फारुख हुसैन
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट में गोहत्या से जुड़ा एक अजीब केस आया जिसमे उत्तर प्रदेश पुलिस को जमकर फटकार भी पड़ी। पुलिस ने गोहत्या के मामले में सबूत के तौर पर गाय का गोबर फारेंसिक भेजा जिसके लिए फारेंसिक ने लिखकर दे दिया कि हम गोबर की जाँच नही करते। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमकर उत्तर प्रदेश पुलिस को फटकार लगाते हुवे डीजीपी को कहा है कि वह जाँच अधिकारियो को उनका कर्त्तव्य याद दिलाये।
अदालत मामले के एक आरोपी निजामुद्दीन की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उन पर यूपी गोहत्या निवारण अधिनियम की धारा 3, 5 और 8 के तहत मामला दर्ज किया गया था। अभियोजन पक्ष की दलील थी कि 16 अगस्त, 2022 को मामले के चार आरोपियों ने एक आरोपी जमाल के गन्ने के खेत में एक बछड़े को काट दिया था। पुलिस का कहना था कि मौके पर पहुंचने वाले पहले मुखबिर को ‘एक रस्सी और अर्ध-पचा हुआ गोबर’ मिला था। एफआईआर में यह भी कहा गया है कि कुछ ग्रामीणों ने आरोपी को एक बछड़े को खेत में ले जाते हुए देखा था।
मामले में जांच अधिकारी को मौके पर एक रस्सी और गाय का गोबर मिला था। अधिकारियों ने गाय के गोबर को जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भी भेजा था और जाँच का अनुरोध किया, मगर लैब ने यह कहते हुए इस अनुरोध को ठुकरा दिया कि वह गाय के गोबर का विश्लेषण नहीं करती है। अदालत ने कहा कि एफआईआर केवल ‘संदेह और आशंका’ पर दर्ज की गई थी। अदालत ने कहा कि आवेदक का कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है।
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