तारिक़ आज़मी
वैसे मोरबतियाँ आपने कई स्थानीय मुद्दों पर अब तक पढ़ा है। मगर शायद ये पहली बार है जब मोरबतियाँ को स्थानीय से राष्ट्रीय मुद्दों के तरफ लेकर जा रहा हु। मोरबतियाँ का उद्देश्य आपको हकीकत से रूबरू करवाना है। क्योकि आपका पसंदीदा चैनल और अख़बार आपको कितना हकीकत से रूबरू करवाता है वो आप खुद समझ सकते है। एक डिजिटल मीडिया ही ऐसा प्लेटफार्म बचा हुआ है जिससे आपको हकीकत रूबरू होती है। वैसे किरकिरी तो डिजिटल मीडिया को लेकर भी आँखों में खूब गड रही है। आप देखे, अपना पसंदीदा चैनल खोले तो वो इसी में व्यस्त होगा कि सीबीआई से पहले सुशांत केस का खुलासा करके उसके दोषी खुद सिद्ध कर डाले। वो तो गनीमत है वरना वो सज़ा भी खुद दे रहा होता।
बहरहाल, आज स्थानीय मुद्दों के बजाये राष्ट्रीय मुद्दों पर बात करना है। मोरबतियाँ पर मोमबत्तिया भले कोई जला डाले मगर मुद्दा गरमा गर्म होना चाहिए। तो गरमा गर्म मुद्दे पर कृषि सम्बन्धी विधेयक है। सरकार अपना पक्ष रख रही है तो विपक्ष अपनी जगह अड़ा हुआ है। राज्यसभा में जिस प्रकार से हंगामा हुआ उसका समर्थन कोई भी गांधीवादी विचारधारा का व्यक्ति नही करेगा। मगर लोकतंत्र की बहाली रहनी चाहिए। राजनैतिक मुद्दों पर बात न करके धरातलीय मुद्दों पर बात करते है। ज़मीनी मुद्दे इस पर ये है कि जिस कृषि विधेयक की सरकार बात किसानो के हितकारी होने की कर रही है, तो फिर किसान उस विधेयक का विरोध आखिर क्यों कर रहे है।
इन सबके बीच एक बात एकदम अलग दिखाई दे रही है। सत्ता पक्ष इस मुद्दे पर बार बार बिहार का नाम ज़रूर ले रहा है। वैसे बताते चले कि बिहार में ऐसी प्रणाली लागू हुई थी जो सफल नही हुई। बिहार में इस विधेयक का विरोध सामने नहीं आया है। बिहार फिलहाल कोरोना और बाढ़ से खुद जूझ रहा है। मगर हर एक बयान में बिहार का नाम ज़रूर आ रहा है। कल केंद्र सरकार में मंत्री रविशंकर ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि उनका एजेंडा सदन को बिल पास करने से रोकना था। रविवार को विपक्षी सांसदों की कार्रवाई पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि, “वीडियो फुटेज इस बात के सुबूत हैं कि अगर मार्शलों ने उपसभापति हरिवंश जी को नहीं बचाया होता तो उन पर भी हमला हो सकता था।”
उन्होंने इसमें बिहार चुनाव को घसीटते हुए कहा, “राज्यसभा में हरिवंश जी के साथ जो व्यवहार हुआ उससे पूरा देश और बिहार के लोग दुखी हैं। जब हरिवंश जी का अपमान हो रहा था तो जिस तरह से आरजेडी और कांग्रेस के सांसद न केवल ख़ामोश रहे, बल्कि उसे और उकसाया, बिहार की जनता को ये बताया जाएगा। कांग्रेस और आरजेडी को इसका जवाब देना होगा।”
रविशंकर ने कहा कि बिहार की जनता को बताया जायेगा। भाई बताने की क्या आवश्यकता है। कमोबेस तो सभी समझ रहे है। बिहार की जनता को बताने का तात्पर्य शायद इस मुद्दे पर होगा कि आने वाले बिहार चुनाव में इस बात का मुद्दा बनाया जायेगा। आपको बताते चले कि हरिवंश बिहार से संसद का प्रतिनिधित्व करते है। वही वह मूल रूप से बलिया जनपद के रहने वाले भी है। बिहार की नब्ज़ टटोलने का एक राजनैतिक प्रयास हो सकता है। मुद्दे ज़मीनी कुछ भी रहे मगर बिहार में चुनावी मुद्दा बनाया जा सकता है।
वही इस मुद्दे पर आज खुद प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया। उनके ट्वीट में भी बिहार कनेक्शन था। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि “सदियों से, बिहार की महान भूमि हमें लोकतंत्र के मूल्यों को सिखा रही है। उस अद्भुत लोकाचार के अनुरूप, बिहार के सांसद और राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश जी के प्रेरणादायक और राजनेता जैसे आचरण आज सुबह हर लोकतंत्र प्रेमी को गौरवान्वित करेंगे।“
अब आप खुद समझे, मुद्दा भले ही राष्ट्रीय स्तर का है मगर इसको बिहार से जोड़ा जायेगा। बिहार चुनाव में इस मामले का असर तलाशा जायेगा। हरिवंश जी का बिहार कनेक्शन तलाशा जायेगा। इसको चुनावों में उछाला जायेगा। फिर उसका मतों में हिसाब लगाया जायेगा। आप खुद समझे, राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर उसका निशाना केवल एक प्रदेश ही क्यों हो ? हरिवंश जी की पहल स्वागत योग्य है। हरिवंश जी जब राज्यसभा के उपसभापति है तो केवल एक प्रदेश के नही बल्कि देश के है। सांसदों का विरोध संसद से शुरू होकर संसद भवन तक सीमित है। संसद में बहिष्कार से लेकर धरना तक हो रहा है। हरिवंश जी खुद उपवास पर रहते हुवे काम कर रहे है। उनका उपवास आज सुबह से शुरू हुआ है और कल सुबह तक जारी रहेगा। उन्होंने इस मामले में बिहार कनेक्शन नही जोड़ा।
मगर सियासत अपना रास्ता निकाल लेती है। बिहार में होने वाले चुनावों में इस मुद्दे को उछाला जायेगा इसमें कोई दो राय नही है। नितीश कुमार ने भी इस मामले को बिहार कनेक्शन जोड़ा था। चुनाव में असली साख नितीश कुमार की है। मगर इस कनेक्शन को जोड़ कर बिहार को इस मुद्दे पर सोचने के लिए कहा जा सकता है। भले पिछले साल चमकी बुखार, फिर इस साल कोरोना और बाढ़ से बिहार बेहाल रहा है। उन मुद्दों पर बात नही होकर मुद्दे अगर ऐसे राजनैतिक होंगे तो बात बन सकती है। अब देखिये ऐसे और कितने मुद्दे बिहार से जुड़े हुवे सामने आते है। आपकी इच्छा है। आप देखते रहे अपना पसंदीदा चैनल। आपको अन्य कई मुद्दे ऐसे आपको दिखाने को बेताब है। सुशांत कनेक्शन बिहार का, हरिवंश जी का कनेक्शन बिहार का। फिर कहा प्रवासी मजदूर मामला उठेगा। कहा बाढ़ का मामला उठेगा आप देखते रहे अपने पसंदीदा चैनल को। सिर्फ एक बात सोचियेगा कि कही मीडिया आपको भीड़ में तब्दील तो नहीं कर रहा है।
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