तारिक आज़मी
आज कल सोशल मीडिया पर एक से बढ़कर एक जुझारू किस्म के अक्लमंदो का दर्शन हो जाता है। जो लॉक डाउन जैसी परिस्थितियों में भी समां राजनैतिक कर डालते है। ये ऐसे लोग है जिनको किसी के बयान के अच्छाई और बुराई का पैमाना इस पर ही तय करना है कि बयान देने वाला व्यक्ति उनके चहीते दल के विरोधी दल का है या समर्थक। इनको किसी एक राजनैतिक दल का अंधभक्त भी कहा जा सकता है। असल में ये लोग एक प्रकार से हीरू ओनेडा है। हीरू ओनेडा, जो अपने वक्त से काफी पहले की जंग लड़ रहा था। आप खुद सोचे खुद के देश की कथित देशभक्ति लिये हीरू ओनेडा का आज लोग नाम तक नही जानते है जबकि उसकी मृत्यु हुवे मात्र 6 साल भी पुरे नहीं गुज़ारे है। आइये आपको पहले हीरू ओनेडा के सम्बन्ध में बताते है।
अमेरिकन कामिकाजे प्रथा से भलीभाँती परिचित थे। उनको मालूम था कि जापान की इम्पीरियल आर्मी के सैनिक इधर उधर छुपे हुवे हो सकते है और वह घातक हो सकते है। कुछ वक्त बीत गया। एक दिन हवाई जहाज़ के माध्यम से पर्चे फेके गए और उसके ऊपर लिखा था कि जापान ने समर्पण कर दिया है अब समर्पण कर दो। मगर इस कामिकाजे की प्रथा और देश भक्ति की पिलाई घुट्टी ने हीरू ओनेडा और उसके तीन साथियों को विश्वास ही नही हुआ। वो सोचते थे कि जापान हार मान ही नहीं सकता है और एक प्रोपगंडा के तहत ये पर्चे फेके गए है। ये एक मात्र साजिश है। इसको साजिश मान कर हीरू एंड कंपनी ने अपना संघर्ष जारी रखा। इसके बाद उनका एक साथी युइची अकत्सू भाग गया। 1949–1950 में भागे उस साथी ने सरेंडर कर दिया। उसके जाने के बाद हीरू और उसके दो अन्य साथी शिमाडा और कोज़ुका बचे। एक बार फिर आसमान से पर्चे फेके गए, इसके साथ उनके परिवार के फोटो भी थे। फिर वही शब्द था कि युद्ध खत्म हो चूका है। जापान ने हार मान लिया है। सरेंडर कर दो।
मगर पर्चो को पढ़कर हीरू और उसके दो अन्य साथियों शिमाडा और कोज़ुका को उलटे गुस्सा आया। कामीकाजे प्रथा के तहत इन्होने कसम खाई कि आखरी सांस तक लड़ते रहेगे। अगर कोई भागता है तो दुसरे साथियों को अधिकार होगा कि उसको वह लोग गोली मार दे। वक्त दुनिया में पंख लगा कर गुज़र रहा था। मगर हीरू और उसके दो साथियों शिमाडा और कोज़ुका का वक्त चीटियों की रफ़्तार से गुज़रा होगा। वक्त ने करवटे लिया और तलहटी में किसानो ने खेती शुरू किया। ये खेती होते देख हीरू और उसके दो अन्य साथियों शिमाडा और कोज़ुका में चर्चा का मुद्दा बना और गहन मंत्रणा हुई। निश्चिंत हुआ कि ये किसान नही बल्कि अमेरिकन जासूस है जो भेष बदलकर उनकी टोह लेने आये है। इसलिए सैनिक नियमो के तहत तय पाया गया कि इन जासूसों (किसानो) को मारना और बर्बाद करना है। इसके बाद हीरू और उसके दो साथी शिमाडा और कोज़ुका उन किसानो को मारते। उन्हें लुटते और खुद के खाने के इतना अनाज लेकर बकिया की पूरी फसल जला देते।
ऐसी ही एक कार्यवाही में उनका एक साथी शिमाडा 1954 में मारा गया। अब बस दो बचे थे। एक हीरू और एक अन्य साथी कोज़ुका। ये कार्यवाही उन दोनों ने जारी रखा और लगातार चलती रही। इस दौरान उन्होंने 30 से अधिक किसानो को अमेरिकन जासूस समझ कर मार डाला। इसके बाद उसका एक और तीसरा साथी कोज़ुका स्थानीय पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया। अब बचा केवल अकेला हीरू ओनेडा। हीरू को एक दिन एक जापानी युवक नोरिओ सुजुकी मिल गया। हीरू ने नोरिओ सुजुकी अगवा कर लिया और उसको बंधक बना लिया। नोरिओ सुजुकी ने हीरू को बताया कि युद्ध तो 30 साल पहले ख़त्म हो चुका। उसने पूरी घटना बताया कैसे एटम बम गिरे। कैसे दो शहर तबाह हुवे और कैसे जापान ने हार मान कर सरेंडर किया। यही नही मौजूदा वक्त में जापान के तरक्की की जानकारी भी दिया।
