तारिक़ खान
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है कि जब सुनवाई चल रही थी तभी नियुक्ति के लिये ऐसी सुपर फास्ट स्पीड क्यो दिखाई गई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, “चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में इतनी जल्दबाजी क्यों? इतनी सुपरफास्ट नियुक्ति क्यों?”
जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा, यह वैकेंसी छह महीने के लिए थी। फिर जब इस मामले की सुनवाई अदालत ने शुरू की तो अचानक नियुक्ति क्यों? बिजली की गति से नियुक्ति क्यों? जस्टिस अजय रस्तोगी ने इतनी तेज रफ्तार से फाइल आगे बढ़ने और नियुक्ति हो जाने पर सवाल उठाए और कहा, “चौबीस घंटे में ही सब कुछ हो गया। इस आपाधापी में आपने कैसे जांच पड़ताल की?”
आज शुरू हुई सुनवाई में पहले केंद्र सरकार ने पीठ को चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइल दी। केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर0 वेकेंटरमणी ने फाइलें जजों को सौंपी। अटॉर्नी जनरल ने कहा, “मैं इस अदालत को याद दिलाना चाहता हूं कि हम इस पर मिनी ट्रायल नहीं कर रहे हैं।” इस पर जस्टिस जोसेफ ने कहा, “नहीं..नहीं, हम समझते हैं”।
इसके बाद अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पूरी प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विधि और न्याय मंत्रालय ही संभावित उम्मीदवारों की सूची बनाता है। फिर उनमें से सबसे उपयुक्त का चुनाव होता है। इसमें प्रधानमंत्री की भी भूमिका होती है।
अदालत में इस मामले की सुनवाई जारी है। अदालत का रुख इस नियुक्ति पर सख्त दिखाई दे रहा है। इसके पहले कल अदालत ने सख्त लफ़्ज़ों का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि हम ऐसा सीईसी चाहते है जो प्रधानमंत्री पर भी कार्यवाही कर सके।
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