आदिल अहमद/मो0 कुमैल
कानपुर। रोटोमैक ग्रुप के मालिक विक्रम कोठारी की मुश्किलें कम होती दिखाई नही दे रही है। कानपुर जनपद के सबसे यानी साढ़े चार हज़ार करोड़ से अधिक के बैक डिफाल्टर विक्रम कोठारी को मिला सर्वश्रेष्ठ निर्यातक अवार्ड भी अब जाँच के दायरे में आ चूका है। जाँच एजेंसी वर्ष 1997 में विक्रम कोठारी को मिले सर्वश्रेष्ठ निर्यातक के अवार्ड जो तत्कालीन प्रधानमंत्री के द्वारा प्रदत्त था को भी जाँच के दायरे में ला रही है।
गौरतलब हो कि साढ़े चार हजार करोड़ से ज्यादा के बैंक डिफाल्टर विक्रम कोठारी की कंपनी रोटोमैक समूह की जांच तीन एजेंसियां कर रही हैं। सबसे पहले सीबीआई ने बैंक डिफाल्टर मामले की जांच शुरू की। भारी आर्थिक अनियमितताओं के चलते मामले की जांच ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को सौंपी गई। अब एसएफआईओ इसकी जांच कर रहा है।
अगर सूत्रों से मिली जानकारी को आधार माने तो 25 साल पुराने रिकॉर्ड में देखा जाएगा कि उस समय बैंकों से लिए गए कर्ज की स्थिति क्या थी और लोन देने के लिए बैंकों ने नियमों का पालन किया था या नहीं? जांच में इस तथ्य को भी शामिल किया जाएगा कि वर्ष-1995 में शुरू हुई रोटोमैक दस साल में 100 करोड़ की पूंजी वाली कैंपनी कैसे बन गई। साथ ही रोटोमैक को 20 हजार करोड़ की कंपनी बनाने का लक्ष्य तय करने का क्या आधार था?
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