मगर नोरिओ सुजुकी की बातो पर भी हीरू यकीन नहीं हुआ। जापानी होने के नाते उसने नोरिओ सुजुकी को छोड़ तो दिया, मगर अपने कमांडिग अफसर तानिगुची के आदेश को कैसे भूल सकता था कि सरेंडर न करना मर जाना भले ही। यहाँ से हीरू को मेन स्ट्रीमलाइन में लाने का श्रेय बंधक बनाये गए नोरिओ सुजुकी को जाता है। वह जापान वापस जाता है और हीरू के कमांडिग अफसर की तलाश करने में जुट जाता है। जल्द ही उस युवक ने हीरू के कमांडिंग अफसर तानिगुची को तलाश डाला और उनको पूरी बाते बताई। तानिगुची सेना की नौकरी छोड़ कर एक किताब की दूकान खोल बैठा था। इसके बाद उस कमांडिंग अफसर तानिगुची को फिलीपींस भेजा जाता है। हीरू के पहाड़ पर कमांडिंग अफसर तानिगुची अकेले गया। उसे शाबासी दी और कहाकि युद्ध खत्म हो गया है। सरेंडर कर दो।
कलेंडर पलट चूका था और सन 1974 शुरू हो चूका था। 30 साल हीरू वह जंग लड़ चूका था जो तीन दशक पहले ही खत्म हो चुकी थी। इसके बाद हीरू के सरेंडर की कार्यवाही शुरू होती है। फटी हुई वर्दी पहने हीरू ने, अपनी गन, काफी संख्या में कारतूस और समुराई तलवार, हैण्ड ग्रेनेड के साथ एक कटार जो उसकी माँ ने उसको समुराई प्रथा के तहत दिया था कि जीवन में कोई रास्ता नही बचने पर खुद को खत्म कर लेने में काम आये। इन असलहो के साथ ओनाडा ने फिलीपींस के राष्ट्रपति के समक्ष समर्पण किया। उस पर 30 से ज्यादा हत्या के केस थे। मगर सरेंडर पालिसी के तहर उसको पार्डन (माफी) मिलना था और मिला भी। पार्डन यानी माफ़ी मिल जाने के बाद हीरू अपने देश 1984 लौटा। शायद सभी के लिए एक अजूबे जैसा माहोल होगा और पूरा देश उसको देखने के लिए लालायित हो गया। लोगो ने उसका स्वागत किया और फुल माला पहनाया, मगर ओनाडा को अपना खुद का देश ही पहचान में नही आ रहा था। उसके साथी उसको पहचान नही पा रहे थे। वो उस कल्पना में जी रहा था जो 30 साल से अधिक समय यानी 1944 में फ्रीज बंद थी। वो अब चार दशक बाद बाहर आने में असहज महसूस कर रही थी।
आपको हीरू ओनाडा और उसके साथियों का किस्सा काफी अजीब लग रहा होगा। एक जीवन ख्याली युद्ध मे बर्बाद हो चूका था। इसके अलावा बेकसूरों की जो 30 से अधिक हत्या उसने की, उसे भी जोड़िये। क्या लगता है आज से 6 साल पहले हीरू मर चूका है। नहीं आप अपने आसपास और सोशल मीडिया पर देखे। लाखो आपको हीरू ओनाडा मिलेगे जो अपने समय काल से पीछे एक खयाली युद्ध लड़ रहे है। उनको गौर से देखे उनकी उम्र महज़ 20-30-50 साल है, मगर कोई 80 साल पहले जिन्ना से, कोई 400 साल पीछे औरंगजेब से, तो कोई 600 साल पीछे बाबर से, कोई 1000 साल पीछे गजनवी से, कोई 1400 साल पीछे कासिम से लोहा ले रहा है। खंदक खोद रहा है, हमले कर रहा है।
दिमाग मे एक अजीब खयाली युद्ध चल रहा है। किसी को महात्मा गाँधी से जवाब चाहिए तो किसी को नेहरू से जवाब चाहिये। कुछ तो बाबर को ताल पीट कर ललकार रहे है। क्रांति लाना चाहते है। भीड़ में तब्दील होकर एक ऐसा युद्ध लड़ रहे है जिसमे युद्ध तो ओनाडा जैसा खयाली है मगर मौतें असली है, जिंदगियों की बर्बादिया असली है, देश का गर्त में जाना असली है। धर्म, जाति और इतिहास से एक प्रकार के कम्प्लेक्स, और नफरत का शिकार होकर आम हिंदुस्तानी, हीरू बने फिर रहे हैं। शायद जब हीरू के तरह सरेंडर करेगे तो आँखे खुलेगी। कोई सुजुकी आकर हमारी आँखे खोलेगा तो हमको अपना ही देश पहचान में नहीं आएगा। दुष्यंत का एक शेर बहुत प्यारा है, जो हालात को बया कर रहा है कि – अपने रहनुमाओं की अदा पर फ़िदा है दुनिया, इस बहकती हुई दुनिया को संभालो यारो।
लेख में कुछ विचार हमारे सहयोगी शाह आलम “उल्फत” के लेख से भी लिए गए है। लेख में हीरू ओनाडा के जीवन को विश्वकोष विकिपीडिया से जानकारी के आधार पर एकत्रित किया गया है।
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