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तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी श्रमिको पर हमले सम्बंधित झूठी खबर प्रकाशित और प्रसारित करने के आरोप में ऑपइंडिया के संपादक, सीईओ पर ऍफ़आईआर हुई दर्ज, तमिलनाडु पुलिस जुटी जांच में, जाने क्या है पूरा मामला

शाहीन बनारसी

डेस्क: पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक व्यक्ति को ट्रेन के भीड़ भरे डिब्बे में हिंदी बोलने वाले प्रवासी मजदूरों को मौखिक और शारीरिक तौर प्रताड़ित करते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में उक्त व्यक्ति प्रवासन के कारण तमिलनाडु के मूल निवासियों के लिए नौकरी के अवसरों कम होने के बारे में बात करता है और मजदूरों को घूंसे एवं थप्पड़ मारता है। रेलवे पुलिस ने आरोपी की पहचान कर उस गिरफ्तार कर लिया है।

प्रतीकात्मक तस्वीर

इस एक घटना के आलोक में तमिलनाडु में प्रवासी मजदूरों पर हमलों के संबंध में भ्रामक सूचनाएं फैलने लगीं। कई भ्रामक रिपोर्ट के बाद बिहार के मुख्यमंत्र नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्होंने बिहार पुलिस से मामले पर नजर रखने कहा है। तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सिलेंद्र बाबू ने बिहार के डीजीपी से चर्चा करते हुए कहा था कि ऐसी कोई हिंसा नहीं हो रही है। बीते 2 मार्च को डीजीपी ने एक बयान जारी इन खबरों का खंडन करते हुए कहा था कि प्रवासी मजदूरों पर हमले नहीं हो रहे हैं।

वही इस सम्बन्ध में तमिलनाडु पुलिस ने मामले में और अधिक पारदर्शिता के लिए हिंदी भाषी अपने यहाँ के पुलिस कर्मियों और अधिकारियो का चयन कर उनका वीडियो बयान तक जारी करवाया। अधितर ऐसे हिंदी भाषी अधिकारी और तमिलनाडु पुलिस के कर्मियों को इस बयान हेतु चुना गया जो बिहार के मूल निवासी हो। इस पुरे मामले में सही खुलासा किया फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने। मोहम्मद जुबैर ने वीडियो की तह तक जाकर सच प्रदर्शित क्या और फिर उसके बाद एक्शन मोड़ में आई तमिलनाडु पुलिस ने इस फेक न्यूज़ को असली न्यूज़ बता कर प्रचारित और प्रसारित करने वाले कई मीडिया संस्थानों के प्रमुखों के खिलाफ ऍफ़आईआर दर्ज किया है।

इसी क्रम में अब तमिलनाडु पुलिस ने दक्षिणपंथी वेबसाइट ऑपइंडिया के सीईओ और संपादक नूपुर शर्मा के खिलाफ राज्य में प्रवासी श्रमिकों के बारे में ‘झूठी खबर फैलाने’ के आरोप में केस दर्ज किया है। राजधानी चेन्नई के नजदीक स्थित थिरुनिनरावुर पुलिस स्टेशन में यह केस दर्ज किया गया है। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने कहा कि डीएमके के थिरुनिनरावुर आईटी विंग के सूर्यप्रकाश ने शिकायत दर्ज कराई है कि ओपइंडिया डॉट कॉम वेबसाइट झूठी खबरें फैला रही है और तमिलनाडु में रह रहे अन्य राज्यों के श्रमिकों में भय की भावना पैदा कर रही है।

अपनी शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय लोगों और अन्य राज्यों के लोगों के बीच संघर्ष का खतरा था। शिकायतकर्ता ने कहा है कि यह ट्विटर सहित विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया है। इससे आम लोगों की शांति भंग हो सकती है। उन्होंने पुलिस से सीईओ राहुल रौशन और संपादक नूपुर शर्मा और ऑपइंडिया से जुड़े लोगों के खिलाफ ऐसी झूठी खबरें फैलाने और जनता में दहशत पैदा करने के लिए कार्रवाई करने का अनुरोध किया। पुलिस ने कहा कि शिकायत के आधार पर थिरुनिनरावुर पुलिस थाने में मामला दर्ज कर जांच की जा रही है।

मालूम हो कि पिछले एक हफ्ते में तमिलनाडु में उत्तर भारतीय प्रवासियों की ‘हत्या’, उन्हें ‘धमकी’ देने और उनके साथ ‘क्रूरता’ होने की मनगढ़ंत अफवाहें फैल रही हैं। न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्ट के अनुसार, ऑपइंडिया ने फर्जी खबरों के अन्य उदाहरणों में दावा किया था कि ‘हिंदी भाषी प्रवासी मजदूरों के खिलाफ तालिबानी शैली के हमले किए जा रहे हैं’। इस मामले में राज्य भाजपा प्रमुख के। अन्नामलाई के खिलाफ भी ‘झूठे संदेश’ प्रसारित करने के आरोप में केस दर्ज किया गया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में दैनिक भास्कर और भाजपा प्रवक्ता प्रशांत पटेल उमराव के खिलाफ ‘झूठी खबर फैलाने’ का मामला दर्ज किया गया था। चौथा मामला तनवीर पोस्ट ट्विटर हैंडल के मोहम्मद तनवीर के खिलाफ दर्ज किया गया है। तिरुपुर उत्तर पुलिस थाने ने दैनिक भास्कर के संपादक पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ाना देना) और 505 (आई)(बी) [जनता में भय पैदा करने का मकसद] के तहत आरोप लगाए हैं।

तिरुपुर साइबर अपराध पुलिस ने मोहम्मद तनवीर पर भी इन्हीं धाराओं के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 56(डी) के तहत आरोप लगाए हैं। तूतूकुड़ी सेंट्रल पुलिस ने भाजपा प्रवक्ता प्रशांत पटेल उमराव के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जान-बूझकर उकसाना), 153ए, 504 (शांति भंग करने के लिए जान-बूझकर अपमान करना) और 505 (सार्वजनिक शरारत करने वाले बयान) के तहत मामला दर्ज किया है। दैनिक भास्कर ने खबर दी थी कि 15 बिहारी प्रवासी मजदूरों ने जान से मारने की धमकी मिलने का दावा किया है। उन्होंने यहां तक आरोप लगाया था कि केवल हिंदी बोलने के चलते बिहारी तमिलनाडु में ‘तालिबान जैसे’ हमलों का सामना कर रहे हैं।

उमराव ने भी दावा किया था कि हिंदी भाषी प्रवासी मजदूरों पर कई हमले हुए हैं। उनका ट्वीट कई फर्जी या असंबंधित वीडियो और संदेशों का हिस्सा था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। तमिलनाडु सरकार, पुलिस और उद्योगपतियों ने बाद में बयान जारी किए और प्रवासी मजदूरों को उनकी सुरक्षा का आश्वासन देने के लिए बैठकें कीं। बिहार की एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने स्थिति का जायजा लेने के लिए कोयम्बटूर में प्रवासी मजदूरों से भी मुलाकात की है।

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