तस्वीरे बोलती है हुजुर: देख कर ये तस्वीर आप भी कह उठेगे, ‘क्या खूब है तेरे मेरे बीच का ये फासला, तेरे पास रूह नही और मेरे पास लिबास नही’

तारिक़ आज़मी

कौन कहता है कि तस्वीरे बोलती नही है? बेशक तस्वीरे बोलती है और रूह तक को झकझोर के रख देती है। कई तस्वीरे खुद में अपना एक लफ्ज़ छिपाए रहती है। बेशक तस्वीर निर्जीव हो, मगर हमारे मन से निकले अलफ़ाज़ उनको सजीव बना देते है। ऐसी कई तस्वीरे हमारे निगाहों के सामने से गुज़र जाती है जिनको देख कर भले हम अनदेखा कर डाले, मगर उनके अन्दर भी एक खुबसूरत पैगाम होता है।

एक तस्वीर कभी आपने देखा होगा, सूडान में वर्ष 1993 के भीषण अकाल की वह तस्वीर जिसको ‘The vulture and the little girl’ नाम दिया गया था को खीचने वाले केविन कार्टर को उस समय ‘बेस्ट फोटोग्राफर आफ द वर्ल्ड’ का खिताब मिला था। मगर इस तस्वीर को लेकर भी केविन की काफी आलोचना हुई थी। दरअसल केविन जिस वक्त दुनिया के सबसे अच्छे फोटोग्राफर का खिताब मिलने पर जश्न मना रहे थे, तभी उनसे कई सवाल उठने लगे। जिसके केविन ने जवाब भी दिए।

ऐसा ही एक सवाल था कि किसी पाठक ने केविन से पूछा कि ‘उस बच्ची का क्या हुआ?’ जिस पर केविन ने जवाब दिया कि ‘मुझे नहीं मालूम उसका क्या हुआ, क्योकि मेरी फ्लाइट थी और मैं वह से तुरंत चला गया।’ इस जवाब पर उक्त सवाल करने वाले ने कहा था कि ‘केविन आपको पता है वहा एक नही दो गिद्ध थे जिसमे एक के चोच थी और दुसरे के हाथ में कैमरा था।’ कई मीडिया रिपोर्ट में इस बात का ज़िक्र है कि इसके बाद केविन कार्टर डिप्रेशन में चले जाते है और उनकी ज़िन्दगी का अंत ख़ुदकुशी से हुआ था। इस घटना का ज़िक्र सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 28 मई 2020 को सुप्रीम कोर्ट में हुई प्रवासी मजदूरो के सम्बन्ध में सुनवाई के दरमियान भी किया था।

बहरहाल, आज हम आपसे ज़िक्र ‘The Vulture and The Little Girlतस्वीर पर नही कर रहे है। यह तो महज़ अपनी बातो को शुरू करने के लिए हमारे तरफ से महज़ तस्किरा था। दरअसल हमारे एक दोस्त ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक तस्वीर शेयर किया था। तस्वीर आप ऊपर देख सकते है। दोस्त हमारे है तो अपने हिस्से की मेहनत दुसरे से करवा लेते है। उन्होंने तस्वीर के साथ लिखा ‘कैप्शन दे’। लोग आपस में एक से एक कैप्शन किया, मगर तस्वीर दिल को खीच रही थी। दिल को खिचती तस्वीर ने लफ्ज़ भी दिया।

तस्वीर को गौर से देखे तो एक बच्चा खुद के कंधो पर एक बोरा लिए हुवे है। बदन पर तन ढकने को चिथड़े नसीब है। वही उसकी निगाहों के सामने एक डमी है जिसके तन पर काफी खुबसूरत कपडे है। निगाहे तस्वीर में डमी की और बच्चे की एक दुसरे से मिली हुई है। शायद बच्चे की निगाहें बोल रही है कि ‘कितना बड़ा फर्क है हम दोनों के बीच कि तेरे पास रूह नही और मेरे पास लिबास नही।’

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