुर्घटना पूर्व में लगभग 5-6 वर्ष पूर्व चीनी मिल के पीछे कुंडा वाले पुल के पास अंतिम संस्कार के लिए जाते हुऐ 2 लोगो की रेलगाड़ी के आ जाने से उससे कट कर मौत हो चुकी है।

अब इसका मतलब यह भी नही है कि लोगो को अंतिम संस्कार से वहां जाने से रोक दिया जाये, क्योंकि नदी किनारे अंतिम संस्कार किये जाने की मान्यता है (हालांकि जहां तक जानकारी है कि शारदा नदी कुंवारी नदी है जबकि गंगा,यमुना सरस्वती, रामगंगा आदि नदियां विवाहित है इन नदियों के किनारे दाहसंस्कार करने के उपरांत अस्थियों को उसी में विसर्जित किया जाता है जबकि शारदा नदी में नही किया जाता है।) किन्तु पुरानी व्यवस्था के तहत कई दशकों से ऐसा होता चला आ रहा है। ज्ञात हो कि कई वर्ष पहले रेल पुल के पूरब में दाह संस्कार होता था किन्तु यातायात की समस्या को देखते हुए सड़क मार्ग पुल का निर्माण होने एवमं नदी-बाढ़ से पुल की सुरक्षा हेतु पूर्व संस्कार स्थल वाली भूमि पर बंधा निर्मित कर दिया गया है।

जिस कारण अब लोग वर्तमान में रेल पुल के पास शवदाह करने को विवश है,जिसकी प्रमुख वजह पलिया में आज तक मुक्तिधाम का निर्माण आज तक नही होना है। न जाने क्यों हमारे जन प्रतिनिधियों व संबंधित अधिकारियों व विभाग ने इस विकराल समस्या की तरफ ध्यान देना उचित नही समझा फलस्वरूप इतने लंबे समय से हिन्दू जनमानस को अपनी जान हथेली पर रख रेल लाइन क्रास करके खुले आसमान के नीचे भारी धूप व बरसात में भी काफी दिक्कतों का सामना कर दाह संस्कार करने हेतु मजबूर होना पड़ता है।

इन सभी समस्याओं के निदान हेतु आपके अमित महाजन द्वारा विभिन्न -2 संगठनों के माध्यम से व व्यक्तिगत रूप से अंतिम संस्कार हेतु मुक्ति धाम का निर्माण, पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए विधुत शव दाह गृह सहित शमशान घाट की चहारदीवारी, सीढ़ियोंयुक्त घाट-सरोवर, दाह संस्कार हेतु शेड्युक्त चार चबूतरों का निर्माण सहित सौंदर्यीकरण किये जाने व पूर्व में दसवाँ संस्कार स्थल के निर्माण कराये जाने की मांग उचित व आवश्यक वांछित प्रपत्रो के साथ माननीय मुख्यमंत्री महोदय, नगर विकास मंत्री, सांसद महोदय, विधायक सहित जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी, अध्यक्ष-अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका आदि संबंधितों से विगत अनेको वर्षों से लिखित रूप में अनेको बार मांग की गई है व वर्तमान में भी निरन्तर की जा रही है। किन्तु आज की दिनांक तक कोई ठोस कार्यवाही नही दिखी है। बीच मे कुछ आशा की किरण दिखी थी वह भी तुच्छ राजनीति का शिकार होकर धुंधली सी हो गयी और समय समय पर इस ज्वलंत मुद्दे पर नगर में राजनीति होती जरूर दिखी है।

pnn24.in

Recent Posts

‘इंडिया’ गठबंधन पर बोली ममता बनर्जी ‘टीएमसी “इंडिया” गठबंधन का हिस्सा बनी रहेगी’

शफी उस्मानी डेस्क: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा है…

18 hours ago

बोले अमित शाह ‘हमे 400 सीट चाहिए क्योकि देश में स्थिरता लाना है’

आदिल अहमद डेस्क: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि केंद्र की…

19 hours ago

नेपाल में एमडीएच के 3 और एवरेस्ट के एक मसाले की बिक्री पर लगा अस्थाई बैन

आफताब फारुकी डेस्क: नेपाल ने कुछ भारतीय ब्रांड्स के मसालों की गुणवत्ता पर सवाल उठने…

19 hours ago