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सीबीआई पर चीफ जस्टिस के बयान के बाद बोले कानून मंत्री किरेण रिजजू: सीबीआई अब पिंजरे में बंद तोता नही है

तारिक खान

डेस्क: कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को कहा कि सीबीआई अब ”पिंजरे में बंद तोता” नहीं है और देश की शीर्ष अपराधिक जांच एजेंसी के रूप में अपना कर्तव्य निभा रही है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि एक समय था जब सरकार में बैठे लोग जांच में बाधा पैदा करने का काम करते थे। मंत्री ने यह भी कहा कि अतीत में कुछ अधिकारियों को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, वे चुनौतियां ”अस्तित्व में नहीं हैं।”

गौरतलब हो कि देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने “डेमोक्रेसी:  जांच एजेंसियों की भूमिका और जिम्मेदारी” विषय पर एक व्याख्यान को संबोधित करते हुए कहा था कि विभिन्न मामलों में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की कार्रवाई और निष्क्रियता को लेकर कहा था कि इससे जांच एजेंसी की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है। सीजेआई ने कहा था कि, भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर पुलिस की छवि तार-तार हो गई है। अक्सर पुलिस अधिकारी हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। राजनीतिक प्रतिनिधि तो बदलते रहते हैं, लेकिन आप हमेशा रहोगे। उन्होंने बताया था कि कैसे ब्रिटिश शासन से अब तक भारत में पुलिस सिस्टम में बदलाव हुआ है, लेकिन समय बीतने के साथ, सीबीआई गंभीर सार्वजनिक निगरानी के दायरे में आ गए हैं।

सीजेआई एन वी रमना ने कहा था कि,  जांच एजेंसी को स्वतंत्र, स्वायत्त बनाना समय की मांग है। एक ही अपराध की कई एजेंसियों से जांच उत्पीड़न की ओर ले जाती है। एक बार अपराध दर्ज होने के बाद यह तय किया जाना चाहिए कि कौन सी एजेंसी इसकी जांच करेगी। इन दिनों एक ही मामले की कई एजेंसियों द्वारा जांच की जाती है। यह संस्था को उत्पीड़न के एक उपकरण के रूप में दोषी ठहराए जाने से बचाएगा। एक बार रिपोर्ट किए जाने के बाद संगठन को यह तय करना चाहिए कि कौन सी एजेंसी जांच का जिम्मा संभालेगी। सीजेआई ने कहा था कि, जब आप झुकेंगे नहीं तो आपको वीरता के लिए जाना जाएगा।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि, पुलिसिंग केवल नौकरी नहीं बल्कि एक कॉलिंग है। भारत में अंग्रेजों ने कानून पेश किया जहां शाही पुलिस बनाई गई थी जिसे भारतीय नागरिकता को नियंत्रित करने के लिए तैयार किया गया था। राजनीतिक आकाओं द्वारा पुलिस का दुरुपयोग कोई नई विशेषता नहीं है। पुलिस को आम तौर पर कानून का शासन बनाए रखने का काम सौंपा जाता है और यह न्याय वितरण प्रणाली का अभिन्न अंग है। औचित्य की मांग पुलिस को पूर्ण स्वायत्तता देना है। सभी संस्थानों को लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखना और मजबूत करना चाहिए। किसी भी सत्तावादी प्रवृत्ति को पनपने नहीं देना चाहिए। न्यायपालिका अपनी निष्पक्षता के कारण CBI को जांच स्थानांतरित करने के अनुरोधों से भर जाती थी। लेकिन समय बीतने के साथ, अन्य संस्थानों की तरह सीबीआई भी गहरी परोक्ष जांच के दायरे में आ गई है।

सीजेआई के बयान पर रिजिजू ने रविवार को ट्वीट कर कहा, ‘सीबीआई अब ‘पिंजरे में बंद तोता’ नहीं है, बल्कि वास्तव में भारत की शीर्ष आपराधिक जांच एजेंसी के रूप में अपना कर्तव्य निभा रही है।’ उन्होंने सीबीआई के जांच अधिकारियों के पहले सम्मेलन में शनिवार को दिए गए अपने संबोधन का एक छोटा वीडियो भी साझा किया। रिजिजू ने अपने संबोधन में कहा, ‘मुझे अच्छी तरह याद है कि एक समय था, जब सरकार में बैठे लोग कभी-कभी जांच में बाधा बन जाते थे।’ उन्होंने कहा कि आज एक ऐसा प्रधानमंत्री है जो खुद भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में मुख्य भूमिका निभा रहा है। कानून मंत्री ने कहा, ‘मैं उन कठिनाइयों को जानता हूं जब सत्ता में बैठे लोग भ्रष्टाचार में शामिल होते हैं, तब उनका अनुपालन करना मुश्किल होता है।।। सीबीआई के लिए यह मुश्किल भरा रहा। तब हमने अतीत में न्यायपालिका से कुछ तल्ख टिप्पणियां सुनी हैं। हम अब एक लंबा सफर तय कर चुके हैं।’

बताते चले कि उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2013 में कोयला खदान आवंटन मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई को ”पिंजरे में बंद तोता” करार दिया था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के स्थापना दिवस पर एक अप्रैल को 19वां डीपी कोहली स्मृति व्याख्यान देते हुए प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा था कि गुजरते समय के साथ कई मामलों को लेकर सीबीआई की कार्रवाई और निष्क्रियता पर सवाल खड़े हुये हैं, जिसके चलते इस जांच एजेंसी की विश्वसनीयता सार्वजनिक जांच के दायरे में आ गई है।

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