तारिक़ खान
खुद के गोली लगने के बाद भी शरीर से बहते खून की परवाह किये बगैर जिसकी सुरक्षा में वह लगा था, उसके जान की हिफाज़त करने के लिये उठा और वापस दौड़ के अंदर गया। मगर हमलावर ज़्यादा थे, वह घायल भी था और फिर बम के धुओ ने सब अंधेरा कर रखा था। उसको और भी गोलियां लग गई थीं। वह वही गिर पड़ा था।
ऐसा बहादुर यूपी पुलिस का जवान राघवेंद्र आखिर कल ज़िंदगी से चल रही अपनी जद्दोजेहद हार गया और इस दुनिया से रुखसत हो गया। राघवेंद्र में कल देर रात पीजीआई में अपनी आखरी सांसे लिया। राघवेंद्र का लखनऊ पीजीआइ में इलाज चल रहा था। राघवेंद्र को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। अपेक्स ट्रामा सेंटर के विशेषज्ञों ने शरीर में संक्रमण अधिक होने की पुष्टि की थी। हालांकि उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ।
एसजीपीजीआइ के निदेशक डाक्टर आरके धीमन ने बताया कि बुधवार की शाम करीब 5:45 बजे राघवेंद्र की मृत्यु हो गई। गोलीबार और बम के धमाके से उनके पेट व छाती समेत शरीर के कई हिस्सों पर गंभीर घाव थे। इसके लिए आइसीयू की टीम ने सर्जरी भी की थी, लेकिन नाजुक स्थिति होने के चलते उन्हें बचाया नहीं जा सका। राघवेंद्र का शुरू में प्रयागराज में इलाज किया गया था।
हालत में सुधार न होने पर रविवार रात पीजीआइ के ट्रामा सेंटर में उन्हें शिफ्ट किया था। पूरे शरीर में संक्रमण फैलने के कारण हालत गंभीर थी। गनर राघवेंद्र सिंह का शव पहुंचा केजीएमयू। रात में ही पैनल गठित किया गया। वीडियोग्राफी के साथ किया जा रहा पोस्टमार्टम। सुबह पुलिस लाइन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। इसके बाद परिवारजन शव ले जाएंगे।
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